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Updated: 02 नवम्बर, 2017 05:18 PM
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हमारे समाज में शादी का लाइफ सेटल होने का पर्याय माना जाता है. जीवन में कुछ किया न किया शादी तो जरुर ही करनी है. लड़की के पैदा होते ही माता-पिता को उसकी शादी की चिंता सताने लगती है. हर मां-बाप अपनी लड़की के लिए अच्छे से अच्छा वर खोजने की फिराक में रहते हैं. ऐसे में अगर लड़का विदेश में रहता-कमाता हो, यानी एनआरआई हो, तो फिर तो आंख बंद करके रिश्ता फाइनल कर दिया जाता है.

लेकिन समय के साथ जैसे रिश्ते बदल रहे हैं वैसे ही शादी भी बर्बादी का पर्याय बनती जा रही है. खासकर एनआरआई शादियों में फर्जीवाड़े की घटनाएं बहुत बढ़ गई हैं. अमूमन ऐसा सुनने में आता है कि फलां ने अपनी बेटी की शादी एनआरआई लड़के से की लेकिन रिश्ता फर्जी निकला. एनआरआई लड़का मिलने के लालच में परिवार ज्यादा खोजबीन भी नहीं करते नतीजा धोखा खाकर अपनी बेटी की जिंदगी नर्क कर देते हैं.

ऐसी ही कहानी है लखनऊ की रहने वाली आर्शी (बदला हुआ नाम) की. अपनी शादी को लेकर आर्शी बहुत उत्साहित थी. आर्शी की शादी माता-पिता ने तय की थी. लड़का कतर में रहता था. अच्छा कमाता था. लेकिन आर्शी को बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि जिस शादी के लिए उसने लाखों सपने अपनी आंखों में सजा रखे हैं जल्दी ही उसका दर्दनाक अंत होने वाला है.

शादी के बाद आर्शी अपने पति के साथ कतर चली गई. वहां जाकर उसे अपने पति का दूसरा ही चेहरा देखने को मिला. आर्शी का पति शराब पीकर उससे रोज गाली-गलौज करता, मारपीट करता. शादी के एक साल बाद आर्शी गर्भवती हो गई. आर्शी अपने माता-पिता के पास भारत वापस आ गई. वापस आकर आर्शी ने अपने माता-पिता को अपना दुख बयान किया जिसके बाद उसके पिता ने बातचीत करने की कोशिश की. लेकिन आर्शी का पति बहाने बनाकर भारत आने का प्लान कैंसिल करता रहता.

बेटी के जन्म के बाद आर्शी के पति ने उसे तलाक दे दिया. आर्शी के पति ने भारत वापस आने से मना कर दिया और उसके घरवालों ने भी मामले से पल्ला झाड़ लिया. थक हारकर आर्शी के पिता ने पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई. इनका मामला अभी तक कोर्ट में चल रहा है. आरुषी ने जॉब ज्वाइन कर लिया है और अब अपने अतीत की कड़वी यादों को भूलकर अपना भविष्य उज्जवल बनाने की जद्दोजहद में लगी है.

आर्शी की कहानी न तो हमारे देश में कोई पहला केस है और न ही आखिरी. यहां तक की पुलिस भी इस मामले में अपने हाथ बंधे पाती है...

एनआरआई शादियां पुलिस की पहुंच से दूर-

NRI marraigeकानून के हाथ इन मामलों में छोटे हो जाते हैं

एनआरआई शादियों में घरेलु हिंसा और दहेज प्रताड़ना के केस आम हैं. सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाइन के मुताबिक दहेज प्रताड़ना के केसों में सबसे पहला काम काउंसेलिंग करने का होता है. जब भी दहेज प्रताड़ना का कोई केस होता है तो दंपत्ति को सबसे पहले काउंसेलिंग कराने के लिए कहा जाता है. लेकिन डेकेन क्रॉनिकल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक एनआरआई पति इस तरह के केस में जब उन्हें आरोपी बनाया जाता है तो वो देश छोड़कर ही चले जाते हैं. ऐसे ज्यादातर लोग खाड़ी देशों में काम कर रहे होते हैं और केस दर्ज होने के तीन-चार साल या उससे भी लंबे समय तक वो फिर वापस देश आते ही नहीं हैं. नतीजा पीड़िता को न्याय मिलने में उतनी ही देर होती है.

कुछ पुरुष तो शादी के बाद काम की वजह से देश छोड़कर चले जाते हैं और अपनी बीवी को भरोसा दिलाते हैं कि उसके लिए वीजा का प्रबंध कर देंगे. लेकिन कई केसों में ऐसा होता नहीं है और भारत छोड़ते ही वो अपनी पत्नी को तलाक दे देते हैं. दुख की बात तो ये है कि ये लोग भारत वापसे आने के किसी कानूनी प्रतिबद्धता में भी नहीं बंधे होते. नतीजतन सालों साल ऐसे केस पेंडिंग पड़े रहते हैं. हालांकि अब पुलिस इस मामले थोड़ी ज्यादा सीरियस हो रही है. ऐसे आरोपियों के लिए अब पासपोर्ट अधिकारियों से मदद मांगी जाती है. अगर आरोपियों का पासपोर्ट जब्त हो गया तो चीजें थोड़ी आसान हो जाएंगी और आरोपियों को ट्रायल के लिए भारत वापस लाया जा सकेगा.

सरकार आगे आई है-

एनआरआई शादियों के मामले में जब लड़का विदेश चला जाता है तो सरकार के हाथ भी बंध जाते हैं. ऐसे में अब इस तरह के मामलों के निपटारे के लिए सरकार ऑनलाइन पोर्टल लाने पर विचार कर रही है. पोर्टल ऐसी महिलाओं की मदद करेगा जिनके एनआरआई पति ने शादी के बाद उन्हें छोड़ दिया है और तलाक के लिए जद्दोजहद में लगी हैं.

आंकड़े हैरान करने वाले हैं-

भारत में ऐसे केस भारी संख्या में देखने को मिल रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक 2011-12 से 2014-15 तक 12 भारतीय दूतावासों में फर्जी शादियों के 275 मामले दर्ज कराए गए थे. इनमें से ज्यादातर मामलों में या तो लड़का पहले से ही शादीशुदा था या फिर शादी के बाद उसने अपनी पत्नी को छोड़ दिया था. दहेज के मामले भी बहुतायत में देखने के लिए मिलते हैं.

न्यू जर्सी स्थित एनजीओ मानवी के आंकड़ों को मानें तो 2004 में अकेले गुजरात में शादी के बाद लड़की को छोड़ देने के 12,000 केस दर्ज थे और पंजाब में तो ये आंकड़ा भयावह रूप से 25,000 है.

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