New

होम -> स्पोर्ट्स

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 24 मई, 2016 02:09 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

वह इंग्लैंड की एक क्रिकेट लीग के लिए खेल रहे हैं. अचानक जब सोमवार को भारत से उनके पिता ने उन्हें फोन करके बताया कि जिम्बाब्वे दौरे के लिए उनका टीम इंडिया में सेलेक्शन हो गया है तो एकबारगी उन्हें यकीन ही नहीं हुआ. पहली बार टीम इंडिया के लिए चुने गए 30 वर्षीय फैज फजल इस मौके के बारे में कहते हैं, 'यह बड़ा मौका है, मैं बहुत खुश हूं. खुशी हो भी क्यों न, फैज को टीम इंडिया के लिए तब चुना गया जब वह टीम में आने की उम्मीद छोड़ चुके थे और उन्हें अपना करियर डूबता नजर आ रहा था.

पिछले कुछ वर्षों से मैं इस मौके का इंतजार कर रहा था लेकिन हर बार मेरे हाथ निराशा लगी. यह बहुत ही मजाकिया है कि जब आप उस चीज की उम्मीद करना छोड़ देते हो जिसका आपने हमेशा पीछा किया, वही होने लगती है.' आइए जानें टीम इंडिया के नए चेहरे फैज फजल के बारे में.

देर से ही लेकिन एकदम दुरुस्त मौका मिला फजल कोः

विदर्भ के इस बेहतरीन बल्लेबाज को 30 वर्ष की उम्र में पहली बार टीम इंडिया के लिए चुना गया है. फजल को धोनी के नेतृत्व में जून में जिम्बाब्वे दौरे पर जाने वाली टीम में चुना गया है. उनके इस दौरे में शिखर धवन की जगह ओपनिंग करने की उम्मीद है, जिन्हें इस दौरे के लिए आराम दिया गया है. फजल को भले ही टीम इंडिया के लिए खेलने का मौका न मिला हो लेकिन प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने ढेरो रन बनाए हैं.

2003 में विदर्भ के लिए रणजी ट्रॉफी में अपना प्रथम श्रेणी डेब्यू करने वाले फजल के नाम 79 प्रथम श्रेणी मैचों में 40.15 की औसत से 5341 रन दर्ज हैं, जिनमें 11 सेंचुरी और 27 हाफ सेंचुरी शामिल हैं. वह आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की तरफ से भी खेल चुके हैं. उन्होंने 2010 और 2011 में राजस्थान के लिए आईपीएल खेला, उनके नाम 12 आईपीएल मैचों में 183 रन दर्ज हैं और उनका उच्चतम स्कोर 45 रन रहा है. हालांकि इस वर्ष फरवरी में हुई आईपीएल नीलामी में 10 लाख की बेस प्राइज वाले फजल को कोई खरीददार नहीं मिला था. इसके बाद ही वह इंग्लैंड के डरहम में नॉर्थ ईस्ट लीग के प्रीमियर डिविजन में हेटेन लायंस क्रिकेट क्लब की तरफ से खेलने चले गए. फजल का जब जिम्बाब्वे दौरे के लिए टीम में चयन हुआ तो वह इंग्लैंड में थे.

faiz-fazal-650_052416020518.jpg
फैज फजल 2010 और 2011 में राजस्थान रॉयल्स के लिए आईपीएल में खेल चुके हैं

फजल को मिला ईरानी कप और देवधर ट्रॉफी में अच्छे प्रदर्शन का इनामः

भले ही फजल विदर्भ के लिए एक दशक से भी ज्यादा लंबे समय से शानदार प्रदर्शन करते आए हैं और उनके नाम 79 प्रथम श्रेणी मैचों में 5000 से ज्यादा रन दर्ज हैं. लेकिन रणजी के 2015-16 सत्र में उन्होंने 15 पारियों में 39.93 की औसत से 559 रन ही बनाए हैं, जोकि बहुत प्रभावशाली नहीं है. तो आखिर उनका चयन किस आधार पर हुआ. तो जवाब है ईरानी कप और देवधर ट्रॉफी में उनके जोरदार प्रदर्शन के कारण. पहले तो इस साल जनवरी में उन्होंने देवधर ट्रॉफी के फाइनल में इंडिया-ए के सेंचुरी जड़ी और उसे चैंपियन बनाया फिर मार्च में खेले गए ईरानी कप के फाइनल में रणजी चैंपियन मुंबई के खिलाफ भी दूसरी पारी में सेंचुरी लगाते हुए इंडिया-ए की जीत में अहम भूमिका निभाई.

ईरानी कप और देवधर ट्रॉफी के इन जोरदार प्रदर्शनों ने ही चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा. इन प्रदर्शनों ने वह काम कर दिया जो फजल की एक दशक की बैटिंग भी नहीं कर पाई. अब फजल को जिम्बाब्वे दौरे पर अपने ऊपर चयनकर्ताओं द्वारा जताए भरोसे को न सिर्फ सही साबित करना है बल्कि टीम में अपनी जगह भी पक्की करनी है. क्रिकेट में मौकों की क्या महत्ता होती है इसे उनसे बेहतर कौन जानता होगा. उन्हें आज भी 2004 में चोट के कारण अंडर-19 टीम से बाहर होने का अफसोस है. तब उनकी जगह उस टीम में शिखर धवन को चुना गया था. अब संयोग देखिए जिम्बाब्वे दौरे पर वह उन्हीं शिखर धवन की जगह टीम इंडिया की ओपनिंग करेंगे.

फजल धोनी के नेतत्व में खेलने के लिए उत्साहित हैं. वह कहते हैं कि सिर्फ कुछ मौकों पर उनके खिलाफ खेलने के अलावा मुझे धोनी के साथ ज्यादा खेलने का मौका नहीं मिला लेकिन अब वह टीम इंडिया के लिए अच्छआ प्रदर्शन करना और धोनी से बहुत कुछ सीखाना चाहते हैं. वह कहते हैं, ‘भारत में कौन सा क्रिकेटर धोनी के नेतृत्व में खेलना नहीं चाहता.’

फैज फजल को भले ही थोड़ी देर से टीम इंडिया में आने का मौका मिला हो लेकिन अच्छी चीजों की शुरुआत के लिए न तो जीवन में और न ही क्रिकेट में कभी देर होती है.

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय