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Updated: 02 अप्रिल, 2015 12:08 PM
गौरव सेठी
गौरव सेठी
  @BoredCricket
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विश्वकप के सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद महेंद्र सिंह धोनी ने 2019 में होने वाले विश्व कप के लिए विकल्प खुला रखा है. लेकिन अगले साल टी20 विश्वकप खेलने के बाद वह इस पर फैसला करेंगे.

अधिकतर खिलाड़ियों की फार्म और फिटनेस के आधार पर उनके खेलने का फैसला होता है. लेकिन आमतौर पर अपने लिए धोनी खुद इस बात का फैसला करते हैं. अतीत में धोनी कुछ श्रृंखलाएं खेलने से वंचित रहे जब उन्होंने खुद आराम करने का फैसला किया था.

सचिन तेंदुलकर भी ऐसे चुनिंदा खिलाड़ी रहे हैं. जिन्होंने एक पूरी श्रृंखला के लिए खुद को आराम दिया था. आराम करने के बावजूद दोनों खिलाडियों का टेस्ट सीरीज में दबदबा रहा है.

इसकी तुलना राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ी से की जा सकती है. जिन्हें चयनकर्ताओं ने इंग्लैंड में एक दिवसीय अर्न्तराष्ट्रीय सीरीज खेलने के लिए टेस्ट से रिटायरमेंट लेने को मजबूर कर दिया था. वह एकमात्र भारतीय बल्लेबाज थे जिन्होंने उस सीरीज में रन बनाए थे.

हमेशा धोनी ने आगे बढ़कर बल्लेबाजी की है. चाहे वो एक टेस्ट मैच हो, एक वन-डे हो, एक अंतरराष्ट्रीय टी20 मैच हो या फिर आईपीएल. उनके बारे में शानदार कमेंटरी की गई. धोनी एक शानदार अंत करने वाला बल्लेबाज या छह छक्के लगाने वाला धोनी...

बेशक यह सच है, एक दिवसीय अर्न्तराष्ट्रीय मैच हों या आईपीएल हो. सभी में धोनी ने कमाल किया. उन्होंने मैच का फॉरमेट बदले जाने पर भी खुद को तैयार रखा.

"जब वो बॉल को मारते हैं, वह होता है हिट."

आईपीएल और चैम्पियन लीग समेत टी20 में धोनी का औसत 38 और उनका स्ट्राइक रेट 137 रहा है.  

एडम गिलक्रिस्ट कहते हैं कि "महेन्द्र सिंह धोनी अगले गिलक्रिस्ट नहीं हैं. वह पहले एमएस धोनी हैं."
 
अर्न्तराष्ट्रीय टी20 मैच में धोनी का औसत 34 रहा. (जिसकी 45 पारियों में वह 20 बार नॉट ऑउट रहे.) लेकिन उनका स्ट्राइक रेट 116 है.

इयान बिशप कहते हैं कि "जब मैच में आखरी छः गेंदों पर जीत के लिए 15 रन बनाने हों तो दबाव बॉलर पर होता है एमएस धोनी पर नहीं."

शायद बिशप 2010 में आईपीएल के उस सेमीफाइनल को याद करते हैं जो चैन्नई सुपर किंग्स और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच खेला गया था. उस मैच के आखरी ओवर में धोनी ने 4, 2, 6, 6 रन बनाए थे. और मैच जीत लिया था. गेंदबाजी इरफान पठान कर रहे थे. धोनी ने 186 के स्ट्राइक रेट से (29) 54 रन बनाए थे. अब इरफान पठान अंतरराष्ट्रीय टी20 मैचों में धोनी के सामने गेंदबाजी नहीं करते हैं.

धोनी कुल मिलाकर 194 टी20 मैच खेल चुके हैं. जिसमें से 50 टी20 मैच उन्होंने 2007 से 2015 तक खेले हैं. अभी तक वे इस श्रेणी के मैच में अपना अर्ध शतक नहीं बना पाए हैं. उनका अधिकतम स्कोर 43 गेंदों पर 48 रन रहा है.

आस्ट्रेलिया में भारत ने यही मैच 31 रनों से गवां दिया था. 24 मैचों में भारत ने जीत दर्ज कराई है, जिनमें धोनी का बल्लेबाजी औसत 42 और स्ट्राइक रेट 136 रहा है. 21 मैचों में भारत को हार का मुंह देखना पड़ा, जिनमें धोनी का स्ट्राइक रेट गिरकर 98 पर पहुंच गया था.


कितने लोगों को याद है कि जब 2007 में टी20 वर्ल्डकप का फाइनल चल रहा था. 15वें ओवर में उमर गुल ने धोनी को बोल्ड कर दिया था. और कई लोग कैसे भूल सकते हैं कि कभी पाकिस्तान को पछाड़कर टी20 कप धोनी ने कैसे उठाया था.

औसत और स्ट्राइक रेट से धोनी को परिभाषित नहीं किया जा सकता. धोनी उनके संख्यात्मक आंकड़ों की तुलना में बहुत अधिक मजबूत हैं. बिल्कुल उसी तरह जैसे अफरीदी पाकिस्तान के लिए हैं. सीमित ओवरों के खेल में एमएस धोनी सबसे बड़ा आकर्षण होते हैं.

भारत ने उनके टेस्ट रिटारमेंट को तो आसानी से बर्दाश्त कर लिया था लेकिन दूसरे क्रिकेट फॉरमेट से उनका रिटारमेंट भारतीय क्रिकेट जगत के लिए बहुत बड़ा नुकसान साबित हो सकता है.

विराट कोहली ने 28 अंतरराष्ट्रीय टी20 मैच खेले हैं. जिनमें उनका औसत 46 था और स्ट्राइक रेट 132. और उन्होंने 9 अर्ध शतक भी बनाए हैं.

धोनी के विपरीत विराट का प्रदर्शन आईपीएल की बजाय अंतरराष्ट्रीय टी20 मैचों में बेहतर रहा है. मैं अक्सर मजाक में कहता हूँ कि कोहली ने रॉयल चैलेन्जर बैंगलोर (आरसीबी) का नहीं, भारत का ठेका लिया है.

विश्वकप के बाद मुझे भारत में क्रिकेट के तीनों फॉरमेट के लिए एक ही कप्तान नजर आता है. पर सवाल है कि क्या धोनी विराट कोहली के नेतृत्व में खेलेंगे? या फिर आंकड़ों के मुताबिक वह केवल अंतरराष्ट्रीय टी20 टीम में अपनी जगह बनाएंगे. पहले विकेटकीपर के तौर पर, सुपरस्टार की तरह, आखरी ओवर में भरोसेमंद और बाद में एक बल्लेबाज के तौर पर. क्रिकेट दस्तानों को उतारने की तरह उनसे कप्तानी भी ले लो और उन्हें उनकी आभा से दूर कर दो. फिर उन्हें एक गहरे बिंदु पर नग्न छोड़ दो.

चैन्नई सुपर किंग्स के डीजे ब्रावो कहते हैं कि “मैं उनके द्वारा खेले गए कुछ ओवर देखता हूँ और महेंद्र सिंह धोनी से कप्तानी की बारिकियां सीख रहा हूँ.”

धोनी अपने पहले वनडे में शून्य पर ऑउट हो गए थे. फिर 12 और 7 रन नाबाद ही बना पाए थे. 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ. और कितनों को याद है पाकिस्तान के खिलाफ 148 रनों का लक्ष्य पाने का संघर्ष? शुरुआती दौर के सात में से 3 मैंचों में धोनी को विफलता मिली थी. उन दिनों गांगुली टीम के कप्तान थे. और धोनी के बाल लंबे हुआ करते थे.

क्या यह वक्त धोनी के लिए एक बार फिर से खिलाड़ी के रूप में क्रिकेट को गले लगाने का है? उनकी जिन्दगी कप्तान या उप कप्तान पद के बिना बहुत आसान हो जाएगी.

कौन जानता है कि हेलीकाप्टर का कोई सिक्वल हो सकता है- मंगल ग्रह परिक्रमा यान.

, धोनी, कोहली, क्रिकेट विश्व कप

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