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Updated: 24 अप्रिल, 2021 07:50 PM
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कोरोना महामारी की दूसरी लहर के मुश्किल दौर में भला इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है कि किसी दवा के सिर्फ एक डोज देने भर से कोई मरीज ठीक हो जाए. वो भी महज सात दिन के अंदर. जायडस कैडिला ने तीसरे फेज के ट्रायल्स के बाद 'विराफीन' (पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2b) को लेकर ऐसा ही दावा किया था और कोरोना इलाज के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया से अप्रूवल मांगा था. कोरोना इलाज के लिए आपातकालीन मंजूरी मिल गई है. कैडिला दवा को अचूक बता रही है. दावा है कि करीब 91 प्रतिशत मरीजों पर पूरी तरह से कारगर साबित हुई है. इस वक्त के माहौल में कैडिला की विराफीन निश्चित ही बहुत बड़ी उम्मीद लेकर आई है.

जायडस कैडिला ने 2011 में इसे हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए बनाया था. इससे कई क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी और सी के मरीजों का इलाज भी किया जा रहा है. बहुत महंगी विदेशी दवा रेमडेसवीर की भी कोरोना के इलाज में डिमांड है. कैडिला के दावे में दम का एक तगड़ा आधार है. वो आधार है रेमडेसवीर का इतिहास और फिलहाल कोरोना के इलाज में उसका इस्तेमाल. दरअसल, पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2b, विराफीन की तरह ही रेमडेसवीर को भी हेपेटाइसिस सी के इलाज के लिए ही बनाया गया था जो बाद में कोरोना और सांस की दूसरी बीमारियों के इलाज में काम आया.

रेमडेसवीर को भी ट्रायल्स के नतीजों के आधार पर ही कोरोना के आपातकालीन इलाज के लिए मंजूरी मिली थी. अब बारी विराफीन (पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्फा 2b) की है.

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कैडिला का दावा तो यहां तक है कि कोरोना के इलाज में इस्तेमाल हो रही दूसरी दवाओं के नतीजों (करीब 79 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों पर कारगर) के मुकाबले विराफीन 91 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों पर कारगर है. दवा की रिकवरी रेट बहुत ज्यादा है. मरीजों पर सिर्फ सात दिन में इसका असर दिखा और उनके आरटी पीसीआर निगेटिव हुए. ज्यादा बताने की जरूरत नहीं कि आखिर क्यों अप्रूवल के बाद विराफीन की हर तरफ चर्चा है.

फिलहाल के हालात में टीके के अलावा कोरोना से बचाव और इलाज के किसी भी सटीक उपाय का लोगों को बेसब्री से इंतज़ार है. लोग दवाओं और ऑक्सीजन के अभाव में मर रहे हैं. रेमडेसवीर, फेबीफ़्लू जैसी महंगी दवाओं की कालाबाजारी हो रही है. कंपनी के दावों, अप्रूवल के बाद ये साफ है कि लोग इसके पीछे भागेंगे. वक्त की जरूरत की वजह से डिमांड बहुत बढ़ जाएगी. उधर, कंपनी कोरोना अस्पतालों में सप्लाई के लिए लगभग तैयार है. दावों के आधार पर विराफीन में मौजूदा संकट को थामने का माद्दा है. सिर्फ एक डोज की वजह से रेमडेसवीर और फेबीफ़्लू के मुकाबले ये लोगों के लिए काफी सस्ती भी साबित होगी.

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देश में ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने का जरिया मिल गया

विराफीन ट्रायल्स नतीजों के आधार पर कैडिला ने एक और दावा किया है जो मौजूदा समय की दूसरी सबसे बड़ी जरूरत है. कंपनी ने कहा है कि जिन मरीजों को अन्य दवाइयों से इलाज में करीब 84 घंटे ऑक्सीजन देनी पड़ती थी, विराफीन से इलाज में सिर्फ 54 घंटे ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ी. यानी कोरोना के इलाज में मौजूदा ऑक्सीजन का संकट विराफीन के जरिए काफी हद तक कम किया जा सकता है. कैडिला ने पिछले साल दिसंबर में कोविड-19 इंफेक्टेड मरीजों पर का 250 मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल किया था.

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अब कौन रोकेगा कैडिला को, क्या रेमडेसवीर का मार्केट ख़त्म होगा

कैडिला ने अमेरिका और मैक्सिको में भी दवा का अप्रूवल मांगा है. कंपनी के दावे और आने वाले दिनों में भारत में उसके नतीजे कैडिला के लिए दुनिया के बाजार में बड़े दरवाजे खोल सकते हैं. सिर्फ एक दवाई के सहारे कैडिला बाजार में मौजूद प्रतिस्पर्धियों से बहुत आगे निकल सकता है. चूंकि दावा सिर्फ एक डोज से कोरोना के इलाज का भी है ऐसे में 3500 रुपये की रेमडेसवीर और 1200 रुपये की फेबीफ़्लू के मुकाबले ये बहुत किफायती साबित होगी. कारोबारी लिहाज से ये बात कैडिला के हित में है. पिछले दिनों 'फेबीफ़्लू' के मामले में दिखा भी कि महज एक दवा ने कंपनी की बाजार साख को उसके ऐतिहासिक ऊंचाई स्तर तक पहुंचा दिया था.

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