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Updated: 02 मई, 2022 10:04 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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IPL विश्व की सबसे महंगी क्रिकेट लीग है. एक वक्त था जब लोग बड़ी संख्या में इंडियन प्रीमियर लीग को टीवी पर देखते थे. लेकिन पिछले दो साल से इसका क्रेज लगातार घटता जा रहा है. लोग पहले के मुकाबले कम संख्या में टीवी पर इसे देख रहे हैं. इसकी लगातार घटती टीआरपी इसकी गवाही दे रही है. पिछले साल की तुलना में आईपीएल की टीआरपी में शुरूआती हफ्ते में 33 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) इंडिया द्वारा जारी की गई रेटिंग के अनुसार पहले हफ्ते में खेले गए 8 मैचों का टीआरपी स्कोर 2.52 है. जबकि पिछले साल पहले हफ्ते की टीवी टीआरपी स्कोर 3.75 था. इस तरह तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो टीआरपी में 33 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है. वहीं साल 2020 में यूएई में खेले गए आईपीएल मैचों की टीआरपी 3.85 था. इस तरह देखा जाए तो आईपीएल की टीआरपी लगातार घटती जा रही है.

हालांकि, टीआरपी रेटिंग को ध्यान में रखते हुए बीसीसीआई ने इस बार आईपीएल निश्चित समय से पहले ही शुरू कर दिया था. पहले आईपीएल का आयोजन 27 मार्च रविवार से होने वाला था, लेकिन डबल हेडर और पहले वीकेंड को ध्यान में रखते हुए इसे एक दिन पहले शनिवार से शुरू कर दिया गया. लेकिन इसका कोई फायदा नहीं मिला. टीआरपी पिछले दो साल के मुकाबले कम ही आई है. इसी तरह आईपीएल की कुल व्यूअरशिप में भी कमी आई है. पिछले साल के पहले हफ्ते की कुल व्यूअरशिप 367.7 मिलियन थी, जो कि इस सीजन 14 फीसदी घटकर 229.06 मिलियन हो गई है. इसी तरह आईपीएल के दौरान आमतौर पर ब्रॉडकास्टर बार्क की सूची में सबसे ऊपर होते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. आईपीएल का प्रसारण करने वाली स्टार स्पोर्ट्स 1 हिंदी तीसरे स्थान पर है. इससे यह साबित होता है कि इंडियन प्रीमियर लीग का जादू अब कम होता जा रहा है.

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ऐसे में बीसीसीआई पर सवाल तो खड़ा होना ही था

आईपीएल हमेशा से टीवी रेटिंग और व्यूअरशिप में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन करता है, लेकिन पहली बार ऐसा नहीं हुआ है. जबकि लगातार प्रमोशन किए गए. विज्ञापन किए गए. इसके बावजूद इस बार रेटिंग और व्यूअरशिप में गिरावट दर्ज की गई है. इसका सीधा असर आईपीएल के मीडिया राइट्स की नीलामी पर देखने को मिल सकता है. बीसीसीआई ने हालही में मीडिया राइट्स के लिए टेंडर जारी किए हैं. बेस प्राइस 33 हजार करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है. हर मैच के टेलिविजन राइट्स का बेस प्राइस 49 करोड़ रुपए तय किया गया है. वहीं, एक मैच के डिजिटल राइट्स का बेस प्राइस 33 करोड़ रुपए रखा गया है. 18 मैचों के क्लस्टर में हर मैच का बेस प्राइस 16 करोड़ रुपए है. भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर के राइट्स के लिए प्रति मैच बेस प्राइस 3 करोड़ रुपए है. 12 जून को बोली लगनी है. डिज्नी स्टार, स्पोर्ट्स-18, अमेजन, जी और सोनी ने टेंडर के लिए डॉक्यूमेंट खरीद लिए हैं.

टीआरपी-व्‍यूअरशिप कम, लेकिन बेस प्राइस ज्यादा

सोनी पिक्चर्स ने बेस प्राइस को लेकर बीसीसीआई पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उनका मानना है कि बेस प्राइस ज्यादा है. सोनी पिक्‍चर्स नेटवर्क इंडिया के मेनेजिंग डायरेक्‍टर और सीईओ एनपी सिंह ने बीसीसीआई द्वारा सेट किए गए बेस प्राइज पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि बीसीसीआई को इतना बड़ा बेस प्राइज सेट करने से पहले रियलिटी चेक करने की सख्‍त जरूरत थी, जो नहीं किया गया. मौजूदा सीजन के दौरान टीवी व्‍यूअरशिप में काफी ज्‍यादा कमी आई है. इस पर बोली लगाने से पूर्व आईपीएल की अगले पांच साल की संभावित ग्रोथ और मार्केट रिस्‍क को ध्‍यान में रखना होगा. बताते चलें कि बीसीसीआई इस बार मीडिया राइट्स के चार अलग-अलग बकेट की नीलामी कर रहा है. पहला बकेट भारतीय उपमहाद्वीप में टीवी राइट्स का है. दूसरा बकेट डिजिटल राइट्स का है. तीसरे बकेट में 18 मैच शामिल किए गए हैं. इन 18 मैचों में सीजन का पहला मैच, वीकएंड पर होने वाले हर डबल हेडर में शाम वाला मैच और चार प्लेऑफ मुकाबलों को रखा गया है. चौथे बकेट में भारतीय उपमहाद्वीप के बाहर के प्रसारण अधिकार शामिल किए गए हैं.

टीआरपी और व्‍यूअरशिप घटने की वजह क्या है?

इंडियन प्रीमियर लीग के मैचों की टीआरपी और व्‍यूअरशिप घटने की वजह क्या हो सकती है, ये सवाल इस वक्त बीसीसीआई के साथ क्रिकेट फैंस के मन में भी उठ रहा होगा. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि हर बार की तरह इस बार लीग में खेल रही टीमें और उनके प्लेयर्स उतना अच्छा परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं. जब से मैच शुरू हुए हैं, कोई ऐसी टीम या उसका प्लेयर नहीं है, जिसने रिकॉर्डतोड़ पारी खेली हो या उनके खेल की चर्चा हुई हो. इस बार मामला बहुत ठंडा है, जबकि दर्शक खेल या कोई प्रोग्राम तभी देखता है, जब उसे देखने में उसको मजा आता है. आईपीएल के इतिहास में चेन्नई सुपरकिंग्स और मुंबई इंडियंस की टीम सबसे अच्छा खेलती आई है, लेकिन इस बार इन दोनों टीमों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. चेन्नई सुपरकिंग्स की आधी चर्चा तो महेंद्र सिंह धोनी को कप्तान बनाने और हटाने में ही हुई है. टीम की खराब हालत को देखते हुए उनको वापस कप्तानी दी गई है. इसके साथ ही देश-विदेश के अच्छे खिलाड़ियों की कमी भी हुई है. जैसे कि एबी डिविलियर्स, क्रिस गेल, जोफ्रा आर्चर और बेन स्टोक्स जैसे विदेशी खिलाड़ी आईपीएल का आकर्षण रहे हैं.

इंडियन प्रीमियर लीग का ये भी एक जमाना था

एक वक्त था जब आईपीएल मैचों के दौरान हिंदी के मनोरंजन चैनल भी 14 फीसदी कम देखे जाते थे. साल 2017 में 55 करोड़ लोगों ने आईपीएल मैच देखे थे, जबकि 2018 में चैनल और ऑनलाइन प्रसारण से यह आंकड़ा 70 करोड़ के पार चला गया था. इतना ही नहीं साल 2017 में सेट मैक्स पर आईपीएल मैच के पहले के छह सप्ताह के दौरान व्यूअरशिप 42.32 करोड़ रही थी. वहीं, साल 2018 में आईपीएल के आठ सप्ताह के दौरान व्यूअरशिप 102 करोड़ रही. इस तरह पहले साल के मुकाबले 141.02 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. बार्क के आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में आईपीएल के दौरान हिंदी मनोरंजन चैनल की दर्शक संख्या में 14 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी. यह ट्रेंड अगले दो साल तक जारी रहा था. हालत ये हो जाती थी कि मनोरंजन चैनलों को इस दौरान खास रणनीति बनानी पड़ती थी, ताकि दर्शकों की संख्या कम न हो और उसका असर टीआरपी पर न पड़े.

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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