New

होम -> स्पोर्ट्स

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 15 जुलाई, 2015 09:52 AM
हेमंत कौशि‍क
हेमंत कौशि‍क
  @hemantmadhav.kaushik
  • Total Shares

90 के दशक में जब क्रिकेट हिंदुस्तान के दिलो-दिमाग पर हावी हो रहा था, तब खिलाड़ियों की जेबें भी भारी होने लगीं थीं. मार्केटिंग डील्स, अंतराष्ट्रीय करार, टेलीविजन विज्ञापन और ना जाने पैसा कमाने के कितने तरीके खिलाड़ियों को मिलने लगे. पैसे के इसी अंधाधुंध खेल ने मैच फिक्सिंग को जन्म दिया. जिस खेल को खेलकर खिलाड़ी पैसा कमा रहे थे, उसे बेचकर पैसा कमाने लगे. यही वो दशक था जब क्रिकेट बहुत ऊपर भी गया और खाक़ में भी मिला. तब से अब तक क्रिकेट का स्वरूप बदला है, इसे खेलने का तरीका बदला है, खिलाड़ी बदले हैं लेकिन अगर कुछ नहीं बदला है तो वो है फिक्सिंग.

अब आईपीएल फिक्सिंग कांड ने एक बार फिर से देश को झकझोर दिया है. जिस आईपीएल के लिए देश में जुनून का माहौल था, अब उसी आईपीएल पर क्रिकेट को बर्बाद करने के इल्ज़ाम लगने लगे हैं. भारत में फिक्सिंग का सफ़र कप्तान और खिलाड़ियों से होता हुआ अब टीम के मालिकों तक पहुंच गया है. 2013 में जब आईपीएल के सितारे फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार होना शुरू हुए तब किसी ने सोचा भी नहीं था कि जिस आईपीएल नाम के पेड़ को पैसे और ग्लैमर की चकाचौंध से सींचा जा रहा है उसकी जड़ में ही फिक्सिंग के कीड़े लग गए हैं. सुप्रीम कोर्ट की बनाई जस्टिस लोढ़ा कमेटी ने अपने फैसले से ये बात और साफ़ कर दी है कि क्रिकेट के छोटे फॉर्मेट के साथ इतना बड़ा मज़ाक बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स पर लगा दो साल का प्रतिबंध उन टीम मालिकों के लिए सबक है जो क्रिकेट को अपने घर की जागीर समझते हैं. इस फैसले के बाद नुकसान अगर किसी का हुआ है तो वो हैं इन टीमों के खिलाड़ी, जो अब अपने भविष्य को लेकर परेशान होंगे. इन टीमों पर पैसा लगाने वाले ढेरों स्पॉन्सर्स की नींदें भी उड़ी होंगी लेकिन सबसे ज़्यादा नुकसान अगर किसी का हुआ है तो वो हैं इन टीमों के फैन्स. फिक्सिंग ने एक बार फिर से जिनकी उम्मीदों को तोड़ कर रख दिया है.

वो बैन, ये बैन

1997 में मनोज प्रभाकर ने अपने ही एक साथी खिलाड़ी पर ये आरोप लगाया कि उसने 1994 में श्रीलंका में खेली जा रही सीरीज़ के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ़ मैच गंवाने के लिए उन्हें 25 लाख रूपए की पेशकश की. प्रभाकर के इस आरोप से भारतीय क्रिकेट में भूचाल आ गया. बीसीसीआई ने इस मामले की जांच के लिए कमीशन भी बनाया. लेकिन इससे भी बड़ा बवाल तब हुआ जब मई 2000 में प्रभाकर ने उस खिलाड़ी का नाम सार्वजनिक कर दिया. प्रभाकर के मुताबिक उन्हें रिश्वत की पेशकश करने वाले खिलाड़ी कपिल देव थे. इस खुलासे से सारा देश हैरान था. इसी साल जुलाई में आयकर विभाग ने भारत के बड़े-बड़े क्रिकेटर्स और अधिकारियों के घर छापेमारी भी की. दिल्ली में एक बड़े बुकी मुकेश गुप्ता उर्फ जॉन की गिरफ्तारी और जांच में कई और बड़े खिलाड़ियों का नाम आने से खलबली मच गई. मोहम्मद अजहरूद्दीन, अजय जडेजा, मनोज प्रभाकर, अजय शर्मा और नयन मोंगिया पर बुकीज़ से संबंध रखने के आरोप लगे. उधर दक्षिण अफ्रीका में भी फिक्सिंग की जांच जोरों पर थी, जहां पूर्व कप्तान हेंसी क्रोनिए ने किंग्स कमीशन के सामने मोहम्मद अज़हरूद्दीन का नाम लिया. क्रोनिए के मुताबिक अज़हर ने ही 1996 में उन्हें मुकेश गुप्ता से मिलवाया था. नवंबर 2000 में अज़हर को मैच फिक्सिंग का दोषी माना गया, जबकि जडेजा, प्रभाकर, अजय शर्मा और टीम इंडिया के फिज़ियो डॉ. अली ईरानी पर बुकीज़ के संबंध रखने के इल्ज़ाम साबित हुए. दिसंबर 2000 में अज़हरूद्दीन और अजय शर्मा पर लाइफ बैन लगा दिया गया. बैन लगने की ये सिर्फ शुरूआत थी. इसके बाद तो ना जाने ऐसे कितने मामले सामने आए जो हाल ही में मुंबई के खिलाड़ी हिकेन शाह पर लगे बैन और अब आईपीएल टीमों पर लगे बैन तक चलते जा रहे हैं.

बैन ने छीना चैन

इतिहास गवाह है जिन खिलाड़ियों पर भी फिक्सिंग के चलते बैन लगा उनके करियर ही खत्म हो गए. आईपीएल फिक्सिंग कांड में भी गुरूनाथ मयप्पन और राज कुंद्रा पर आजीवन प्रतिबंध लगा है. ऐसे में सवाल आईपीएल पर भी उठ रहे हैं लेकिन क्रिकेट पर पुती इस कालिख के लिए आईपीएल को ज़िम्मेदार मानना शायद सही ना हो क्योंकि फिक्सिंग तो आईपीएल से पहले ही जन्म ले चुकी थी. आईपीएल आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुका है और इस फैसले का जितना कम असर इस टूर्नामेंट पर हो उतना ही क्रिकेट के लिए अच्छा होगा.

#सट्टेबाजी, #क्रिकेट, #चेन्नई सुपरकिंग्स, सट्टेबाजी, क्रिकेट, चेन्नई सुपरकिंग्स

लेखक

हेमंत कौशि‍क हेमंत कौशि‍क @hemantmadhav.kaushik

लेखक टीवी टुडे में प्रमुख संवाददाता हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय