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Updated: 27 अक्टूबर, 2015 03:34 PM
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चोरी एक रुपये की हो या एक करोड़ की - चोरी को चोरी ही कहा जाता है और इसके लिए कानूनी प्रावधान भी एक समान ही होता है. अपराध अगर हत्या के तौर पर हुआ है तो वजह तलाशी जाती है. लेकिन रेप के लिए क्या वजह और क्यों अलग-अलग पैमाने? यह तो मानसिक विकृति ही है. फिर भी ताजुब्ब तब होता है जब रेप के मामले में इसे रेप, भयंकर रेप, निर्मम रेप, क्रूरतापूर्ण रेप आदि की संज्ञा दे दी जाती है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि नाबालिगों का यौन शोषण करने वाले जानवर होते हैं और वे दया के पात्र नहीं.

रेप का वर्गीकरण क्यों?
1993 में 50 रुपये घूस लेने वाले को 17 साल बाद एक साल की सजा सुनाना, 5 पैसे के लिए डीटीसी का अपने कंडक्टर से 41 साल तक मुकदमा लड़ना... मतलब कानून सचमुच अंधा होता है - वह सिर्फ अपराध को देखता है, इसके अलावा न तो अपराधी को और न ही अपराध की प्रवृति को. फिर क्या वजह है कि रेप जैसे संवेदनशील मामले में सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ उसका वर्गीकरण कर देती है? क्यों सिर्फ नाबालिगों का यौन शोषण करने वाले ही जानवर नजर आते हैं? वयस्क रेप पीड़ितों का दर्द कुछ कम होता है क्या? क्या वयस्कों के साथ यौन दुराचार करने वाले किसी तरह की दया के पात्र हैं?

सेक्स लोलुप लोग भरेंगे दंभ
क्या इससे उन्हें मानसिक शांति नहीं मिलेगी, जिन्होंने बच्चियों के साथ आज तक किसी भी तरह का यौन शोषण नहीं किया है लेकिन हर जवान लड़की या महिला उनकी आंखों के 'एक्सरे' से होकर ही गुजरती हैं? क्या उन्हें अपने जानवर नहीं होने की खुशी नहीं मिलेगी, जिन्होंने 60-70 साल की महिलाओं तक के साथ रेप किया है?

वयस्कों के साथ रेप के ज्यादा मामले
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के 2013 के आंकड़ों पर नजर डालें तो कुल 33,707 रेप के मामले दर्ज किए गए थे. इनमें 15,556 मामले ऐसे थे, जिनमें रेप पीड़िता की आयु 18 से 30 के बीच थी. जबकि 13,304 मामलों में पीड़िता नाबालिग थी. शेष मामले 30 साल से ऊपर की महिलाओं ने दर्ज करवाए थे.

रेप भयंकर होता है या सामान्य... यह विषय है ही नहीं, क्योंकि रेप सिर्फ और सिर्फ रेप होता है... हां इतना जरूर है कि इसका वर्गीकरण करना अपने आप में एक भयंकर चूक है.

(देश की सर्वोच्च न्यायालय के प्रति सम्मान रखते हुए रेप को वर्गीकृत न करने की एक आम भारतीय नागरिक की अपील)

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लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

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