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Updated: 01 जून, 2016 07:08 PM
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जिम्बाब्वे दौरे के लिए टीम चुने जाने के पहले ये चर्चा जोरों पर थी कि इस दौरे के लिए सीनियर खिलाड़ियों को आराम दिया जाएगा और युवाओं को मौका दिया जाएगा. तब ये भी कयास लगाए गए कि कोहली और धोनी को आराम देकर टीम की कमान रैना को दी जा सकती है. लेकिन जब टीम चुनी गई तो कप्तानी तो छोड़िए रैना को टीम में शामिल तक नहीं किया गया.

फिर तो रैना का धैर्य जवाब दे गया. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रैना ने जिम्बाब्वे दौरे के लिए न चुने जाने पर उत्तर प्रदेश क्रिकेट असोसिएशन के अधिकारियों के प्रति अपनी नाराजगी जताई है. रैना का कहना है कि यूपी क्रिकेट असोसिएशन  के अधिकारी बीसीसीआई के सामने ठीक से ये बात रख नहीं पाए कि वह दौरे पर जाना चाहते हैं.

वैसे तो जिम्बाब्वे दौरे के लिए कोहली, रोहित और धवन जैसे कई सीनियर्स को आराम दिया गया है लेकिन रैना इसलिए नाराज हैं क्योंकि वह इस दौरे पर जाने के लिए तैयार थे. लेकिन फिर भी चयनकर्ताओं ने उन्हें नहीं चुना. रैना की नाराजगी इसलिए भी समझी जा सकती है कि धीरे-धीरे चयनकर्ता उन्हें वनडे की टीम से दूर करते जा रहे हैं. इस साल रैना ने टीम इंडिया के लिए एक भी वनडे मैच नहीं खेला है. ऐसे में ये सवाल उठने भी शुरू हो गए हैं कि क्या महज 29 साल की उम्र में ही रैना का वनडे करियर खत्म होने की शुरुआत हो गई है?

क्या ये रैना का वनडे करियर खत्म होने की शुरुआत है?

सुरेश रैना को 2008 में वनडे में डेब्यू करने के बाद टीम इंडिया के सबसे बेहतरीन वनडे क्रिकेटर्स में गिना जा सकता है. रैना ने 2005 में वनडे क्रिकेट में अपना डेब्यू किया था. कुछ दिन टीम से अंदर बाहर होने के बाद कुछ ही वर्षों में उन्होंने टीम में अपनी जगह पक्की कर ली.

इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि टीम इंडिया जून 2008 से 2015 के अंत तक जो 214 वनडे खेली उनमें से 187 वनडे मैचों में रैना भी टीम का हिस्सा थे. रैना के अब तक खेले गए अपने 223 वनडे में 35.46 की औसत और 93.76 की स्ट्राइक रेट से 5568 रन बनाए हैं, जिनमें 5 सेंचुरी और 36 हाफ सेंचुरीज शामिल हैं. रैना टीम इंडिया के लोअर मिडिल ऑर्डर की मजबूत कड़ी बन गए थे और 5-6 नंबर पर जोरदार बैटिंग करने के मामले में उनका जवाब नहीं रहा है. वनडे में 2000 से ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों में उनसे बेहतर स्ट्राइक रेट सिर्फ ऑस्ट्रेलियाई ऑलराउंडर एंड्रयू साइमंड्स (94.13) की है.

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जिम्बाब्वे दौरे के लिए टीम इंडिया में न चुने जाने से सुरेश रैना नाराज हैं!

2008 से 2014 तक सबकुछ ठीक चला. लेकिन 2015 में रैना के बल्ले की खामोशी ने कम से वनडे में उनका खेल बिगाड़ दिया. शॉर्ट पिच गेंदों को खेलने में उनकी परेशानी ने खासकर विदेशी पिचों पर उन्हें काफी परेशान किया. पिछले साल खेले गए वर्ल्डकप में भी ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर रैना की बल्ले से नाकामी ने उनके लिए मुश्किलें बढ़ा दीं. 

इसके बाद बांग्लादेश दौरे से लेकर साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू मैदान में खेली गई सीरीज तक रैना ने बैट से निराशाजनक प्रदर्शन किया और टीम ये दोनों ही सीरीज गंवा बैठी. टीम की हार की गाज जिन बल्लेबाजों पर गिरी रैना उनमें सबसे आगे थे.

इस साल की शुरुआत में रैना को ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए वनडे टीम में नहीं चुना गया. हालांकि उन्हें वनडे सीरीज के बाद हुई टी20 सीरीज में मौका मिला और उन्होंने उसमें अच्छा प्रदर्शन भी किया. लेकिन ऑस्ट्रेलिया में खेली गई वनडे सीरीज में टीम इंडिया पांच में से जो एकमात्र मैच जीत सकी, उसमें जोरदार प्रदर्शन करने वाले मनीष पाण्डेय सबकी नजरों में हीरो बन गए.

संयोग से पाण्डेय भी 5वें छठवें नंबर के उसी स्लॉट पर खेलते हैं जहां रैना खेलते हैं. इसलिए अब रैना को वनडे टीम में अपनी जगह के लिए मनीष पाण्डेय की प्रतिद्वंद्विता का सामना करना पड़ेगा. पाण्डेय को जिम्बाब्बे दौरे के लिए चुना गया है. अगर पाण्डेय ने जिम्बाब्वे दौर पर अच्छा प्रदर्शन किया तो फिर रैना के लिए वनडे टीम में वापसी मुश्किल हो जाएगी.

देश और विदेश दोनों ही पिचों पर रैना ने वनडे में टीम इंडिया के लिए शानदार पारियां खेली हैं. अभी उनकी उम्र महज 29 साल है, ऐसे में अगर चयनकर्ता 2019 के वर्ल्डकप को ध्यान में रखते हुए टीम चुन रहे हैं तो रैना की जगह तो टीम में बनती ही है.

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