New

होम -> समाज

 |  5-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 24 जनवरी, 2017 02:50 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
  • Total Shares

वड़ोदरा रेलवे स्‍टेशन के प्लेटफार्म पर जो हुआ, उसमें गलती शाहरुख से ज्‍यादा रेलवे प्रशासन की है. आखिर उन्‍होंने शाहरुख को ऐसी इजाजत दी ही कैसे? क्‍या रेलवे प्रशासन कल किसी नेता को भी चुनावी सभा करने के लिए प्‍लेटफॉर्म मुहैया कराएगा ?

अब बात शाहरुख की. एक ऐसा हीरो जो अपनी अदाकारी से सालों से लोगों को अपना दीवाना बना रहा हो. जो ऐसे मुकाम पर खड़ा हो जहां उसे किसी परिचय की जरूरत नहीं. जो बॉलीवुड का बादशाह हो, जिसके करोड़ों फैन्स हों, जो शाहरुख खान हो, जिसके पास सबकुछ हो, फिर क्या था कि अपनी फिल्म रईस के प्रमोशन के लिए वो ट्रेन में चढने को मजबूर हो गए.

'रईस' के प्रमोशन के लिए वो कुछ नया करना चाह रहे थे या फिर अपनी पिछली फिल्मों की असफलता ने उन्हें डरा दिया था, जो इस बार अपना कद नापने आम जनता के बीच में जाने का फैसला कर लिया. डर ने भले ही शाहरुख के भरोसे को हिला दिया हो लेकिन वो खुद क्यों भूल गए कि वो शाहरुख खान हैं, कि ये वो नाम है जिसके दीवाने भारत में ही नहीं हर मुल्क में बसते हैं. फैन्स उनकी एक झलक पाने के लिए दीवानों की तरह उसके घर के नीचे खड़े रहते हैं.

पर यहां वो सेलिब्रिटी वाले कायदे कैसे भूल गए? सेलिब्रिटी तो पब्लिक प्लेस में जान से बचते हैं, पपराज़ी और क्राउड से दूर रहना चाहते हैं फिर क्यों 'अगस्त क्रांति' एक्सप्रेस पर सवार होकर मुंबई से दिल्ली की यात्रा पर निकल पड़े. रेलवे स्टेशन तो पहले से ही भीड़ से पटे रहते हैं, लेकिन इस रूट के हर रेलवे स्टेशन पर शाहरुख खान की एक झलक देखने के लिए हजारों लोग पहुंचे थे, गुजरात के वडोदरा स्टेशन पर भीड़ इतनी बेकाबू हो गई कि एक शख्स की मौत हो गई और दो पुलिस वाले समेत कई लोग घायल भी हुए. ये हालात लगभग हर स्टेशन के रहे होंगे.

ये भी पढ़ें- 'रईस' की सफलता के लिए मोहरा हैं ये विवाद

लेकिन शाहरुख खान के इस प्रचार और रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ अपने पीछे कुछ सवाल भी छोड़ गई है, जिनके जवाब तो मिलने चाहिए.

- क्या सेलिब्रिटीज़ को पब्लिक प्लेस में फिल्मों के प्रचार की इजाज़त मिलनी चाहिए?

- क्या फिल्मों के प्रचार प्रसार की गाइडलइंस तय नहीं होनी चाहिए? लोगों की असुविधा को ध्यान में रखते हुए फिल्मों का प्रचार किन जगहों पर और किस तरह से होना चाहिए क्या ये जरूरी नहीं है?  

- क्या रेलवे किसी भी प्रचार प्रसार के लिए किसी को भी इजाजत दे सकता है, जिससे स्टेशन पर अनियंत्रित भीड़ हो और यात्रियों को असुविधा हो?

- जिस देश में मात्र प्लेटफॉर्म बदल देने की सूचना मात्र से अफरातफरी और भगदड़ मच जाती हो, वहां किसी सुपर स्टार के आने के बाद की स्थिति का अंदाजा लगाना क्या रेल मंत्रालय के लिए मुश्किल था?

- जहां रेलवे की रेल ट्रेक पर ढंग से चल नहीं पा रही हो, आए दिन एक्सीडेंट्स होते रहते हों और साकड़ों लोगों की जानें जाएं, उस रेल मंत्रालय को क्या ऐसे किसी भी एक्पेरिमेंट करने की हिम्म्त करनी चाहिए थी?

img_0978_012417014712.jpgशाहरुख के आने पर इस तरह खचाखच भरा था वडोदरा रेलवे स्टेशन

img_0979_012417014832.jpgऔर ट्रेन के जाने के बाद नजारा कुछ ऐसा था..

पर जहां सैकड़ों लोग मरते हों वहां वडोदरा रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ की वजह से हुई एक मौत के कोई मायने ही नहीं. पर अगर रेल मंत्रालय इतना ही उत्साही रहा तो वो दिन भी दूर नहीं जब हम प्रधनमंत्री मोदी को प्रचार के लिए किसी न किसी रेल में सफर करते, भाषण देते और स्टेशन पर लोगों से मिलते जुलते देख ही लेंगे.

रही बात शाहरुख खान की तो उन्हें भी ये समझ लेना चाहिए कि सेलिब्रिटी बनने के भी कुछ कायदे होते हैं. कोई भी इतना बड़ा सुपर स्टार नहीं कि अपने किसी प्रचार के लिए देश की सार्वजानिक सेवाओं को आपने हिसाब से प्रभावित कर सके. और अगर लोगों के बीच ही रहकर प्रचार करने में फायदा नजर आ रहा हो तो फिर आपकी हवाई यात्राओं पर भी बैन लगे, फिर आप सिर्फ ट्रेन से ही ट्रेवल करें, लोगों के बीच ही रहें, उन जैसा ही बनकर.

ये भी पढ़ें- रईस हिट है लेकिन शर्तों के साथ...

ट्रेन में यात्रा करना हर किसी का अधिकार है, शाहरुख खान का भी है, पर अगर ये महज शाहरुख खान की यात्रा होती तो अच्छा लगता लेकिन यहां एक सुपर स्टार अपनी फिल्म का प्रमोशन कर रहा था. जिसने कितने ही यात्रियों को असुविधा दी होगी. इस रेल यात्रा के बाद भले ही शाहरुख खान अपने स्टारडम से बेहद खुश हों, लेकिन उस एक शख्स की मौत उन्हें भी सालती रहेगी.

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय