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Updated: 18 जुलाई, 2019 02:42 PM
आलोक रंजन
आलोक रंजन
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कुछ दिन पहले लोकसभा में मोटर व्हीकल अमेंडमेंट बिल पेश किया गया है. इस बिल के जरिए मोटर व्हीकल एक्ट के कई प्रावधानों को काफी कड़ा करने का प्रस्ताव रखा गया है. इस बिल के जरिए रोड सेफ्टी को कड़ाई से पालन करने के लिए विशेष ध्यान दिया गया है. इस बिल में ट्रैफिक नियमों को तोड़ने पर ज्यादा पेनाल्टी लगाने का प्रावधान रखा गया है. इस बिल को लेकर बहस के दौरान देश के परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सड़क हादसों पर चिंता जताई और जोर देकर कहा कि इस बिल की बहुत अधिक जरुरत आज देश को है. उन्होंने न केवल इस बिल के महत्व पर जोर दिया बल्कि संसद में हाथ जोड़कर विनम्र निवेदन किया कि इस बिल को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए. अगर देश में वाहन दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों में कमी लानी है तो इस बिल की बहुत अधिक जरुरत है.

nitin gadkariपरिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में मोटर व्हीकल अमेंडमेंट बिल पेश किया 

तक़रीबन हर दिन हमें टीवी और अख़बार में देखने और पढ़ने में जरूर मिलता है कि आज इस सड़क दुर्घटना में इतने लोगों की जान चली गयी. ये भी देखा जाता है कि दुर्घटना का कारण तेज गति में वाहन चलाना था, ड्राइवर मोबाइल में बात कर रहा था, सीट बेल्ट नहीं बांधने के कारण जान गयी, हेलमेट नहीं पहनने के कारण जान गयी इत्यादि-इत्यादि. भारत में करीब 1.48 लाख लोग हर साल सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं. रोजाना करीब 405 लोग इन हादसों में मारे जाते हैं. सोचिये कितनी भयावह है स्थिति.

एक स्टडी के अनुसार हमारे देश में 2017 में आतंकवाद के कारण मारे गए लोगों की संख्या 766 रही वही दूसरी और पूरे भारत में हुए सड़क हादसों में क़रीब 1 लाख 48 हज़ार लोगों की मौत हुई थी, जो कि आतंकवाद की वजह से मारे गए लोगों की संख्या से ज्यादा है. इसी सन्दर्भ में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में मोटर व्हीकल अमेंडमेंट बिल पेश करने के दौरान सदन से गुहार लगाई कि इस बिल की कितनी अहमियत है ताकि दुर्घटनाओं पर काबू पाया जा सके. उन्होंने सदन में कहा कि सड़क हादसों पर लगाम लगाने की पूरी कोशिश की गयी है लेकिन बीते पांच सालों में सिर्फ 3.4 फीसदी सड़क हादसे ही रोक पाए हैं. गडकरी ने स्वीकार किया कि देश भर में इन हादसों को रोकने में वे नाकाम रहे हैं. उन्होंने काफी जोर देते हुए कहा कि हम चाहते हैं सड़क दुर्घनाओं पर रोक लगे, इसलिए इस बिल को पारित कराया जाना जरूरी है.

सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने 2016 में मोटर व्हीकल अमेंडमेंट बिल 2016 को मंजूरी दी थी. उसके बाद से ये बिल संसद में अटका पड़ा हैं. जब तक ये बिल संसद से पास नहीं हो जाता तब तक इस बिल में प्रस्तावित कड़े प्रावधानों को कानूनी रूप नहीं दिया जा सकता.

road accidentसड़क दुर्घटनाओं में हर दिन औसतन 405 मौतें होती हैं

सड़क दुर्घटना के आंकड़े चौंकाने वाले हैं

· सड़क परिवहन मंत्रालय के एक रिपोर्ट के अनुसार 2017 में पूरे देश में करीब 4.64 लाख रोड एक्सीडेंट हुए थे और इसमें 1,47,913 लोगों की मौत हुई थी.· इन एक्सीडेंट में करीब 4.70 लाख लोग घायल हुए थे.· हर दिन करीब 1274 एक्सीडेंट दर्ज किये गए और औसतन 405 मौत हर दिन रिकॉर्ड किये गए.· हर घंटे के हिसाब से 53 एक्सीडेंट देखने को मिलते हैं जिसमे 17 मौत हर घंटे होती हैं.· सबसे ज्यादा एक्सीडेंट वाहनों के आमने-सामने भिड़ने के कारण होती हैं. करीब 87 हज़ार एक्सीडेंट में 24 हज़ार लोग इस कारण से मारे गए हैं.· सिर्फ़ नेशनल हाईवे पर ही 53 हज़ार से ज़्यादा लोगों की मौत हुई.· ओवर स्पीडिंग के कारण सबसे जयादा जानें जाती हैं. करीब 98 हज़ार लोग इस कारण के चलते मारे जाते हैं. कुल एक्सीडेंट के 67 प्रतिशत मौतें इसी कारणों से होती हैं.· सबसे ज्यादा मौतें दो पहिया वाहनों के एक्सीडेंट में देखने को मिली हैं. करीब 44 हज़ार लोग इन हादसों के शिकार हुए हैं.· सबसे ज्यादा मौतें 25 से 35 के आयु वाले लोगों में देखने को मिली हैं.

हमारे देश के लिए बहुत ही शर्म की बात है कि इतनी बहुमूल्य जानें सड़क हादसों में चली जाती हैं. ट्रैफिक नियमों के कड़ाई से पालन के लिए और लोगों में डिसिप्लिन ड्राइविंग प्रेरित करने के लिए कुछ नियमों को कठोर बनाना जरुरी है. नितिन गडकरी जानते हैं इन हादसों में मासूम लोगों की जान चली जाती है और कठोर कानून को अमल में लाने के लिए इसे संसद से पारित करवाना बहुत ही जरूरी है.

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लेखक

आलोक रंजन आलोक रंजन @alok.ranjan.92754

लेखक आज तक में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.

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