New

होम -> स्पोर्ट्स

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 11 जून, 2016 12:46 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

खेलों में प्रतिस्पर्धा किसे अच्छा नहीं लगती. खेलने वाले को भी मजा आता है और देखने वालों को भी. लेकिन जब यही प्रतिस्पर्धा खेल संघों में होने लगे तो? भारत में अगले महीने 15 से 24 जुलाई के बीच 'प्रीमियर फुत्सल लीग' खेली जानी है. इस लीग के सभी मैच देश के आठ शहरों में खेले जाएंगे. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गोवा, कोच्चि, हैदराबाद और बेंगलुरु से आठ फ्रेंचाइजी टीमें हिस्सा लेंगी. टीमों के लिए बोली मुंबई में 20 जून को लगेगी. ऐसी भी खबरें हैं कि मैचों के प्रसारण के लिए ब्रॉडकास्टर भी मिल गए हैं. लेकिन अब विवाद शुरू हो गया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) अब फुत्सल लीग के आयोजकों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही का मन बना रहा है. गौरतलब है कि भारत में इसके आयोजन में पूर्व दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी पुर्तगाल के लुइस फिगो जैसे नाम जुड़े हैं. विराट कोहली भी इस लीग से बतौर ब्रांड एंबेसडर जुड़ चुके हैं.

क्या है फुत्सल और क्यों है विवाद...

बेहद आसान शब्दों में कहें तो फुत्सल, फुटबॉल का छोटा और तेज फॉर्मेट हैं. दक्षिण अमेरिका के देशों में ये खेल खासा लोकप्रिय भी है. इसकी शुरुआत 1930 के दशक में हुई थी. खेल के नियमों में भी थोड़ा बदलाव है. मसलन, ये फुटबॉल का इंडोर स्वरूप है. दोनों टीमों की ओर से केवल पांच-पांच खिलाड़ी ही मैदान पर खेल सकते हैं और दोनों हाफ 20-20 मिनट के होते हैं. लेकिन विवाद दो खेल संघों का है. जिस तरह फुटबाल की विश्व नियामक संस्था फीफा है, वैसे ही फुत्सल की इंटरनेशनल गवर्निंग बॉडी है AMF. लेकिन दोनों में आपसी प्रतिद्वंद्वीता जगजाहिर है.

futsal-650_061016064722.jpg
 AIFF को फुत्सल लीग से डर क्यों लग रहा है?

जब फुत्सल को लोकप्रियता मिलने लगी तो फीफा भी इस खेल में उतर गया और वर्ल्ड कप के साथ यूरो कप और कोपा अमेरिका जैसे टूर्नामेंट तक आयोजित कराता है. ऐसे ही एक अलग वर्ल्ड कप और तमाम दूसरे टूर्नामेंट AMF भी आयोजित कराता रहता है.

भारत में प्रीमियर फुत्सल लीग और उससे जुड़े विवाद की कहानी भी यही है. इस लीग को फुत्सल एशोसिएशन ऑफ इंडिया (AFI) की ओर से आयोजित किया जाना है और AFI को मान्यता AMF ने दी है. फीफा की ओर से मान्यता प्राप्त AIFF को यही बात नागवार गुजर रही है कि भारत में फुटबाल पर कोई दूसरा संघ बात कैसे कर सकता है. एक अहम बात ये भी है कि AIFF खुद भी फुत्सल लीग के आयोजन पर काम कर रहा था लेकिन उससे पहले ही ऐसी एक लीग का आयोजन होने जा रहा है.

जाहिर है ये लड़ाई, रेवेन्यू और मार्केट में अपनी पकड़ मजबूत करने की भी है. वैसे, ये एकमात्र उदाहरण नहीं है. बॉक्सिंग से लेकर हॉकी और क्रिकेट तक में वर्चस्व की लड़ाई देखने को मिलती रही है. प्रोफेशनल और एमेच्योर बॉक्सिंग, क्रिकेट में ISL की शुरुआत और फिर अंत और वर्ल्ड क्रिकेट में 1970 का वो दौर जब कैरी पैकर ने खेल की शक्ल ही बदल दी. ये विवाद सबूत हैं कि हर खेल में एक 'सौतन खेल' अपनी जगह बना ही लेता है.

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय