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Updated: 29 जून, 2015 08:01 PM
शिव विश्वनाथन
शिव विश्वनाथन
  @shiv.visvanathan
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मनोवैज्ञानिक आशीष नंदी ने एक बार क्रिकेट की क्लासिक परिभाषा देते हुए कहा था कि यह एक ऐसा भारतीय खेल है, जिसका अविष्कार इत्तेफाक से अंग्रेजों ने किया. एक खिलाड़ी की तरह नंदी यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि औपनिवेशिक दौर में एक खेल के रूप में क्रिकेट रणजीत सिंह और नवाब पटौदी जैसे लोगों के लिए निष्पक्षता और शुद्धता के मूल्यों का सपना था.

आज क्रिकेट पर नंदी के विचार एक काल्पिनक कहानी, एक अलग युग के वक्त का टुकड़ा जैसे महसूस होते हैं. हकीकत में अगर आज वह दोबारा इसे लिखना चाहें तो नंदी कह सकते हैं कि क्रिकेट अंग्रेजों का एक ऐसा खेल था जिसे भारतीयों ने एक नए अंदाज में पेश किया. अंग्रेजो के लिए क्रिकेट शिष्टाचार या नाश्ते की तरह था, लेकिन भारतीयों के लिए क्रिकेट जीवन जीने का एक तरीका है, हर दिन मनाए जाने वाले त्यौहार की तरह... बार-बार मनाए जाने वाला. आज क्रिकेट की तरफ देखें तो ब्रेडमैन और लारवुड के बारे में नहीं सोच सकते. यह देशों के बीच एक भव्य युद्ध नहीं बल्कि साख के लिए एक संघर्ष है या भारत और पाकिस्तान के बीच एक मुठभेड़. आज क्रिकेट एक क्लब गेम है, एक व्यापार है, एक वर्ग के लिए रस्म है. एक आदमी ने एक मिथक के तौर पर क्रिकेट को बदल दिया, ललित मोदी नामक एक उद्यमी ने क्रिकेट में कैरी पैकर की तरह परिवर्तन किया है.

ललित मोदी ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) नामक एक बुरे जाल की रचना की, जिसने क्रिकेट के हालात को बदल दिया है. जिसने CLR जेम्स से लेकर नेविल कॉरडस तक क्रिकेट के बारे में पढ़ा है, उन्हें पता है कि क्रिकेट मूल्यों का एक पाठ था. आज मोदी और उनके जैसे लोगों ने मटके के रूप में इसका विस्तार कर दिया है. आज जब कोई खबर पढ़ता है, उसे लगता है कि यह मोदी की बेकार राजनीति है. देखने वाली बात ये है कि मोदी ने अपनी राजनीति के लिए क्रिकेट को बिगाड़ दिया है.

समाज
मोदी के आईपीएल ने क्रिकेट को ग्लोबलाइज़्ड किया और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को एक वैश्विक खिलाड़ी बना दिया. क्रिकेट अब मार्केटिंग का खेल बन गया है. आईपीएल ने क्रिकेट को एक ऐसी तेजी दे दी जिसने उसके मूल्यों के सिद्धांत को भी बदल दिया. खिलाड़ियों को अहसास हुआ कि वे केवल हीरो ही नहीं बल्कि लीजेंड हैं जिन्हें फ्रेंचाइजी बनाया जा सकता है. तेंडुलकर या धोनी ने खुद को विज्ञापनों से मुक्त कर लिया, तब युवा क्रिकेटरों को अहसास हुआ कि एक गेंद से ही पूरी श्रृंखला से ज्यादा कमाई की जा सकती है. गति और तमाशा शुरू करके आईपीएल ने क्रिकेट की दिनचर्या को बदल दिया. खेल की रोचक गुणवत्ता को मैदान में और मैदान के बाहर मनोरंजन के साजो-सामन, स्लिकर कमेंटरी, तारिकाओं और सार्वजनिक घटनाओं ने पूरी तरह बदल दिया.

क्रिकेट अब एक खेल नहीं है. खेल का मैदान अब वो जगह बन गया है, जहां नंगे पांव वाले बच्चे बड़े पुजारियों की तरह पुराने रीति-रिवाजों को निभा रहे हैं. आईपीएल एक उद्योग है; क्रिकेट अब एक कला का रूप नहीं है. रिश्वत, ब्रांड और निवेश के बीच क्रिकेट एक व्यापार बन गया है. हितों का टकराव जैसे शब्द चार दशक पुराने लग सकते हैं. धोनी एक दिन में इतना कमा लेते हैं, जितना दिलीप सरदेसाई या पोली उमरीगर ने पूरे जीवन में नहीं कमाया. उमरीगर मैच में जाने के लिए साइकिल का इस्तेमाल करते थे और उन्हें एक मैच के लिए 25 रुपये मिलते थे. मैं कल्पना कर सकता हूं, धोनी केवल एडिडास विज्ञापन के लिए साइक्लिंग कर सकते हैं.

ललित मोदी प्रतिनिध हैं क्रिकेट के पतन के जिन्होंने किसी जादू की तरह इसे करोड़ों रुपए का खेल बना दिया. क्रिकेट अब अन्य अनुचित साधनों की राजनीति का एक हिस्सा बन गया है. आईपीएल की शक्ल में राजनेताओं को भारत की सबसे सफल बहुराष्ट्रीय कम्पनियों (एमएनसी) के माध्यम से अपनी ताकत बढ़ाने का मौका मिल गया है. भारतीय खेल को नियंत्रित करते हैं और खेल राजनीति को भ्रष्ट.

एक टीवी पर चमकती तस्वीर देखी, क्रिकेट कैप लगाए नरेंद्र मोदी और शिल्पा शेट्टी, ललित मोदी और सुषमा स्वराज, इन्हें देखकर अहसास हुआ कि ये सभी एक दूसरे के साथ आराम से थे और एक बेहतर माहौल था. ताकत पारस्परिक रूप से परिवर्तनीय होनी चाहिए.

ताकत
एक पर्यवेक्षक ने कहा कि आईपीएल ने क्रिकेट को भ्रष्टाचार के विकल्प के साथ छोड़ दिया है. अब उद्यमशीलता के रूप में डालमिया, ललित मोदी और श्रीनिवासन के बीच से ही किसी एक को चुन सकते हैं, जिन्होंने इस खेल को आज के इस हालात में पहुंचा दिया है. इस आयोजन ने मटका, सट्टेबाजी, फिक्सिंग, बॉलीवुड, पैसा इन सभी गतिविधियों को क्रिकेट के साथ एक जगह पर मिला दिया है.

मोदी और उनके वकील दस्तावेज़ पर दस्तावेज़ जारी किए जा रहे हैं, जो हकीकत में क्रिकेट के नियमों का उल्लंघन है. उन्हें मूल्यों, निष्पक्षता, पारदर्शिता और वफादारी से कोई मतलब नहीं है. मेरे लिए जुर्म ये है कि उसने बिना रॉबिन हुड बने ही एक परी कथा को बर्बाद कर दिया. फिर भी, वह एक नए वैश्विक भारतीय खेल का प्रतिनिधित्व करते हैं और सितारों, सेवानिवृत्त नौकरशाहों के साथ एक सोशलाइट की तरह पेश आते हैं. इससे भी बदतर ये है कि उन्होंने अनिवासी भारतीयों (एनआरआई) की दुनिया से भारतीय अभिजात्य वर्ग के भ्रष्टाचार को जोड़ दिया है.

आकांक्षा
हमारे प्रवासी भारतीय पाक-साफ होने का नाटक करते हैं जबकि वे हमारे अभिजात वर्ग को ही भ्रष्ट कर रहे हैं. मोदी "क्रिकेट के जिगोलो" हैं, वो इंसान जिसे इस खेल की ताकत और व्यापारीकरण की समझ है. फिर भी मोदी वैश्विक दुनिया में सफलता पाने वालों के लिए एक नई भारतीय मिसाल हैं. बहुत वर्षों पहले आईआईटी से निकले रजत गुप्ता ने भी बाहरी दुनिया में जाकर सफलता के बीच अपनी कमजोरी दिखा दी थी. मोदी ने दिखा दिया है कि भ्रष्टाचार ही केवल सही मायने में एक ऐसा वैश्विक खेल है जिसे पूरी दुनिया प्यार से खेलना चाहती है.

सबको लगता है कि मोदी का कुछ नहीं होगा. अब पता चलता है कि मानवतावाद केवल अपराधियों के लिए ही है. यह बुराई का एक नया स्वाद देता है, उन्माद का स्वाद. देखभाल की दुनिया में, दान और क्रिकेट की तरह. यही कारण है कि यह मोदी की उपलब्धि है.

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लेखक

शिव विश्वनाथन शिव विश्वनाथन @shiv.visvanathan

लेखक एक समाजशास्त्री हैं.

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