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Updated: 15 सितम्बर, 2015 01:12 PM
मुकुल श्रीवास्तव
मुकुल श्रीवास्तव
  @sri.mukul
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मैंने देखा है अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि अब मैं पहले जैसा नहीं रहा. क्या कोई इंसान हमेशा एक जैसा रहता है? बच्चा कभी तो बड़ा होगा ही. टेक्नोलॉजी हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा होती जा रही है. भारत के एक सामान्य इंसान का पहले अगर तकनीक से थोड़ा बहुत पाला पड़ता था तो दो चीजें थी- पहला कैलकुलेटर और दूसरा टाईप राइटर, और तब ये दोनों चीजें इतनी आम भी नहीं थी पर आज ये 'टर' हमारे जीवन में कितने चेंज ले आया है. जी हाँ, कंप्यूटर और उसके पीछे-पीछे मोबाइल फोन, वाकई हम बहुत दूर निकाल आयें हैं, एक ऐसी दुनिया जहाँ कम्युनिकेट करना ज्यादा जरूरी है. पर क्या आपने ध्यान दिया कि ये तकनीकी बदलाव हमारे वार्तालाप की एक नयी वर्तनी गढ़ रहे हैं, कितने नए शब्द मिल गए हैं हमें.

थोडा सा डूड बनकर मार्केट घूमते हैं और देखते हैं कि इस नयी दुनिया में लोग कैसे बतिया रहे हैं..उप्प्स चैट कर रहे हैं-

यार पिज्जा खाना है, नॉट वरी चिलेक्स..मुझे गूगल करने दे, अभी बताता हूँ कि कौन सा पिज्जा आउटलेट करीब है. नेट स्लो है..सेम ओल्ड कनेक्शन प्रोब्लम, तू व्हाट्सएप पर लगा है और पेट में चूहे झम्पिंग झपाक कर रहे हैं. क्या तू अभी एसएमएस में अटका है, फैंक दे इस फोन को कोई बजट स्मार्ट फोन ले ले. देख इंसान स्मार्ट हो न हो पर गैजेट स्मार्ट होने चाहिए. यू नो दिस इस काल्ड एटीट्यूड. ये तो एक बानगी भर है, वर्च्युल वर्ल्ड की बातें रीयल वर्ल्ड में बहुत तेजी से हमसे जुड़ती जा रही हैं. ओए तेरी फीड में ये एड अ फ्रैंड जैसी हरकत कौन कर रहा है और तेरा रिलेशनशिप स्टेटस सिंगल क्यूँ है. तू मेरा कैसा दोस्त है जो प्रोफेशनल लाइकर्स की तरह मेरी हर बात में हाँ हाँ किये जा रहा है. तेरा भी कोई पॉइंट ऑफ व्यू है कि नहीं..लाइफ का एक्टिव यूजर बन बिंदास कमेन्ट कर क्यूंकि जिंदगी न मिलेगी दोबारा.

ये तो दो दोस्तों की बातें हो गईं, पर यहाँ प्रेमी प्रेमिका भी कुछ ऐसी ही रौ में बहे चले जा रहे हैं. उधर वो चैट पर जल रही होती है..कभी हरी तो कभी पीली और इधर वो बस लाल ही होता है-

तुम एक स्माइली भी नहीं भेज सकतीं, तुम बिजी हो तो मैं कौन सा हैबीटुएटेड चैटर हूँ और सुनो चैटर हो सकता हूँ चीटर नहीं. अब जवाब भी सुनिए वो भी कम दिलचस्प नहीं है-  काश तुम टाईम लाइन रिवियू होते, जब चाहती अनटैग कर देती. मुझे लगता है इस रिश्ते को साइन आउट करने का वक्त आ गया है. उधर पेरेंट्स भी अपने लाडलों पर नजर रखे हुए हैं. रोड पर बाप बेटे की तकरार का आप भी लुत्फ़ लीजिए. तुम इतनी रात तक चैट की बत्तियां जलाकर किसको हरी झंडी दिखाते रहते हो? क्या पापा ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तो बस फोन पर ही ऑनलाइन रहता हूँ. बेटे मैं बाप हूँ तेरा, इन्विजिबल रहकर तेरी हर हरकत पर नजर रखता हूँ पर बोलता कुछ नहीं तू खुद समझदार बन और ये लड़कियों का चक्कर छोड़ पढ़ाई पर ध्यान लगा, नहीं तो जिंदगी तुझे ब्लॉक कर देगी. तब तू बस लोगों को फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजता फिरेगा और लोग तुझे वेटिंग में डालते रहेंगे.

#तकनीक, #चैटिंग, #फोन, टेक्नोलॉजी, चैटिंग, फोन

लेखक

मुकुल श्रीवास्तव मुकुल श्रीवास्तव @sri.mukul

लेखक लखनऊ यूनिवर्सिटी के जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं

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