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Updated: 18 अगस्त, 2021 02:44 PM
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क्रिकेट का मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स मैदान पर टीम इंडिया ने दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड को बुरी तरह से पटखनी दी है. लॉर्ड्स टेस्ट में इंग्लैंड की इस शर्मनाक हार का पोस्टमार्टम हो चुका है. तमाम क्रिकेट विशेषज्ञ और इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी लॉर्ड्स टेस्ट मैच में इंग्लिश टीम की इस हार की चीर-फाड़ कर दी है. इंग्लैंड की टीम की इस हार का पोस्टमार्टम इस लिहाज से भी जरूरी नजर आता है कि यह टेस्ट मैच काफी हद तक इंग्लिश टीम की पकड़ में था.

इंग्लिश टीम के बल्लेबाज भारत के तेज गेंदबाजों के आक्रामक हमले के खिलाफ संघर्ष करते दिखाई दिए. जबकि, टीम के गेंदबाज टेस्ट मैच के आखिरी दिन भारत के लिए कमाल की पार्टनरशिप करने वाले मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह को आउट करने में कामयाब नहीं हो सके. क्रिकेट बिरादरी की ओर से बीते कुछ समय से इंग्लिश टेस्ट टीम में, खासकर बल्लेबाजी स्कवॉड में बदलाव की मांग की जा रही है.

लेकिन, इन तमाम चीजों के बीच एक बड़ी और थी जिसे लॉर्ड्स टेस्ट के दौरान तकरीबन सभी ने नजरअंदाज कर दिया. इंग्लैंड ने मैदान पर चतुराई भरे फैसले लेने में गलतियां कीं और उसके बल्लेबाज घरेलू परिस्थितियों में भी फ्लॉप रहे. लेकिन, ऐसा लगता है कि मेजबान टीम मैच के आखिरी दो दिनों में भारत को गलत तरीके से छेड़कर दूसरा टेस्ट हार गई हो. जेम्स एंडरसन, जोस बटलर और कुछ अन्य खिलाड़ी विराट कोहली समेत भारतीय बल्लेबाजों की स्लेजिंग (sledging) करते रहे. ऐसा लगा कि जो रूट की इस रणनीति का उलटा असर हो गया.

जेम्स एंडरसन को जसप्रीत बुमराह ककी स्लेजिंग करने के बजाय केवल गेंद को बात करने देना चाहिए था.जेम्स एंडरसन को जसप्रीत बुमराह की स्लेजिंग करने के बजाय केवल गेंद को बात करने देना चाहिए था.

टीम इंडिया और इंग्लैंड की टीमों के बीच चल रहा तनाव टेस्ट मैच के पांचवें दिन उस समय चरम पर पहुंच गया, जब तेज गेंदबाज एंडरसन, मार्क वुड और ओली रॉबिन्सन ने मोहम्मद शमी के साथ रिकॉर्ड 9वें विकेट की साझेदारी के दौरान जसप्रीत बुमराह को आउट करने की कोशिश में जुटे हुए थे.

जेम्स एंडरसन की गेंदबाजी में साफ नजर आ रहा था कि इंग्लैंड की पहली पारी के दौरान बुमराह के बाउंसर्स की आंधी से परेशान होने वाला ये इंग्लिश गेंदबाज कोशिश कर रहा था कि भारतीय तेज गेंदबाज को उसकी बाउंसर्स का जवाब दिया जाए. लेकिन, जेम्स एंडरसन को जसप्रीत बुमराह की स्लेजिंग करने के बजाय केवल गेंद को बात करने देना चाहिए था. जसप्रीत बुमराह ने लॉर्ड्स टेस्ट मैच में करियर की सर्वश्रेष्ठ नाबाद 34 रन की पारी खेली और अंतिम पारी में 3 विकेट लिए.

ऐसा लगा कि स्लेजिंग की वजह से आक्रामक होने वालों में जसप्रीत बुमराह अकेले नहीं थे. टीम इंडिया के केएल राहुल ने भी मैच के बाद कहा कि अगर कोई हमारे किसी एक खिलाड़ी को निशाना बनाता है, तो टीम के बाकी 10 प्लेयर्स भी इसे लेकर आक्रामक हो जाते हैं. अगर आप हमारे एक प्लेयर को निशाना बनाते हैं, तो इसका मतलब है कि आप पूरी टीम के खिलाफ जा रहे हैं. लॉर्ड्स में भी ठीक कुछ ऐसा ही हुआ, क्योंकि अंतिम पारी में पूरी भारतीय टीम ने इंग्लैंड के बल्लेबाजों पर निशाना साधा था.

विराट कोहली समेत पूरी टीम ने हर इंग्लिश खिलाड़ी के विकेट का ऐसे जश्न मनाया, जैसे कि उन्होंने टेस्ट जीत लिया. जबकि, मोहम्मद सिराज और ऋषभ पंत लगभग हर बॉल की डिलीवरी के बाद मेजबान टीम पर शब्दबाणों के जरिये शिकंजा कसते रहे. जिसका नतीजा ये रहा कि 272 रनों का पीछा कर रही इंग्लिश टीम 120 रन के स्कोर पर ही ऑल आउट हो गई. ये स्कोर इंग्लैंड की टीम का घरेलू टेस्ट की आखिरी पारी में भारत के खिलाफ अब तक का सबसे कम स्कोर रहा. पहली पारी में पांच विकेट लेने वाले इंग्लिश टीम के तेज गेंदबाज एंडरसन दूसरी पारी में बिना विकेट के चले गए, लॉर्ड्स टेस्ट में भारत के खिलाफ उनके साथ ऐसा पहली बार हुआ है.

इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया की गलती को दोहरा दिया

कहा जा सकता है कि इंग्लैंड ने भी वही गलती की, जो ऑस्ट्रेलिया ने इस साल जनवरी में ब्रिस्बेन टेस्ट से पहले की थी. जिसके बाद गाबा टेस्ट में टिम पेन की टीम के साथ जो हुआ, उससे जो रूट की टीम को सबक सीखना चाहिए था.

सिडनी टेस्ट में स्टंप माइक से टिम पेन की आवाज आई थी और उन्होंने रविचंद्रन अश्विन से कहा था कि गाबा में आपके आने का इंतजार नहीं कर सकता. जिसका नतीजा ये हुआ कि भारत ने गाबा के किले को सेंध लगाकर ऑस्ट्रेलिया को बुरी तरह से चौंकाते हुए 32 साल के इतिहास में ब्रिस्बेन में जीत हासिल करने वाली पहली टीम बन गई.

सीरीज हारने के बाद टिम पेन को मानना पड़ा कि बॉर्डर गावस्कर सीरीज 2020-21 में टीम इंडिया की स्लेजिंग करना उनकी इस सीरीज की सबसे बड़ी गलतियों में से एक थी. मैच के बाद अपनी गलती मानते हुए टिम पेन ने मजाकिया लहजे में कहा था कि मैं आखिरी में मूर्ख जैसा लग रहा हूं, क्या मैं नही हूं?

कहने के लिए इतना तो कहा ही जा सकता है कि यह चौंकाने वाली बात है, इंग्लैंड ने भी वही गलती क्यों की? अब तक सभी टीमों को पता चल गया होगा कि यह भारतीय टीम अतीत की तरह नहीं है, वो विरोधी टीम की स्लेजिंग का जवाब देना भी जानते हैं.

विरोधी टीम को जवाब देने में भीड़ का समर्थन भी मदद करता है, क्योंकि टीम इंडिया के प्रशंसक विदेशी धरती पर खेले जा रहे टेस्ट में टीम के 12वें प्लेयर बन जाते हैं. ऐसा खासकर तब होता है. जब वो मैदान पर भारत के प्रदर्शन में बदलाव को महसूस करते हैं.

लेकिन, यह सिर्फ मौखिक युद्ध को जीतने तक ही सीमित नहीं है. भारत ऐसी परिस्थितियों में घिरे होने पर मुंह के साथ ही मैदान पर भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है. इस साल में हम ये प्रदर्शन दो बार देख चुके हैं. गाबा में ये कारनामा ऋषभ पंत ने अपनी करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेलकर अंजाम दिया था. और, दोबारा ये लॉर्ड्स के मैदान में मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह, इशांत शर्मा और मोहम्मद सिराज ने टीम के बाकी खिलाड़ियों के साथ मिलकर इंग्लैंड को चौंका दिया.

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