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Updated: 14 अगस्त, 2016 04:42 PM
अशोक उपाध्याय
अशोक उपाध्याय
  @ashok.upadhyay.12
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रियो ओलंपिक में भारत के अभी तक के निराशाजनक प्रदर्शन से लोगो में निराशा एवं खीझ व्याप्त है . अभी भारत में भले ही इस प्रदर्शन का आंकलन नहीं शुरू हुआ है पर चीन की मीडिया में इस पर बात हो रही है कि सबसे बड़े खेल आयोजन में भारत क्यों बार-बार फेल होता रहा है?

उनके अनुसार भारत के निराशाजनक प्रदर्शन के प्रमुख कारण हैं मूलभूत ढांचे की कमी, स्वास्थ्य की कमी, ग़रीबी, लड़कियों को खेलों से दूर रखना, लड़कों पर अच्छे डॉक्टर और इंजीनियर बनने का दबाव, क्रिकेट की लोकप्रियता और ओलंपिक के बारे में ग्रामीण इलाक़ों में जानकारी की कमी. चीनी मीडिया का आंकलन एक हद तक सही भी है.

लेकिन भारत की मीडिया और यहां के लोगों का ध्यान अभी खेल मंत्री विजय गोयल पर है. ओलंपिक ऑर्गनाइजिंग कमेटी ने खेल मंत्री विजय गोयल का पास कैंसल करने की धमकी दी है. ओलंपिक ऑर्गनाइजिंग कमेटी की कॉन्टिनेंटल मैनेजर सारा पीटरसन ने एक पत्र भारतीय दल के मुखिया राकेश गुप्ता को भेजा है. इसमें सख्त लहजे में लिखा गया है, 'ऐसा कई बार हुआ है कि गोयल ऐसे लोगों को भी गेम वेन्यू पर ले गए, जिनके पास स्पेशल एंट्री के लिए एक्रिडेशन नहीं था. इतना ही नहीं, मंत्री के साथ आए लोगों ने हमारे स्टाफ के साथ खराब बर्ताव किया. एक दो मौकों पर धक्का-मुक्की भी हुई.'

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 विवादों में विजय गोयल!

लगता हैं कि मंत्री जी एवं उनके गुर्गों ने रियो को चांदनी चौक समझ लिया था. आयोजन समिति के लोगों को वैसे ही चमका रहे थे जैसे कि भारत में करते हैं. 'तू जानता नहीं मैं कौन हूं' यह धौंस भारत के लोगों के साथ भले ही काम कर जाये पर ओलंपिक समिति ने मंत्री एवं उनके लोगों को बता दिया की नियम हर किसी के लिए बराबर होता हैं .

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यही नहीं हमारे खेल मंत्री महोदय थके- हारे हुए खिलाड़ियों के साथ सेल्फी खीच कर उसको सोशल मीडिया पर डालने के लिए उतावले दिख रहे थे. भारत के ख़राब प्रदर्शन से तो लोग दुखी थे ही, विजय गोयल के 'दुर्व्यवहार' से लोगों के गुस्से का अंबार उनपर फूट पड़ा. सोशल मीडिया ने उनपर हमला किया तो कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से उनको वापस बुलाने की मांग कर डाली .

जिस दिन विजय गोयल पर लोगों का गुस्सा अपने चरम पर था, उसी दिन ये खबर आई कि हरियाणा के खेल मंत्री अनिल विज की अगुवाई में सरकार का 8 सदस्यीय दल रियो के लिए रवाना हो गया है.

उनके साथ रेवाड़ी से बीजेपी विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास, पंचकूला से विधायक ज्ञानचंद गुप्ता, मुख्य मंत्री के मीडिया अडवाइजर अमित आर्य, खेल व युवा मामलों के अतिरिक्त मुख्य सचिव केके खंडेलवाल, खेल व युवा मामलों के विभाग के निदेशक जगदीप सिंह, अतिरिक्त खेल निदेशक ओपी शर्मा तथा दो अन्य प्राइवेट सेक्रेट्री भी गए हैं. इस दल में ओपी शर्मा एक मात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी खेल की पृष्ठभूमि है. वे हॉकी के नैशनल प्लेयर रहे हैं. जबकि शेष का खेल से कोई सीधा नाता नहीं है. दल पर करीब 1 करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान लगाया गया है.

विजय गोयल यह कहते फिर रहे हैं कि मैं सब कुछ अपने खिलाड़ियों की हौसला आफजाई के लिए कर रहा हूं तो अनिल विज ने भी ट्वीट कर अपने दौरे का मकसद बताते हुए कहा कि वो हरियाणा के खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाएंगे. अगर इस दल की बात मानें तो ये वहां खेल के ढांचे और इससे जुड़े दूसरे मुद्दों का अध्ययन करेगा ताकि प्रदेश में इसी हिसाब से काम किया जा सके.

दीपा कर्माकर ने जब अपने लिए एक फिजियो की मांग की तो स्पोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (साई) इस आग्रह को इस आधार पर दरकिनार कर दिया गया की यह ॉव्यर्थ का खर्च है . लेकिन जब दीपा फाइनल में चली गई तो जल्दबाजी में उस फिजियो को ओलिंपिक में भेजा गया .

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दीपा की फिजियो की मांग फजूल का खर्च पर हमारे मंत्रियों का करोड़ो रूपये खर्च कर ओलंपिक का लुत्फ़ उठाना जरुरी. ये न केवल हमारी सरकार की मनोदशा और प्राथमिकता दर्शाता है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय खेलों में भारत के बदहाली का किस्सा भी कहता है . चीन की मीडिया का आंकलन सटीक होने के बावजूद इस प्रमुख पहलू को या तो नजरअंदाज कर गया या समझ नहीं पाया . जब तक भारतीय खेलों में राजनेताओं का वर्चस्व रहेगा और जब तक खिलाड़ियों की बजाय उनको प्राथमिकता मिलेगी, तब तक भारत कभी भी खेल का सुपर पावर नहीं बन पायेगा.

भारत में न तो प्रतिभा की कमी है न लगन की. कमी है तो इस प्रतिभा को समुचित संसाधन देकर निखारने की . और जब तक इस संसाधन की कमान पूर्णतया राजनेताओं के पास रहेगी, भारत पदक तालिका में फिसड्डी ही बना रहेगा.

लेखक

अशोक उपाध्याय अशोक उपाध्याय @ashok.upadhyay.12

लेखक इंडिया टुडे चैनल में एडिटर हैं.

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