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Updated: 19 दिसम्बर, 2022 08:33 PM
कुमार विवेक
कुमार विवेक
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विश्वकप का इससे बेहतर रोमांच नहीं ही सकता था. मेसी और अर्जेंटीना के लिए शुरुआत भी इससे अच्छी नहीं हो सकती थी. भले ही लोग यह कहें की फ्रांस नें काफी अच्छा खेला लेकिन शुरुआती 79 मिनट तक फ्रांस कहीं भी मुकाबले में नहीं लगा. लेकिन 80 वें मिनट में एक पेनाल्टी मिलता है और यहीं से एमबाप्पे खेल में आते है . वह फ्रांस के लिए पहला गोल कर जाते हैं फिर अगले ही मिनट एमबाप्पे नें एक और दनदनाता शाट गोल पोस्ट में पहुंचा दिया अब स्कोर 2-2 के लेबल पर था. मेसी के लिए दुआएं कर रहे लाखों -करोड़ों की उम्मीदें टूटने लगी थी. यह वैसा ही क्षण था जैसे 2011 क्रिकेट विश्वकप फाइनल में सहवाग और सचिन को जल्द ही खोने के बाद हमने महसूस किया था. अब मैच अतिरिक्त समय के लिए बढ़ चला था फिर मेसी का जादू दिखता है. तकनीकी प्रतिभा के दम पर मेसी का किया एक गोल एक बार फिर अर्जेंटीना को बढ़त दिला गया. यह बढ़त सिर्फ 9-10 मिनट ही अर्जेंटीना के पास रही.फ्रांस के एमबाप्पे नें फिर अपनी हैट्रिक गोल से यह बढ़त उतार दी.

France, Argentina, Victory, Fifa, Football, World Cup, Messi, Mbappe, Sachinफ्रांस को हराकर मेसी का फुटबॉल विश्व कप जीतना भर था उनमें और सचिन में कई समानताएं नजर आ रही हैं

स्कोर अब 3-3 पर था.अब आगे किस्मतों का खेल था.खेल पेनल्टी शूट आउट में पहुंच गया था. यह वैसे ही था जैसे 2007 के टी-20 विश्वकप में भारत -पाकिस्तान के मैच में स्कोर लेबल होने के बाद हुआ था.उस मैच में विकेट कीपर पीछे था और एक-एक खिलाड़ी को बारी-बारी से गेंद विकेट पर हिट करनी थी.इस मैच में गोल कीपर था और एक-एक खिलाड़ी को बारी-बारी से गेंद को गोलपोस्ट में डालना था.

यह प्रतिभा से अधिक अब किस्मतों और गोलकीपर की प्रतिभा का खेल हो चुका था. अर्जेंटीना अधिक भाग्यशाली था क्योंकि उसके हिस्से मार्तिनेज जैसा गोलकीपर था जो ऐसे मौकों पर पहले भी अपने खेल को सर्वश्रेष्ठ स्तर पर ले जा चुका था.जब मार्तिनेज नें एक गोल बचाया और फ्रांस नें एक गेंद पोस्ट से बाहर मार दी तभी अर्जेंटीना की जीत तय लग रही थी और अंत मे अर्जेंटीना और मेसी नें विश्वकप जीत ही लिया.

फ्रांस के एमबाप्पे जो पूर्व में विश्वविजेता टीम का हिस्सा रह चुके हैं नें इस हार को टालने की इकलौती और भरसक कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहे. एमबाप्पे अंत तक हार टालने के लिए एक योद्धा की तरह लड़ते रहे.लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे प्रकृति खुद मेसी के लिए रास्ता बना रही थी और एमबाप्पे से कह रही थी आगे का समय आपका है.

मेसी इस विश्व विजेता टीम का हिस्सा न होते तो भी उनकी श्रेष्ठता पर शायद ही सवाल उठता हां उनके लिए इसकी कसक जरूर रह जाती.जैसे सालों तक सचिन नें अपने दम पर भारतीय क्रिकेट को ढोया था वैसे ही मेसी नें अर्जेंटीना को सालों तक अपने कंधे पर ढोया था.हमारे लिए जो जज्बात सचिन के लिए होते थे वही जज्बात अर्जेंटीना वालों के लिए मेसी के लिए होता है.

जैसे सचिन के समर्थन के लिये विपक्षी दर्शक भी साथ हो लेते थे या यूं कहें जैसे सचिन के वैश्विक प्रशंसक थे वैसे ही पूरी दर्शक दीर्घा मेसी की हो जाती है.जैसे साल 2011 का क्रिकेट विश्वकप सचिन का आखिरी वर्ड कप होने का अनुमान था वैसे ही मेसी के लिए यह फुटबाल का विश्वकप था.जैसे सचिन के लिए पूरी टीम विश्वकप जीतना चाहती थी वैसे ही मेसी के लिए पूरी अर्जेंटीना की टीम खिताब कब्जा करना चाहती थी.

जैसे सचिन के पास हर रिकॉर्ड था और अधिकतर ट्राफियां थी वैसे ही मेसी के पास भी हर ट्राफी थी.लेकिन दोनों के पास विश्वकप ट्राफी का अभाव था.सचिन इस ट्राफी को अपने कैरियर के आखिरी दौर में छू पाए तो मेसी भी अपने कैरियर के ढलान पर इसे कल छू सके. और हां जैसे सचिन के दौर में ही विराट कोहली का उदय हो रहा था वैसे ही मेसी के ही दौर में एमबाप्पे का उदय हो रहा है.

लेखक

कुमार विवेक कुमार विवेक @5348576095262528

Prsnt Asst Teacher at Basic Shiksha Parishad ,लेखक,WORKED at REVENUE DEPT UP GOV from 2016 to August2018 ,WORKED as EDI in IND POSTYEAR 2010

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