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Updated: 17 नवम्बर, 2015 05:44 PM
अभिषेक पाण्डेय
अभिषेक पाण्डेय
  @Abhishek.Journo
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दुनिया भर के बल्लेबाज अब राहत की सांस ले सकते हैं क्योंकि लगभग एक दशक तक बल्लेबाजों के लिए आतंक का पर्याय बने रहे मिशेल जॉनसन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है. जॉनसन के कहर का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2013 की एशेज सीरीज में उनकी कहर बरपाती गेंदों ने इंग्लिश बल्लेबाजों का जीना मुहाल कर दिया था. आलम ये कि 5 टेस्ट मैचों की उस सीरीज में इंग्लिश टीम सारे मैच गंवा बैठी. इस गेंदबाज ने कातिलाना गेंदबाजी करते हुए उस सीरीज में 37 विकेट चटकाए और सीरीज 5-0 से ऑस्ट्रेलिया के नाम कर दी. आइए डालें एक नजर जॉनसन के करियर और 34 साल की उम्र में ही संन्यास लेने की वजह पर.

ऑस्ट्रेलिया के सबसे महान तेज गेंदबाजों में से एकः

मिशेल जॉनसन का नाम दुनिया के सबसे बेहतरीन तेज गेंदबाजों में लिया जाता है. वह ऑस्ट्रेलिया के लिए टेस्ट मैचों में चौथे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं. उनसे ज्यादा विकेट सिर्फ शेन वॉर्न (708), ग्लेन मैक्ग्रा (567) और डेनिस लिली (355) ने लिए हैं. जॉनसन ने इंटरनेशनल क्रिकेट में कुल 588 विकेट लिए हैं, जिनमें से 73 टेस्ट मैचों में 311 विकेट, 153 वनडे में 239 विकेट और 30 टी20 में 38 विकेट शामिल हैं. जॉनसन ने खासकर मैक्ग्रा के संन्यास के बाद ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में आए खालीपन को अपनी तूफानी गेंदबाजी से बखूबी भरा. उनकी खौफजदा करने वाली गेंदबाजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी सबसे तेज गेंद की रफ्तार 156.8 किलोमीटर/प्रति घंटा है, जो उन्होंने 2013 में बॉक्सिंग डे टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ फेंकी थी.

ऐसा नहीं है कि जॉनसन ने क्रिकेट में बुरे दिन नहीं देखे. उनकी फॉर्म में 2010 एशेज के दौरान काफी गिरावट आई और इसके बाद 2011 में चोट ने खेल और बिगाड़ दिया और लगभग एक साल तक वह टीम से बाहर रहे. लेकिन इस समय का उपयोग उन्होंने खुद को निखारने में किया और जोरदार वापसी की. 2013 की सर्दियों में जॉनसन के आतंक से पूरी दुनिया के बल्लेबाज आतंकित हो उठे. उस दौरान महज 8 टेस्ट मैचों में ही उन्होंने 59 विकेट चटका दिए और ऑस्ट्रेलिया को पहले इंग्लैंड पर 5-0 से और फिर साउथ अफ्रीका को उसी के घर में ऐतिहासिक जीत दिला दी. जॉनसन 2007 और 2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम के सदस्य थे. उन्होंने अपने संन्यास की घोषणा के दौरान कहा भी कि ऑस्ट्रेलिया के लिए वर्ल्ड कप और एशेज सीरीज जीत उनके करियर के सबसे यादगर पल रहे. उन्हें दो बार (2009, 2014) आईसीसी के बेस्ट क्रिकेटर के अवॉर्ड से नवाजा गया. जॉनसन ने कई बार बैट से भी अपना कमाल दिखाया और टेस्ट क्रिकेट में एक शतक भी जड़ा.

 'ऑस्ट्रेलिया के लिए खेलना सम्मान की बात' 

अपने रिटायरमेंट की घोषणा करते हुए जॉनसन ने कहा, ‘यह अलविदा कहने का सही समय है.’ उन्होंने कहा, ‘एक शानदार करियर के लिए मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं. मैंने अपने देश के लिए खेलने के हर क्षण का लुत्फ उठाया.' लेकिन इस यात्रा को कहीं खत्म होना ही था और इसका वाका पर खत्म होना विशेष है.' जॉनसन ने अपने सफल क्रिकेट करियर के लिए अपने परिवार और अपनी पत्नी के सहयोग का जिक्र करते हुए कहा कि उनके समर्थन के बिना मुझे यह सफलता नहीं मिल पाती. जॉनसन ने कहा, ‘उन्होंने बहुत त्याग किए, खासकर मेरी खूबसूरत पत्नी जेसी ने, जिन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया, मैं इसके लिए तहे दिल से उनका आभारी हूं.’

एशेज में हार, खराब फॉर्म है जल्द संन्यास की वजहः जॉनसन की उम्र अभी महज 34 साल है और वह बड़े आराम से कुछ साल और ऑस्ट्रेलिया के लिए खेल सकते थे. लेकिन कुछ महीने पहले इंग्लैंड के हाथों एशेज में ऑस्ट्रेलिया को मिली हार, जॉनसन की गिरती फॉर्म और बाएं हाथ के साथी युवा तेज गेंदबाज मिशेल स्टार्क के चमकने से जॉनसन के लिए अपने भविष्य पर विचार करना जरूरी हो गया था. इस साल एशेज में इग्लैंड से मिली शर्मनाक हार के बाद से महज कुछ महीनों के अंदर ही रेयान हैरिस, माइकल क्लार्क, क्रिस रोजर्स, शेन वॉटसन, ब्रैड हैडिन जैसे पांच ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर संन्यास ले चुके हैं, अब जॉनसन का नाम इस लिस्ट में छठे खिलाड़ी के तौर पर जुड़ गया है. 

न्यू जीलैंड के साथ जारी टेस्ट सीरीज के अब तक हुए दोनों मैचों में जॉनसन आउट ऑफ फॉर्म नजर आए हैं. ब्रिस्बेन में हुए पहले टेस्ट में उन्होंने 163 रन देकर 4 विकेट लिए और जब पर्थ में खेले जा रहे दूसरे टेस्ट की पहली पारी में भी वह 157 रन लुटाकर महज एक विकेट ही ले पाए तो उनके लिए यह अंत के संकेत की तरह था. यह पर्थ में किसी भी ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज का सबसे खर्चीला प्रदर्शन है. 

जॉनसन ने 27 नवंबर से एडिलेड में होने वाले ऐतिहासिक डे-नाइट टेस्ट तक खेलने का भी इंतजार नहीं किया. हालांकि टेस्ट मैच के दूधिया रोशनी और गुलाबी गेंद से खेले जाने के वह समर्थक नहीं थे क्योंकि उन्हें टेस्ट क्रिकेट का पारंपरिक अंदाज ही पसंद है. 

एक दशक तक अपनी बेहतरीन गेंदबाजी से क्रिकेट के खेल को और रोचक बनाने और जोरदार प्रदर्शन करने के लिए इस महान तेज गेंदबाज और चैंपियन क्रिकेटर को हमेशा याद रखा जाएगा. 

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लेखक

अभिषेक पाण्डेय अभिषेक पाण्डेय @abhishek.journo

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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