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Updated: 11 जून, 2016 06:47 PM
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देश में मांसाहार (नॉन वेजेटेरियन) और शाकाहार (वेजेटेरियन) के बीच पिछले कुछ समय से जारी बहस के बीच एक ऐसा डेटा आया है जिससे पता चलता है कि भारत में किस राज्य में मांसाहारी और किस राज्य में सबसे ज्यादा शाकाहारी लोग रहते हैं.

देश के 21 बड़े राज्यों के 15 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के बीच किए गए रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के सर्वे के मुताबिक भारत में सबसे ज्यादा मांसाहारी लोग आंध्र प्रदेश से अलग होकर बने तेलंगाना में रहते हैं, इस मामले में आंध्र प्रदेश का नंबर तीसरा है, जबकि पश्चिम बंगाल सबसे ज्यादा मांसाहारी आबादी के मामले में दूसरे स्थान पर है. देश के सबसे कम मांसाहारी या यू कहें कि सबसे ज्यादा शाकाहारी लोग राजस्थान में रहते हैं, जबकि इसके बाद हरियाणा और पंजाब का नंबर आता है.

देश में सबसे ज्यादा शाकाहारी और मांसाहारी राज्य कौन? इस सर्वे के मुताबिक तेलंगाना में करीब 99 फीसदी लोग मांसाहारी या नॉन वेजेटेरियन हैं. इनमें 98.8 फीसदी पुरुष और 98.6 फीसदी महिलाएं शामिल हैं. इस मामले में पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर है जहां के 98.7 फीसदी पुरुष और 98.4 फीसदी महिलाएं नॉन वेजेटेरियन हैं.

इसके बाद आंध्र प्रदेश का नंबर है, जहां के 98.4 फीसदी पुरुष और 98.1 फीसदी महिलाएं नॉन वेजेटेरियन हैं. इस लिस्ट में झारखंड सातवें नंबर पर और बिहार आठवें नंबर पर है. झारखंड के 97.2 फीसदी पुरुष और 96.3 फीसदी महिलाएं नॉन वेजेटेरियन हैं, जबकि बिहार के 93.2 फीसदी पुरुष और 91.7 फीसदी महिलाएं नॉन वेजेटेरियन हैं.

इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश का नंबर 16वां है, यूपी में 55 फीसदी पुरुष और 50.8 फीसदी महिलाएं नॉन वेजेटेरियन हैं. राजधानी दिल्ली मांसाहार का सेवन करने वालों की लिस्ट में 14वें नंबर पर है, दिल्ली में 63.2 फीसदी पुरुष और 57.8 फीसदी महिलाएं नॉन वेजेटेरियन हैं.

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सरकार के एक सर्वे के मुताबिक तेलंगाना में देश के सबसे ज्यादा नॉन वेजेटेरियन लोग रहते हैं

सबसे कम नॉन वेजेटेरियन खाने वालों या सबसे ज्यादा वेजेटेरियन आबादी के मामले में राजस्थान पहले नंबर पर है. राजस्थान में महज 26.8 फीसदी पुरुष और 23.4 फीसदी महिलाएं ही नॉन वेजेटेरियन हैं. सबसे कम मांसाहारी आबादी के मामले में राजस्थान के बाद हरियाणा, पंजाब और गुजरात का नंबर आता है. हरियाणा में 31.5 फीसदी पुरुष और 30 फीसदी महिलाएं और पंजाब में 34.5 फीसदी पुरुष और 32 फीसदी महिलाएं नॉन वेजेटेरिन हैं. गुजरात में नॉन वेज खाने वालों में 39.9 फीसदी पुरुष और 38.2 फीसदी महिलाएं हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि तेलंगाना में मीट की खपत लोगों की खाने की पारंपरिक आदत को दिखाती है. तेलंगाना में लोग मेमने और चिकन खूब खाते हैं और यहां तक कि इन चीजों को नाश्ते में भी इस्तेमाल करते हैं. यहां के लोग जानवरों के शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे गुर्दा, भेजा, पाया खाते हैं. साथ ही बहुत से लोग खरगोश, एमू और बटेर भी खाते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि तेलंगाना में बढ़ती हुई मांस की खपत का कारण बदलती हुई लाइफ स्टाइल है और इसे धर्म से जोड़ना ठीक नहीं है.

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश मांस और अंडे के उत्पादन के मामले में देश के दो सबसे बड़े राज्यों में शामिल हैं. 2014-15 में आंध्र प्रदेश 1309.58 करोड़ अंडे के उत्पादन के साथ देश में दूसरे और तेलंगाना 1006 करोड़ अंडों के उत्पादन के साथ इस मामले में तीसरे स्थान पर है. इस दौरान आंध्र प्रदेश 5.27 लाख मीट्रिक टन मांस उत्पादन के साथ चौथे जबकि तेलंगान 4.46 लाख मीट्रिक टन मांस उत्पादन के साथ छठे स्थान पर रहा. 

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