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Updated: 01 दिसम्बर, 2017 09:41 PM
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AIDS .... इस बीमारी का नाम सुनते ही कई तरह की बातें हमारे जहन में आती हैं. एक ऐसी बीमारी जो लाइलाज है.. दवा तो उपलब्ध है, लेकिन बहुत कम ही मरीजों तक पहुंच पाती हैं. 1981 से 2012 तक एड्स के कारण दुनिया भर में लगभग 36 मिलियन लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. जहां AIDS की बात आती है वहां लगता है कि ये सेक्स वर्करों की बीमारी है. एचआईवी पॉजिटिव निकल आया तो मौत पक्की है, या फिर सिर्फ अनप्रोटेक्टेड सेक्स करने से ही AIDS होता है. अगर आपसे कहा जाए कि सबसे ज्यादा AIDS सेक्स वर्करों को नहीं बल्कि किसी और को होता है तो.. एड्स को लेकर कुछ फैक्ट जो आम लोगों के लिए जानने बहुत जरूरी हैं...

1. ट्रांसजेंडर को हुआ है सबसे ज्यादा AIDS...

worldbank.org के मुताबिक 2012 के सर्वे में महिला सेक्स वर्कर्स की तुलना में ये पाया गया कि गे सेक्स में पुरुषों को ज्यादा एड्स हुआ है. महिलाओं का प्रतिशत 2.61 था और वहीं पुरुष जिन्होंने किसी और पुरुष के साथ सेक्स किया था उनका प्रतीशत 5.01 था. नशीली दवाओं के इंजेक्शन लगाने वालों का प्रतिशत 5.91 था और सबसे ज्यादा ट्रांसजेंडर्स को यानि 18.80 प्रतिशत को एड्स हुआ था.

एड्स, बीमारियां

2. HIV और एड्स में है काफी अंतर...

एचआईवी वायरस के कारण शरीर कमजोर होता है और ये किसी भी तरह के इन्फेक्शन से लड़ने के लायक नहीं रह जाता. सिर्फ एचआईवी वायरस शरीर में आने सी ही एड्स नहीं होता. बल्कि एड्स तब होता है जब किसी को एचआईवी इन्फेक्शन हो जाए. एड्स इस इन्फेक्शन का आखिरी पड़ाव है.

3. कैसे होता है सबसे ज्यादा रिस्क...

बिना किसी प्रोटेक्शन के अगर किसी भी तरह का सेक्स किया है.. या अगर किसी को पहले से ही हर्पीज, सिफिलिस जैसा कोई भी गुप्तांगों का इन्फेक्शन हो चुका है तो शरीर में HIV वायरस आने की गुंजाइश बढ़ जाती है.

4. कैसे आ सकता है ये वायरस शरीर में...

सबसे ज्यादा ये सेक्शुअल कॉन्टैक्ट या फिर किसी सीरिंज से होता है. अगर किसी एड्स पेशंट को चोट लग जाती है या खून आता है तो उसे बिना दस्ताने पहने छूना भी गलत होगा. अगर किसी वजह से उसका खून शरीर के अंदर चला जाता है तो ये वायरस किसी दूसरे के शरीर में भी आसानी से पहुंच सकता है.

हां, किस करने से, गले लगाने से, साथ खाना खाने से, एक ही टॉयलेट शेयर करने से एड्स नहीं होता. ये टैटू या शरीर छिदवाने वाली सुई से भी हो सकता है.

5. HIV के लिए दवा तो है, लेकिन रोग फिर भी लाइलाज है...

HIV के लिए दवा है और वो वायरस को काफी हद तक रोक सकती है, लेकिन वो वायरस हमेशा शरीर में रहेगा और कभी भी ये हमारे शरीर से जाता नहीं है. वैज्ञानिक बहुत कोशिश में हैं कि ऐसा कोई वैक्सीन बनाया जाए जिससे शरीर का इम्यून सिस्टम सही रहे, लेकिन अभी इसमें काफी रिसर्च बाकी है.

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