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Updated: 21 अक्टूबर, 2015 03:22 PM
आलोक श्रीवास्तव
आलोक श्रीवास्तव
  @alok.srivastava.1088
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राजधानी दिल्ली में भ्रष्टाचार किस कदर अपनी जड़ें जमा चुका है इसका खुलासा सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के सर्वे से होता है. सीएमएस की स्डटी के मुताबिक पिछले एक साल के दौरान दिल्लीवासियों ने 15 लोक सेवाओं के लिए औसतन 2486 बार रिश्वत दिए और इसके लिए उन्हें 239.26 करोड़ रुपये रिश्वत के तौर पर देने पड़े. इस स्टडी के मुताबिक पिछले साल दिल्ली के करीब 30 फीसदी लोगों को रिश्वत देनी पड़ी। जिन लोक सेवाओं के लिए सबसे ज्यादा रिश्वत दी गई उनमें पुलिस और परिवहन विभाग टॉप पर हैं। इस स्टडी को अंजाम देने वाली टीम सीएमएस ने हमें बताया कि कैसे रिश्वतखोरी की इस प्रवृत्ति पर लगाम कसा जा सकता है और किन उपायों को अपनाकर लोगों को रिश्वत की समस्या से बचाया जा सकता है, आइए जानें...

ज्यादा जागरूकता, कम करप्शनः भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए जरूरी है कि सोशल मीडिया के साथ-साथ प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रयोग आम लोगों के बीच उपलब्ध सेवाओं, सेवा के स्टैंडर्ड और शिकायत निवारण तंत्र के बारे में जागरूकता फैलाना सभी लोक सेवाओं की प्रमुख प्राथमिकता हो.

सेवाओं की पहुंच ज्यादा से ज्यादा बढ़ानाः स्थानीय भाषाओं में पोटर्ल्स लाना. अभी ज्यादातर पोटर्ल्स और वेबसाइटें अंग्रेजी में हैं, उदाहरण के तौर पर सबसे ज्यादा प्रयोग की जाने वाली साइटों में से एक रेलवे रिजर्वेशन (IRCTC/indianrail.gov) या इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की वेबसाइटें अंग्रेजी में हैं. जाहिर सी बात है कि अगर वेबसाइट स्थानीय भाषा में उपलब्ध नहीं है तो बहुत ही कम लोग उसका उपयोग कर पाएंगे. इसके कारण इन सेवाओं के उपयोग के लिए यूजर दूसरों पर निर्भर रहेंगे जोकि बिचौलिये हो सकते हैं. जिससे बिचौलियों का खेल जारी रहता है....

सर्विस डिलिवरी से संबंधित सूचना की स्वतः जानकारी देना सभी लोक सेवाओं के लिए अनिवार्य होना चाहिए, इससे सर्विस देने से इनकार करने के मामलों को कम किया जा सकेगा.

निर्णय लेने की प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारीः सेवाओं के सुचारू रूप से वितरण और शिकायत निवारण के लिए नियामक संस्था में आम जनता की भागीदारी होनी चाहिए. इससे सार्वजनिक सेवाओं में पारदर्शिता आएगी और इससे भ्रष्टाचार के मामलों पर अकुंश लगेगा.

सभी सार्वजनिक सेवाओं के लिए एक एकीकृत पोर्टल: फास्ट ट्रैकिंग और शिकायतों के निवारण के साथ ही खराब सेवा देने वालों के नाम सार्वजनिक किया जाना चाहिए. इसका प्रभाव भ्रष्टाचार को घटाने और लोक सेवाओं में फैले भ्रष्टाचार के बारे में नागरिकों की राय बदलने में दिखेगा

रिश्वत न दें, आरटीआई का प्रयोग करें: दिल्ली में सीएमएस की ताजा स्टडी के मुताबिक यहां के सिर्फ 2 फीसदी लोगों ने ही आरटीआई का प्रयोग किया. नागरिकों को आरटीआई के माध्यम से जानकारी जुटाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। साथ ही सूचना आयोग के पास पेंडिंग पड़े मामलों के जल्द निपटारे से लोगों के बीच जानकारी जुटाने के लिए आरटीआई के प्रयोग के लिए एक सकारात्मक संदेश जाएगा.

लोक सेवाओं की अनिवार्य स्वतंत्र समीक्षाः नियमित तौर पर सभी सरकारी विभागों के प्रदर्शन की निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली होनी चाहिए और इस निगरानी में इन विभागों को मिले अंकों को सार्वजनिक तौर पर प्रदर्शित करना चाहिए.

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लेखक

आलोक श्रीवास्तव आलोक श्रीवास्तव @alok.srivastava.1088

लेखक सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के सोशल डायरेक्टर हैं

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