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Updated: 27 नवम्बर, 2022 04:30 PM
ज्योतिरंजन पाठक
ज्योतिरंजन पाठक
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दिल्ली में हुए श्रद्धा मर्डर केस के बाद लिव इन रिलेशनशिप की प्रामाणिकता पर एक बार फिर सवाल उठा रहा है. हालांकि कानून द्वारा इस पर मुहर लग चुकी है, लेकिन समाज में आज भी बिना शादी के एक साथ रहना सवालों के घेरे में है. लिबरल गैंग तो यह भी प्रश्न उठा रहे हैं कि क्या श्रद्धा जैसी घटना शादीशुदा महिलाओं के साथ में नहीं होती हैं? बिल्कुल होती है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता है, लेकिन जिस व्यवस्था पर परिवार और समाज की रजामंदी नहीं होती है, उस पर आफताब जैसे लोग की निडरता और बढ़ जाती है. आज हमें भले लिव इन रिलेशनशिप की प्रासंगिकता की बात करें लेकिन उसमें प्रामाणिकता लेस मात्र भी नहीं है.

लिव इन रिलेशनशिप की चलन की बात करें तो यह पाश्चात्य संस्कृति से आई है. वहां के लिए आम बात है, लेकिन भारतीय सभ्यता में बिना शादी के एक स्त्री-पुरुष के साथ रहने को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. लेकिन बदलती जीवनशैली में इसे भारत में भी अपनाया जाने लगा है. चूंकि आज लिव इन रिलेशनशिप में रहना बड़े शहरों में आम हो चुका है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इसे कानून वैध करार दिया है. गौरललब हो कि भारतीय संसद ने लिव इन रिलेशनशिप पर कोई कानून पारित नहीं किया है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट का आदेश ही इस मामले में कानून की तरह काम करता है. कोर्ट लिव इन को पूरी तरह वैध मानता है.

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दरअसल घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 2 (एफ) के अंतर्गत लिव इन को परिभाषित किया गया है. इसमें यह कहा गया है कि एक कपल को लिव इन रिलेशन में पति-पत्नी की तरह रहना आवश्यक है. हालांकि इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है, लेकिन उनका लगातार साथ रहना जरूरी है. ऐसे संबंध को लिव इन नहीं माना जाएगा जिसमें कभी कोई साथ रहे हो और फिर अलग हो जाएं, फिर कुछ दिन साथ रह लें. लिव इन कपल का एक ही घर में पति-पत्नी की भांति रहना अनिवार्य होगा. उन्हें घर के सामानों का उपयोग संयुक्त रूप से करना होगा.

आज बदलते परिवेश में भारत की बात करें तो लिव इन का चलन बढ़ता जा रहा है. क्योंकि यह बात मानने वाली पीढ़ी अब समाप्त होती जा रही है जिसके जेहन में यह बात होती थी कि जिससे उसका प्रेम होगा उसी से वह शादी कर जीवन भर निभाना ही प्रेम है, लेकिन बदलते वक्त ने प्रेम के लिए शादी की अनिवार्यता को समाप्त ही कर दिया है. इस विचार को हाशिए पर धकेल दिया गया कि प्रेम जिससे हो उससे शादी करना जरूरी है. क्योंकि आज के समय में वयस्क यह मानने लगे हैं कि प्रेम के बाद शादी आवश्यक नहीं है, लिव इन रिलेशन में भी रहा जा सकता है क्योंकि इसमें शादी का बंधन नहीं होता है और कोर्ट के तरफ से मान्यता प्राप्त है. जब तक इच्छा है, तब तक साथ रहे उसके बाद अलग होने के लिए कोई कानूनी प्रक्रिया से नहीं गुजरना होता है.

बड़े और खुले विचारों के समाजों में आज युवा लिव इन को शादी से ज्यादा तरजीह दे रहे हैं, लेकिन क्या भारतीय सामाजिक दृष्टिकोण से बिना शादी के महिला-पुरुष का साथ में रहना पश्चमी सभ्यता को बढ़ावा देना नहीं है. क्योंकि समाज का विकास और स्वास्थ्यता इस बात पर निर्भर करती है कि उसके नियम और उसकी बनावट में परिवर्तन किसी दूसरे देश की नकल करके नहीं किया जा सकता है. लिव इन भी पश्चमी समाज का हिस्सा है लेकिन भारत में विवाह एक सामाजिक व्यवस्था है जिसके तहत सभ्य समाज की परिकल्पना को स्थायित्व प्रदान की जाती रही है.

अगर एक पल के लिए लिव इन रिलेशन को समाज स्वीकार करने भी लगे तो क्या इसके गहरे दुष्परिणाम नहीं होंगे. क्योंकि वयस्क के दिमाग में यह बात घर करेगी कि कुछ वर्ष एक साथ रहा जाय उसके बाद कुछ साल किसी दूसरे के साथ रहा जाय और यह सिलसिला ही समाज को अश्लीलता के तरफ धकेल देगी. इसके साथ ही शादी जैसे पवित्र सामाजिक बंधन से लोगों के मन में विश्वास खत्म होने लगेगा और शादी को धता बताकर लिव इन रिलेशन को प्राथमिकता के आधार पर चयन करने लगेंगे. भले ही कोर्ट और कानून के नजर में लिव इन रिलेशनशिप वैध है, लेकिन समाज आज भी स्वीकार करने में संकोच करता है. छोटे शहर और ग्रामीण इलाकों की बात करें तो लिव इन रिलेशन जैसी व्यवस्था अभी उस स्तर पर नहीं पहुंची है. अपवाद स्वरूप कोई एकाध मामलों से इंकार भी नहीं किया जा सकता है. वहीं मेट्रो सिटी में यह चलन तेजी से अपना पैर पसार चुका है.

तब ऐसे में यह भी सोचना और समझना होगा कि क्या जब बड़े शहरों में इसका प्रचलन हो चुका तो वह दिन दूर नहीं है जहां कि भारत के हरेक समाज इस पश्चिमी सोच से प्रभावित नहीं होगी. अगर समय रहते हम अपने बच्चों और समाज को लिव इन रिलेशनशिप के विचारों से बचाने के प्रति जबाबदेह नहीं रहे तो समाज रुग्ण और विकृत होता चला जाएगा, जो अनेक समस्याओं को जन्म देगा.

लेखक

ज्योतिरंजन पाठक ज्योतिरंजन पाठक @1374901269660665

मैं उपन्यासकार साथ ही हिन्दी अखबार में सामयिक मुद्दे पर आर्टिकल लिखता हूँ ।

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