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Updated: 22 अप्रिल, 2015 02:54 PM
गौरव सेठी
गौरव सेठी
  @BoredCricket
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कोलकाता नाइट राइडर्स के पास लुई वितॉ से बड़ा कलेक्शन है. उनके ज्यादातर खिलाड़ी अब राष्ट्रीय टीम का हिस्सा नहीं हैं. कप्तान गौतम गंभीर के पास पुराने धुरंधरों की एक टीम है. इस टीम के दिल में कई पुरानी यादें आज भी बाकी हैं. कैसे वे मैच के बाद होने वाली पार्टी में धमाल करते थे. शीर्ष पर रहे गंभीर की पुरानी यादें भी बढ़ रही हैं. मनीष पांडे भारत के पहले खिलाड़ी हैं जिन्होंने आईपीएल में 100 रन बनाए थे. 2007 में पाकिस्तान के खिलाफ जबरर्दस्त प्रदर्शन करने के बाद से उथप्पा कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाए. यूसुफ पठान. आप यूसुफ के साथ कहां से शुरू करेंगे? आप उनके पिता से पूछ सकते हैं? या इरफान से? या उनकी च्यूइंग गम से भी पूछ सकते हैं. उन सबके पास आपको बताने के लिए एक कहानी होगी. अगर यह काफी नहीं था तो अतीत का ब्लास्ट पीयूष चावला है. वे खेलेंगे और हर सीजन में गंभीर को उन्हें ग़लत साबित करना होगा. एवेंजर्स दिमाग में आते हैं. लेकिन यह इस टीम के लिए मुश्किल वक्त है. और यह गंभीर, युसुफ, उथप्पा, और चावला के सोचने के लिए भी एक चुनौती है. चावला, रिंगो हो सकते हैं. गंभीर लेनन, उथप्पा पॉल और यूसुफ, जॉर्ज हो सकते हैं. सूर्य कुमार यादव इस बिटल बैंड के पांचवें सदस्य हो सकते हैं.

लेकिन उमेश यादव क्या होंगे? भारत का यह गेंदबाज इस विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करने से पहले अकसर टीम से बाहर ही रहा. घायल होने के कारण या अंतिम एकादश में जगह न होने के कारण. लेकिन वे वनडे थे; यादव ने सिर्फ एक ट्वेंटी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेला है. आईपीएल में भी उनका प्रदर्शन कुछ खास नहीं है, उनकी पुरानी टीम के मुकाबले. दिल्ली डेयरडेविल्स की ओर से 18/02 के लिए वे मैन ऑफ द मैच बने थे. दूसरा, तीसरा, चौथा आ रहा है? गंभीर में बुरे वक्त से बाहर आने के लिए काफी धैर्य है.

इन फिरंगियों के पास अपना कलेक्शन हैः शाकिब अल हसन को केकेआर ने मुश्किल से खिलाया, उनके लिए यह विदेशी पर्याप्त नहीं था. और जब वे खिलाना चाहते थे तब बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड ने उसे नहीं जाने दिया. और जब उसने इस सीजन में खेलना शुरू किया, तो पाकिस्तान आ गया.

भारत के मनोज तिवारी के बजाय आंद्रे रसेल दिल्ली डेयरडेविल्स में रहने लायक हैं. रसेल जब भी खेलते हैं वह हमेशा ऐसे गेंदबाजी करते हैं जैसे यह उनका आखरी ओवर हो. गंभीर की देखरेख में उन्होंने बैठने के बजाय ज्यादा मैच खेले. एक दिन मैच जिताऊ 66 रनों की पारी खेली और उससे पहले 44 पर नाबाद रहे. अचानक आंद्रे रसेल के बालों के बारे में बातें अब कम हो गई हैं.

डीडी ने मोर्ने मॉर्केल को एक क्वालीफायर / सेमीफाइनल / एलिमिनेटर से उस वक्त हटा दिया जब वह टीम का शीर्ष गेंदबाज था. उन्होंने आईपीएल में कुछ बुरे दिन देखे; लगभग ईशांत की गेंदबाजी के रूप में जब उन्हें आसानी से कोई रन नहीं मिले. ईशांत की तरह उन्हें चोट महसूस हुई लेकिन वे ईशांत के विपरीत अपनी बल्लेबाजी के माध्यम से चल सकते हैं. अगर आप उन्हें मैदान पर खेलते देखेंगे तो आपका दिल दहल जाएगा. इसके अलावा वह हर मैच में विकेट ले रहे हैं.

केकेआर और गंभीर ने इस बात को समझने के लिए कुछ वक्त लिया कि रेयान टेन को खेलना ही चाहिए. उनके नाम का सही उच्चारण करने के लिए कुछ नहीं करना चाहिए था. एक बर्फ जैसे शांत सर वाले टेन खेल को मंजिल तक पहुंचा सकते हैं अगर यह काम रसेल और पठान नहीं कर पा रहे हो. यहां तक कि क्रम में बल्लेबाजी भी करते हैं- दो टी20 मैचों में किया भी. वह नीदरलैंड्स के लिए खेले हैं, उन्हें अब उसके खिलाफ नहीं लाया जा सकता है.

फिर सुनील नारायण हैं जो इस टीम में फिट नहीं है लेकिन उन्होंने टूर्नामेंट जीता, इसे आउटसोर्सिंग कहा जाता है. इस साल हालांकि नारायण को इस कलेक्शन में उनकी हिस्सेदारी से ज्यादा मिला. उन्हें वहां बुलाया गया था और उनका विश्वकप छूट गया. सब कुछ काफी हद तक अप्रभावित लगता है लेकिन यह सिर्फ खाली लगता है.

डेयरडेविल्स के खिलाफ केकेआर की जीत के बाद गंभीर ने एक नए स्तर पर यूसुफ पठान का समर्थन किया है. "मुझे हमेशा से उन पर बहुत विश्वास था. आस्था और विश्वास एक ऐसी चीज है जो बहुत जल्द नहीं जाता. तो मुझे हमेशा लगता था कि वह हमारे लिए गेम चेंजर है और जिस तरह से उन्होंने अब तक इस टूर्नामेंट में बल्लेबाजी की है उससे लग रहा है कि वे हमारे सबसे बड़े गेम चेंजर बनने जा रहे हैं." अगर पिछले कुछ IPL पर नजर डालें तो इस आस्था और विश्वास का आधार क्या है ये बताना मुश्किल होगा. लेकिन अब लगता है कि इसका कुछ फायदा मिल गया है. टीम के चयन में गंभीर का दृष्टिकोण भी धोनी से ज्यादा अलग नहीं है. अपने खिलाडियों को वापस लाओ और फिर कुछ और को लाओ. अगर वो भी काम न करें तो फिर से कुछ और ले आओ.

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