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Updated: 16 सितम्बर, 2016 02:30 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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दिल्‍ली के एक बाहरी इलाके में मौजूद अमन पार्क में दो लड़कियां जब अपने दोस्त के साथ वहां पहुंचीं तो पांच लड़कों ने उनका बलात्‍कार कर दिया. लेकिन क्या ये क्राइम की एक खबर भर है. जी नहीं. ये एक चेतावनी है. क्योंकि पांच में चार बलात्‍कारियों ने गिरफ्तार होते ही कहा कि वे अभी नाबालिग हैं. यानी, इन अपराधियों को पता है कि उनकी कम उम्र उनके लिए फायदेमंद है.

तो क्या बलात्‍कारियों का यह 'फायदा' इन दोनों लड़कियों और इनके माता-पिता के लिए चुनौती बन जाएगा. शब्द ‘निर्भया’ 16 दिसंबर से अमर हो गया. निर्भया फाइटर थी, लड़ती रही... पर एक दिन जिंदगी से हार गई. जीकर करती भी क्या. निर्भया के साथ रेप करने वाले 6 आरोपियों में से एक नाबालिग था. उसका नाम नहीं पता, पहचान नहीं पता क्योंकि उसकी उम्र 18 साल से कम थी. और वह आजाद भी हो गया. अब खुले आसमान के नीचे सांस ले रहा है. सोचिए निर्भया जिंदा होती तो उसे आजाद देखकर क्या मर जाने को दिल नहीं होता उसका?

सिर्फ एक निर्भया नहीं

हाल ही में दिल्ली के मुकुंदपुर इलाके में भी दो लड़कों ने एक लड़की के साथ बलात्कार किया, उसकी हत्या की और उसके शव को जंगल में ले गए, वहां फिर से शव के साथ दोनों ने बलात्कार किया. इन दोनों लड़कों में से एक जुवेनाइल था. दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है, पर कुछ दिनों बाद ये जुवेनाइल भी सलाखों के बाहर होगा. दो दिन पहले भी दिल्ली के नेब सराय में 9वीं कक्षा में पढ़ने वाले एक 15 साल के लड़के ने दूसरी क्लास की 7 वर्षीय लड़की के साथ बलात्कार किया. लड़की गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है. इसी साल नवंबर में मुंबई के मलाड में 10वीं के 4 लड़कों ने अपने साथ पढ़ने वाली लड़की का बलात्कार किया और इस घटना का वीडियो बनाकर उसे whatsapp पर शेयर भी किया.

अब निडर हैं बलात्कारी

2012 में बलात्कार के कुल दर्ज मामलों में 1,175 नाबालिग दोषी पाए गए थे. 2014 में बलात्कार करने वाले नाबालिगों की संख्या अचानक से बढ़ गई. बलात्कार के 36,735 मामलों में 1,989 बलात्कारी नाबालिग थे. इन मामलों को देखकर क्या ये नहीं लगता कि नाबालिगों में डर खत्म हो गया है. वो निडर होकर बलात्कार कर रहे हैं. उन्हें पता है इस पर न फांसी होगी और न 7 साल की सजा. डरना किस बात का. कानूनन नाबालिगों को जेल नहीं बाल सुधार गृह भेजा जाता है और तीन साल बाद छोड़ दिया जाता है. उसके बाद वो आजाद हैं. बाल सुधार गृह में वो सुधरे या फिर और बिगड़ गए, ये उनके अगले अपराध के आधार पर तय किया जाएगा. तब तक मामला 50-50.

मतलब ये कि नाबालिग बालिगों की तरह सैक्स भी कर सकते हैं और बलात्कार भी लेकिन चूंकि वो 17 साल या फिर 17 साल 11 महीने के हैं इसलिए सजा नहीं पा सकते.

नाबालिग बलात्कारी क्या बलात्कारी नहीं?

नाबालिगों की तरफदारी करने वालों की भी कमी नहीं. 'अकसर लड़कों से ऐसी गलतियां हो जाती हैं'. उनका न तो चेहरा दिखाया जाता है, न नाम बताया जाता है. ऐसा किया तो सुधरने के बाद उनका भविष्य खराब हो जाएगा. पर इस बात की क्या गारंटी कि तीन साल के बाद वो नाबालिग कोई बलात्कार नहीं करेगा?

यहां बलात्कारी के लिए न फांसी की मांग की जा रही है और न उसका लिंग काटकर फेंक देने की. यहां सवाल है भारत के कानून से कि वो 'बलात्कार' को सिर्फ 'बलात्कार' क्यों नहीं समझता. नाबालिग ने किया या फिर 60 साल के बूढ़े ने, दो महीने की बच्ची से किया या फिर 80 साल की बुढ़िया से. बलात्कार सिर्फ बलात्कार होता है. जिसपर होता है वो ताउम्र उसे भोगता है. बलात्कार पर कोई कड़े कानून क्यों नहीं बनाए जाते? क्यों बलात्कार करने से पहले लोगों को डर नहीं लगता?

निर्भया कांड को चार साल बीत गए. पर बलात्कार पर कानून का रवैया अब भी लचर है. निर्भया के माता-पिता की उम्मीद टूट गई और उसकी जगह शर्मिंदगी ने ले ली, कि वो उसे न्याय नहीं दिला सके. उनके साथ-साथ भारत की बेटियों की भी न्याय व्यवस्था से लगी उम्मीदें टूट रही हैं. निर्भया के आरोपी का छूटना अपने आप में एक सवाल है. जिसका उत्तर हर किसे के पास है अलग अलग मायनों के साथ. जिनमें से एक ये भी है कि- आने वाले समय में न ये बलात्कार थमेंगे और न नाबालिग बलात्कारियों की संख्या. तो अगर आप 18 साल से कम हैं तो निडर होकर कीजिए रेप. पकड़े भी गए तो तीन साल बाद बाइज्जत छूट जाएंगे, काम काज की व्यवस्था भी सरकार खुद करके देगी और कोई पहचान भी नहीं सकेगा कि आप ही वो बलात्कारी हैं.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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