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Updated: 03 मई, 2023 05:20 PM
Soha Moitra
 
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टीकाकरण सप्ताह - 2023 : 'आपकी आंखें देखकर मैं अंदाजा लगा पा रही हू्ं कि आप में खून की कमी हैं. आपने सुबह से कुछ खाया है'. मैंने जब यूपी के सोनभद्र जिले में तैनात एएनएम पदमा मिश्रा (परिवर्तित नाम) से जब यह सवाल पूछा तो उन्होंने चुप्पी साध ली. पदमा का इन सभी सवालों के जवाब देने में झिझक स्वाभाविक था. गांव -गांव घूमकर दूसरी महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी सलाह देने वाली एएनएम से शायद ही कभी किसी ने खुद के स्वास्थ्य  को लेकर सवाल किए होंगे. जवाब में पदमा ने कहा 'सुबह 5 बजे उठकर 10 सदस्यों के संयुक्त परिवार के लिए खाने की व्यवस्था करने के बाद भागी भागी स्वास्थ्य केंद्र आती हूं. फिर वहां से अपने कार्यक्षेत्र के गांवों में टीकाकरण के लिए निकल जाती हूं. कभी आने-जाने का साधन मिलता है, कभी नहीं और खाना तो एक समय ही खा पाते हैं. ऐसे में कहां ही खुद का ध्यान रख पाएंगे मैडम जी'.

रॉबर्ट्सगंज विकासखंड के 5 पंचायतों में टीकाकरण का कार्य संभाल रही पदमा का कार्यक्षेत्र कईं मायनों में चुनौतीपूर्ण है. आदिवासी बहुल समुदाये वाला ज़िला सोनभद्र देश का इकलोता ऐसा ज़िला है, जिसकी सीमा 4 राज्यों से सटी हुई है. ऐसे में काम के लिए दूसरे राज्यों में प्रवास करने साथ ही पड़ोसी राज्यों से प्रवास करके आने वाले परिवारों की संख्या बहुत अधिक है. ऐसी स्थिति में हर बच्चे एवं प्रसूता का पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है.

छोटी छोटी टोलियों में रहने वाले इन आदिवासी समुदाय के लोगों में टीकाकरण को लेकर ज्यादा भ्रांतियां भी हैं जिसके चलते उन्हें टीकाकरण के लिए तैयार करना भी मुश्किल है. देश के हर गांव में पदमा जैसी लाखों स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि देश ने बच्चों के टीकाकरण के आंकड़ों खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार किया है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ सर्वेक्षण-5 के आंकड़ों के अनुसार पिछले 5 सालों में देश में बच्चों के टीकाकरण में 14.4% बढ़ोतरी हुई है. वर्ष 2015-16 में जारी किए गए स्वास्थ सर्वेक्षण के अनुसार 12-23 महीने की उम्र के बच्चों का पूर्ण टीकाकरण का आंकड़ा (टीकाकरण कार्ड या मां के द्वारा डी गई जानकारी के आधार पर) 62.0 प्रतिशत था, जो 2020-21 में बढ़कर 76.4% हो गया. 

Health, Malnutrition, Women, UP, Villages, Vaccination, Hospital, Treatmentएनएनएम के ऊपर तमाम तरह के दबाव हैं ऐसे में सवाल ये है कि क्या वो अपना ध्यान रख पा रही हैं

 

चाहे खराब मौसम हो, प्राकृतिक आपदा हो या फिर कोविड -19 जैसी महामारी ही क्यों न हो, देश की फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर कहलाने वाली एएनएम हर बच्चे तक टीकाकरण पहुंचे, यह सुनिश्चित करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहती हैं, लेकिन देश की निरंतर बढ़ती आबादी को देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इन एएनएम के ऊपर अधिक कार्यभार का बहुत दबाव है.

जहां मानदंड के अनुसार प्रति 5000 लोगों की जनसंख्या में 1 एएनएम की नियुक्ति होनी चाहिए, वहीं वास्तविक परिदृश्य में वह 8000-10000 की जनसख्य तक को सेवाएं प्रदान कर रही हैं. यानी वह अपनी क्षमता से लगभग दोगुना भार उठा रही हैं.  यदि हम ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी की 2021-22 की रिपोर्ट पर नजर डालें तो पता चलता है मार्च 2022 तक देश मे एएनएम के तकरीबन 34541 स्वीकृत पद रिक्त हैं.

इनमे सबसे अधिक आँकड़े (28800) उप स्वास्थ्य केंद्र के हैं वहीं 5000 से अधिक पद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के हैं. अधिक कार्यभार के साथ साथ इनकी सुरक्षा की सुनिश्चितता भी एक गंभीर मुद्दा है. दूरगामी ग्रामीण क्षेत्रों मे बिना किसी सुरक्षित परिवहन के साधन के वह हर एक छोटे से छोटे टोलों तक टीकाकरण एवं जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. कईं समुदायों के साथ उन्हे मतभेद का भी सामना करना पड़ता है. 

भारत में एएनएम कैडर का गठन 1950 मे दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों के स्वास्थ्य एवं बुनियादी मातृ स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए किया गया था. इन 54 सालों मे एएन एम के कार्यों मे निरंतर इजाफा हुआ है. साथ ही चुनौतियां भी बढ़ी हैं. कोविड-19 महामारी के चलते जहां बच्चों के टीकाकरण प्रक्रीया पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा हैं वहीं हर बच्चे का टीकाकरण हो यह सुनिश्चित करना पहले से भी और ज्यादा जरूरी हो गया है.

ऐसे में ग्रामीण भारत मे टीकाकरण की सूत्रधार मानी जाने वाली एएनएम को समय से मानदेय मिले, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए एवं उनके कार्यों को समय समय पर प्रोत्साहन दिया जाना बेहद जरूरी है. ताकि हर एक बच्चे का टीकाकरण सुनिश्चित हो सके और देश 100% पूर्ण टीकाकरण के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके.

लेखक

Soha Moitra

Soha Moitra, a graduate in Psychology from Delhi University and a postgraduate in Social Work from the MS University, Vadodara, has experience of working in sectors ranging from – gender rights to child rights. She holds an experience of more than 30 years in the sector. Currently, Soha heads the Northern region as Director headquartered in Delhi and is part of the leadership team of CRY. This mandates her to be accountable for the development & execution of CRY’s Mission, Vision & Strategy.

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