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Updated: 21 जनवरी, 2016 12:19 PM
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"रिक्शा में क्यों?" पहले ही दिन उससे से ये सवाल पूछा जाता है.

"सर ये मेरे पापा हैं" वो लड़की बड़े ही गर्व से कहती है. जब पिता करीब आते हैं तो परिचय कराती है, "बॉस."

बॉस के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहता. इतना कि शब्द पीछे छूट जाते हैं. "आप को मिल कर... " शब्द अटक जाते हैं, शायद, "...बहुत बहुत खुशी हुई."

फिर पीछे से आवाज आती है - आपकी चमक ही आपकी पहचान है. वाकई.

इस विज्ञापन से जितना भी प्रोडक्ट बिका हो वो बात अलग है, पर अगर किसी को इससे प्रेरणा मिली तो ये ज्यादा महत्वपूर्ण है.

नई पीढ़ी और उसका मिजाज

कामयाबी के किस्से हजार हैं. डॉक्टर का बेटा डॉक्टर और इंजीनियर का बेटा इंजीनियर का फैशन पुराना पड़ चुका है. नेता के बेटे का नेता बनना भी कोई बड़ी बात नहीं, कारोबार का वारिस तो बेटा ही होता है. लालू प्रसाद कहते भी हैं, वारिस बेटा नहीं होगा तो कोई दूसरा होगा - और कालांतर में बेटे मंत्री बनते हैं और बेटे जैसे पप्पू यादव तमाशा देखते हैं.

स्टार किड्स के भी कई किस्से हैं - हृतिक रोशन से लेकर अभिषेक बच्चन तक, और भी कई सारे. 2016 में भी कई सारे स्टार पुत्र धमाल करने वाले हैं.

इस कतार में ऐसे बच्चे भी हैं जो ऊपर से नजर नहीं आते. उनकी कामयाबी कभी इवेंट का हिस्सा नहीं बनती. नतीजे सीधे सुर्खियां बनते हैं.

गुदड़ी के ये लाल जब तब गरीबी और अभाव के धुंध से बाहर आते हैं - और फिर अपनी चमक से सितारों को भी शिकस्त देते हैं.

कोई ठेले वाले का बेटा या बेटी है तो कोई चाय वाले का तो कोई ऐसे ही किसी और का. ये बच्चे नई किंवदंतियां खुद ही गढ़ रहे हैं.

श्रुति की उपलब्धि

पंजाब की श्रुति के पिता जिस कोर्ट के बाहर चाय की दुकान चलाते हैं, वहीं अब उनकी बेटी जज बनेगी. एलएलएम की डिग्री हासिल कर चुकी श्रुति ने पंजाब न्यायिक सेवा की परीक्षा में एससी कैटेगरी में टॉप किया है.

श्रुति की इस कामयाबी का अंदाजा उसके पिता सुरिंदर को भी नहीं था, "बेटी कुछ बड़ा तो करना चाहती थी, पर जज बनेगी ऐसा न सोचा था."

श्रुति भी कहती है कि उसके मां-बाप ने कड़ी मेहनत की है - और अब उसकी बारी है.

गालिब गुरु का कमाल

गालिब गुरु ने तो कमाल ही कर दिया है. जम्मू कश्मीर बोर्ड में उसके 94.5 फीसदी मार्क्स आए हैं. गालिब ने अंग्रेजी, गणित, सोशल साइंस, साइंस और उर्दू से इम्तिहान दिया था और सभी विषयों में उसे ए वन ग्रेड मिला है.

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डॉक्टर बन कर सेवा करना चाहता है गालिब

गालिब कोई और नहीं बल्कि अफजल गुरु का बेटा है. अफजल को संसद पर हमले का दोषी पाए जाने पर फरवरी 2013 में तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई. गालिब के बैकग्राउंड को देखते हुए ये बड़ी ही दुर्लभ उपलब्धि है. अफजल को जब जेल भेजा गया तब गालिब साल भर का रहा होगा. बाद में जब वो मिलने के लिए जेल जाता तो उसे कुछ समझ में नहीं आता. सोचता जैसे टीवी पर दिखाते हैं वैसे ही किसी को मारा होगा. जब गालिब बड़ा हुआ तो उसे पूरी बात समझ में आई.

अफजल की मिसाल देकर आतंकवादी न जाने कितने मासूमों को जिहादी बनाने की कोशिश में होंगे, लेकिन उसके बेटे ने पढ़ाई पर फोकस किया. कड़ी मेहनत की. दिन रात पढ़ता रहा. गालिब को पढ़ाई का फल मिला - और नतीजा दुनिया के सामने है. ऐसा नतीजा जो दुनिया में भर में नायाब मिसाल है.

बच्चों का भविष्य संवारने में परवरिश का बड़ा रोल होता है. मगर, काफी चीजें बच्चे की सोच पर निर्भर करती हैं.

एक जुवेनाइल बलात्कारी के सजा काट कर बाहर आने पर जिहादी बन जाने तक की खबरें आती हैं, तो एक आतंकवादी का बेटा डॉक्टर बन कर लोगों की सेवा करना चाहता है. बड़े सपने और अच्छी सोच की बदौलत ही एक चायवाले की बेटी जज बन जाती है. ये इन बच्चों की बड़ी सोच ही जो इन्हें कामयाब बना रही है. वास्तव में, ये नये मिजाज के बच्चे हैं जिनकी सोच दुनिया के लिए मिसाल है तो कामयाबी बाकियों के लिए प्रेरणा का स्रोत.

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