New

होम -> स्पोर्ट्स

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 11 दिसम्बर, 2015 03:09 PM
विनीत कुमार
विनीत कुमार
  @vineet.dubey.98
  • Total Shares

ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड की पिचों पर जब गेंद बिजली की गति से बल्लेबाजों के कंधे के ऊपर से निकल जाती है..तो वो क्रिकेट नागपुर टेस्ट से अलग कैसे हो गया. जहां घूमती गेंदों पर बल्लेबाज संघर्ष करते नजर आए. किसी मैच में 40 में से 33 विकेट अगर स्पिन गेंदबाज लेने में कामयाब होते हैं, तो क्या उस पिच को खराब करार देना उचित है. कहने को तो नागपुर टेस्ट के बाद ICC ने मैच रेफरी जेफ क्रॉवे की रिपोर्ट पर बीसीसीआई से सफाई मांगी थी. लेकिन अब बीसीसीआई के इन सवालों ने आईसीसी को ही कटघरे में ला खड़ा किया है.

आधिकारिक तौर पर तो नहीं, लेकिन सूत्रों और कुछ मीडिया रिपोर्टों के हवाले से जो खबरें आ रही हैं, उसके अनुसार बीसीसीआई ने बेहद मजबूती से न केवल नागपुर की विकेट को खराब बताए जाने को गलत कहा है. बल्कि ICC को लिखे अपने जवाब में उल्टे कई सवाल भी दाग दिए हैं, जिसका जवाब देना खुद ICC के लिए मुश्किल होगा. गौरतलब है कि दक्षिण अफ्रीका के साथ नागपुर में खेला गया तीसरा टेस्ट मैच भारत की 124 रनों की जीत से ज्यादा पिच के लिए चर्चा में रहा.

बीसीसीआई का जवाब

बीसीसीआई ने आईसीसी से पूछा है कि क्या स्पिन क्रिकेट का हिस्सा नहीं है. बीसीसीआई ने आईसीसी को लिखे पत्र में कहा है, 'क्रिकेट में तो कई तरह के विकेट होते हैं- मसलन बैटिंग विकेट, तेज गेंदबाजों के लिए मददगार विकेट या स्पिन विकेट. किसी पिच पर अगर पहले ही दिन से स्पिनर गेंद टर्न कराने में कामयाब होते हैं तो उस पिच को 'खराब' कैसे कहा जा सकता है.'

बीसीसीआई की बात यहीं खत्म नहीं होती. उसने आगे कहा है कि बहुत ज्यादा टर्न होने की बात बस कल्पना भर है. बल्लेबाज विकेट के कारण नहीं बल्कि खराब तकनीक और टेंपरामेंट के कारण असफल हुए. फिर बीसीसीआई ने एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए डे-नाइट टेस्ट का भी उदाहरण दिया जो तीन दिनों के अंदर खत्म हुआ. बीसीसीआई का सवाल है कि वहां तो ज्यादातर विकेट तेज गेंदबाजों ने लिए तो क्या उसे भी खराब विकेट माना जाएगा?

दरअसल, नागपुर टेस्ट को लेकर सवाल इसलिए उठे थे कि दोनों ही टीमों के बल्लेबाज इस मैच में बुरी तरह फ्लॉप रहे. 1935 के बाद यह केवल तीसरा मौका है जब किसी टेस्ट में कोई भी बल्लेबाज अर्धशतक भी नहीं जमा सका. और 40 में से 33 विकेट स्पिन गेंदबाजों के खाते में आए.

आईसीसी की मुश्किल

पिच से लेकर क्रिकेट के मैदान और बैट आदि को लेकर क्रिकेट की किताब में कोई ठोस नियम नहीं है. इसलिए भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार क्रिकेट हर जगह बदला हुआ नजर आता है. ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड से लेकर इंग्लैंड और वेस्टइंडीज की पिचें तेज गेंदबाजों के लिए मददगार समझी जाती रही हैं. भारतीय महाद्वीप में यह समीकरण बदल जाता है. हर टीम अपने नफे-नुकसान का आंकलन करते हुए पिच का निर्माण कराती है. कुछ गाइडलाइन बने हैं लेकिन वे इतने उलझे हुए हैं कि कोई भी इसका फायदा उठा सकता है और कई बार ऐसा हुआ भी है. फिर रास्ता तो यही है कि पिचों को लेकर कोई 'यूनिवर्सल' नियम तय किए जाए...लेकिन फिर ICC की मुश्किल भी तो वही है. क्या ऐसी परिस्थिति में जहां सब जगह एक प्रकार की ही पिच हो....क्या क्रिकेट की आत्मा चोट नहीं लगेगी?

#क्रिकेट, #बीसीसीआई, #आईसीसी, क्रिकेट, बीसीसीआई, आईसीसी

लेखक

विनीत कुमार विनीत कुमार @vineet.dubey.98

लेखक आईचौक.इन में सीनियर सब एडिटर हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय