New

होम -> स्पोर्ट्स

 |  3-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 21 फरवरी, 2017 01:39 PM
अभिनव राजवंश
अभिनव राजवंश
  @abhinaw.rajwansh
  • Total Shares

देशी आईपीएल के नीलामी में इस बार भी विदेशी खिलाडियों का जलवा रहा. आईपीएल ऑक्शन में कुल 66 खिलाडियों को 2017 में होने वाले आईपीएल के लिए खरीदा गया. 8 टीमों ने 91.15 करोड़ की धनराशि से इन खिलाडियों को खरीदा. 2017 के ऑक्शन में भी विदेशी खिलाडियों का दबदबा कायम रहा, सबसे ज्यादा धनराशि में खरीदे गए 10 खिलाडियों में से ऊपर के 8 विदेशी क्रिकेटर हैं. इस नीलामी में जहां इंग्लैंड के ऑल राउंडर बेन स्टोक्स को सबसे ज्यादा 14.5 करोड़ मिली तो वहीं भारत के प्रमुख गेंदबाजों में से एक इशांत शर्मा को 2 करोड़ में भी कोई खरीदार नहीं मिला.

ipl-auctions650_022117012231.jpg

भारत में ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि भारतीय विदेशी खिलाडियों को लेकर कुछ ज्यादा ही आसक्त रहते हैं. अभी तक हुए सभी आईपीएल नीलामियों में आम तौर पर सारे टीम प्रबंधन ज्यादा से ज्यादा विदेशी खिलाडियों को अपने टीम से जोड़ने की होड़ में दिखते हैं. हालांकि अगर भारतीय और विदेशी खिलाडियों के प्रदर्शन को तुलनात्मक दृष्टिकोण से देखा जाय तो भारतीय क्रिकेटर विदेशी खिलाडियों से बेहतर ही साबित होते हैं. अब तक हुए 9 आईपीएल टूर्नामेंट के बाद 10 सबसे सफल बल्लेबाजों पर नजर डालें तो इनमें से सात भारतीय खिलाड़ी हैं, जबकि 10 सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाजों में भी 7 भारतीय गेंदबाज ही हैं. हालांकि भारतीय खिलाडियों ने विदेशी खिलाडियों से ज्यादा मैच  खेले हैं, मगर औसत के मामले में भी भारतीय खिलाडियों का दबदबा है.

अगर पिछले तीन सीजन में खिलाडियों के प्रदर्शन की भी बात करें तो भी भारतीय खिलाड़ी विदेशी क्रिकेटरों से काम नहीं दिखते. 2016 में 10 सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों में 7 भारतीय खिलाड़ी थे जबकि 2015 और 2014 में चार चार खिलाड़ी इस लिस्ट में थे.

गेंदबाजी में तो भारतियों ने विदेशियों कहीं ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है, 2016 में 10 सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों में 5 भारतीय, 2015 में 5 जबकि 2014 में 6 भारतीय खिलाड़ी इस सूचि में थे.

इसमें कोई दो मत नहीं कि भारतीय क्रिकेटर भारत की परिस्तिथियों में बेहतर प्रदर्शन करते आए हैं, फिर भी भारतीय टीम मालिक भारतीय खिलाडियों से ज्यादा विदेशी खिलाडियों की झोलियों को भरने को ज्यादा तरजीह देते हैं. टीम मालिक कई बार इस तथ्य को भी नजरअंदाज कर जाते हैं कि कई बार विदेशी खिलाड़ी पूरे सीजन खेलने के लिए भी उपलब्ध नहीं होते, जबकि आईपीएल के लिए भारतीय खिलाडी सभी मैचों के लिए उपलब्ध होते हैं.

आईपीएल शुरू करने का मकसद भी कहीं न कहीं भारतीय खिलाडियों को बढ़ावा देने का ही था, और इसी कारण इस लीग में अंतिम 11 में चार ही विदेशियों को खेलने की अनुमति है, वर्ना टीमों के मालिक अंतिम ग्यारह में सभी विदेशियों को शामिल करने से भी गुरेज नहीं करते.

ये भी पढ़ें-

काश, जुबां जितना ही बड़ा होता 'पुणे वालों' का दिल !

पुणे टीम के मालिक का तर्क धोनी की बेइज्‍जती है !

लेखक

अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय