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Updated: 21 सितम्बर, 2015 02:49 PM
विनीत कुमार
विनीत कुमार
  @vineet.dubey.98
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खिलाड़ी के तौर पर जगमोहन डालमिया का क्रिकेट से इतनी ही रिश्ता रहा कि वह कभी कॉलेज की टीम में विकेटकीपर थे. बाद में कुछ क्रिकेट क्लबों के लिए भी खेला. करियर उन्हें पारिवारिक बिजनेस की ओर ले गया लेकिन तकदीर उन्हें दोबारा क्रिकेट की ओर ले आई.

कोई शक नहीं कि डालमिया ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को दुनिया का सबसे ताकतवर क्रिकेट बोर्ड बनाने में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने बीसीसीआई को उस स्थान पर पहुंचा दिया जहां से वह क्रिकेट की दुनिया को अपने अंदाज में हांकने लगा. हाल में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के कारण बीसीसीआई के प्रशासनिक ढांचे की जब खूब आलोचना हुई तो पूरा बोर्ड एक बार फिर उनकी ओर उम्मीद से देखने लगा. डालमिया के दोबारा बीसीसीआई अध्यक्ष चुने जाने पर सवाल भी उठे कि जब उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो इतनी बड़ी जिम्मेदारी उन पर क्यों.

शायद डालमिया का रूतबा रहा होगा या उनकी 'बड़ी इमेज' जिसके कारण वह इस साल निर्विरोध बीसीसीआई अध्यक्ष चुने गए.

लेकिन यह भी मानना होगा कि डालमिया के कार्यकाल ने ही बीसीसीआई का विवादों से भी परिचय कराया. 90 के दशक में बीसीसीआई जिस तेजी से क्रिकेट के वैश्विक पटल पर उभरा और जो अथाह पैसा बोर्ड पर बरसने लगा, वह अपने साथ कई विवाद ले आया.

बीसीसीआई में जब डालमिया की तूती बोलती थी, तब के दौर का सबसे बड़ा विवाद मैच फिक्सिंग प्रकरण के रूप में सामने आया. डालमिया पर आरोप लगा कि वह जानबूझकर इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन सीबीआई जांच में अजहरूद्दीन समेत कुछ भारतीय और दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों के नाम सामने आए.

डालमिया को 1996-विश्व कप का भारतीय महाद्वीप पर सफल आयोजन कराने का भी श्रेय जाता है. लेकिन यह भी आरोप लगे कि उन्होंने इस टूर्नामेंट के प्रसारण अधिकार हासिल करने वाले मार्क मैसकरहेन और उनकी कंपनी वर्ल्ड टेल से पैसे लिए. इसी विश्व कप के आयोजन में वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप भी डालमिया पर लगे. जब बीसीसीआई पर ललित मोदी, एन. श्रीनिवासन और शरद पवार का गुट हावी होने लगा तो डालमिया को 2006 में बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. संयोग देखिए, जब करीब 9 साल बाद डालमिया वापसी करते हैं और तमाम विरोधी उनका साथ भी देते हैं.

बहरहाल, वर्ल्ड कप के दौरान वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप में मुंबई पुलिस ने 2008 में डालमिया को गिरफ्तार किया. डालमिया इसके बाद सुप्रीम कोर्ट गए. इन मामलों में उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला लेकिन उनकी छवि जरूर दागदार हुई. बीसीसीआई अध्यक्ष रहने के दौरान डालमिया पर यह भी आरोप लगे कि वह अपनी मर्जी चलाते है.

डालमिया अब हमारे बीच नहीं है. बीसीसीआई के साथ सफर के दौरान उनका विरोध करने वालों की तादाद बढ़ी. लेकिन वे विरोधी भी इससे सहमत होंगे कि डालमिया अपने पीछे भारतीय और विश्व क्रिकेट में प्रशासनिक स्तर पर एक गहरी छाप छोड़ गए है जिसका अनुसरण सभी करना चाहेंगे.

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विनीत कुमार विनीत कुमार @vineet.dubey.98

लेखक आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

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