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Updated: 11 जुलाई, 2015 12:56 PM
बोरिया मजूमदार
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जैकीचंद सिंह 45 लाख, थोई सिंह 86 लाख, यूजेनेसन लिंगदोह एक करोड़ से ज्यादा और सुनील छेत्री 1.20 करोड़! यह भारतीय फुटबॉल का नया रूप है. पुणे सिटी एफसी का इस सत्र के 'प्लेयर ऑफ आईलीग' जैकीचंद को खरीदना और चेन्नई का थोई को मोटे पैसे में अपनी टीम में शामिल करना भारतीय फुटबॉल के लिए निश्चित तौर पर एक शुभ संकेत है. यूजेनेसन और सुनील छेत्री करोड़ की राशि पाने में सफल रहे. लेकिन इसी दिन भारतीय फुटबॉल टीम के लिए निराशाजनक खबर भी आई. भारत फीफा विश्व रैंकिंग में और 15 पायदान नीचे 156वें स्थान पर फिसल गया. 

ऐसे में बड़ा प्रश्न यही है कि क्या इंडियन सुपर लीग (ISL) भारतीय फुटबॉल की दशा और दिशा बदल सकता है? क्या यह भारतीय युवाओं को फुटबॉल अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है? और इन सबसे अहम, क्या यह क्रिकेट के बाद फुटबॉल को देश का दूसरा सबसे लोकप्रिय खेल होने का गौरव प्रदान कर सकता है? 

अगर यह सब होना है तो ISL को केवल दो महीनों का टूर्नामेंट बनाकर नहीं रखा जा सकता. ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) के लिए जरूरी है कि वह ISL के महत्व को महसूस करे. उसे पर्याप्त समय दे. ISL पहले ही आई लीग से बड़ा टूर्नामेंट बन चुका है और दुनिया के कुछ बड़े खिलाड़ियों का यहां आना इसे और बड़ा और बेहतर बनाएगा. स्टार खिलाड़ियों की मौजूदगी दूसरे संस्करण में प्रशंसकों को आकर्षित करने में कामयाब होगी. दूसरे संस्करण के ज्यादा सफल होने की संभावना का एक और कारण भी है. लीग की सभी फ्रेंचाइजी अब ज्यादा पेशेवर तरीके से काम करेंगी. यह उम्मीद की जानी चाहिए कि टीम का चयन पूरी तरह से कोच और टेक्निकल स्टाफ पर ही निर्भर होगा. टीम के मालिक कम से कम हस्ताक्षेप करेंगे और सभी टीमें खिलाड़ियों का सम्मान करेंगी. हालांकि, दिसंबर के बाद फिर से प्रशंसकों को अगर 10 महीने का इंतजार करना पड़े, तो फुटबॉल को बढ़ावा देने की इन कोशिशों को जरूर धक्का लगेगा. रूचि को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि टूर्नामेंट को जारी रखा जाए. इसका एकमात्र रास्ता यहीं है कि ISL और आई लीग में समन्वय बनाया जाए. 

भारत को अंडर-17 विश्व कप की मेजबानी करनी है और इसमें अब केवल दो साल बाकी रह गए हैं. इसके सफल आयोजन के लिए जरूरी है कि AIFF कमर कस ले. युवाओं को फुटबॉल की ओर आकर्षित करने का यह सबसे अच्छा मौका होगा. ISL भी इसमें एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. इस साल ISL का रोमांच 3 अक्टूबर से शुरू हो रहे दूसरे संस्करण से देखने को मिलेगा. लेकिन यह रोमांच और उत्सुकता अगर ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाओं को आकर्षित करने में सफल रहा तो हमें भविष्य में कई थोई और जैकीचंद देखने को मिल सकते हैं. इसके बाद ही हम इस प्रयास को सफल मानेंगे. 

फिलहाल, तो हम इस बात की खुशी मना ही सकते हैं कि भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी ऑक्शन में करोड़ रुपयों से ज्यादा हासिल करने लगे हैं. यह अपने आप में पहले संस्करण की सफलता की कहानी कहता है. वहीं. खेल की मार्केटिंग अगर की जाए तो उसके क्या फायदे हो सकते हैं, उसकी भी यह एक बानगी है. हम उम्मीद कर सकते हैं कि भविष्य में भी यह क्रम जारी रहेगा भारतीय फुटबॉल पर सकारात्मक असर डालने में कामयाब होगा.

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लेखक

बोरिया मजूमदार बोरिया मजूमदार @cristorian

लेखक रोड्स स्कॉलर, लंकाशायर यूनिवर्सिटी में रिसर्च फैलो और ख्यात क्रिकेट इतिहासकार हैं

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