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Updated: 19 मई, 2018 10:58 AM
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एक फ्लाइट अटेंडेंट की जिंदगी भी बड़ी अजीब होती है. पब्लिक सेक्टर के हर फील्ड में काम करने वाले लोगों को काफी कुछ झेलना पड़ता है, लेकिन फ्लाइट अटेंडेंट की कुछ बात अलग है. 10 हज़ार फीट पर उड़ते हुए सभी यात्रियों की बातें सुनना, उनकी जरूरतों को पूरा करना, उनकी गंदगी साफ करना थोड़ा अलग होता है.

चर्चित फ्लाइट अटेंडेंट Annette Long ट्विटर और Quora पर काफी एक्टिव रहती हैं. एनेट ने अपने 13 साल के एक्सपीरियंस से फ्लाइट अटेंडेंट की जिंदगी और फ्लाइट में सफर करने वाले यात्रियों को लेकर कई सवालों को जवाब दे चुकी हैं. ये वो जवाब हैं जो आसानी से नहीं मिलते. कई बार स्टाफ से ही पूछने पड़ते हैं.

1. क्या फ्लाइट अटेंडेंट एयरप्लेन का खाना खाते हैं?

एनेट का कहना है कि हमेशा ऐसा होता है. जो भी खाना बच जाता है उसे खाया जाता है. सबसे पहले पैसेंजर्स को खाना दिया जाता है.

2. कौन सी फ्लाइट सबसे अच्छी लगती है?

ये उस व्यक्ति पर निर्भर करता है, किसी को इंटरनेशनल फ्लाइट्स अच्छी लगती हैं तो किसी के लिए डोमेस्टिक में सुकून रहता है.

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3. लंबी यात्रा क्या असर डालती है?

फ्लाइट अटेंडेंट काफी थक चुके होते हैं. लंबी यात्रा ऐसी होती है कि उन्हें पैसेंजर्स के जाने के बाद तक कई घंटे इंतजार करना पड़ सकता है. इतनी थकान हो जाती है कि दरवाज़ा खोलना भी मुश्किल लगता है.

4. क्या लंबी यात्राओं के दौरान सोया जा सकता है?

हां, 12-14 घंटे की फ्लाइट्स में चार ब्रेक होते हैं. यात्रियों को ड्रिंक्स देने, खाना देने, खाली ट्रे हटाने, फिर ड्रिंक्स और फिर मीठा देने के बाद फ्लाइट अटेंडेंट ब्रेक लेना शुरू करती हैं. आधा क्रू आराम करता है और आधा काम. प्लेन के पीछे वाले हिस्से में बंक्स होते हैं जिसमें कोई बैठ तो नहीं सकता, लेकिन लेट जरूर सकता है. ये इतने छोटे होते हैं कि इन्हें बहुत आरामदायक नहीं कहा जा सकता, लेकिन फिर भी ये सोने या आराम करने या म्यूजिक सुनने के लिए अच्छे होते हैं.

4 घंटे के ब्रेक में सोना काफी मुश्किल होता है और नए लोगों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

फ्लाइट, प्लेन, यात्री, हवाई जहाज, टिकटऐसे ही केबिन में आराम करते हैं फ्लाइट अटेंडेंट

अगर प्लेन इस बीच में हिलता है या फिर बिजली कड़कती है तो बेड में ही सीट बेल्ट होती हैं जिन्हें पहनना होता है.

5. अगर फ्लाइट के बीच कोई बीमार पड़ जाए या मर जाए तो?

अगर किसी की मृत्यू फ्लाइट के बीच हो गई है तो ये बताया नहीं जाता है कि उसकी मृत्यू हो चुकी है. उस इंसान को कंबल उढ़ा दिया जाता है. अगर कोई बहुत बीमार हो जाए तो ग्राउंड स्टाफ और फ्लाइट स्टाफ के बीच कनेक्शन किया जाता है. उन्हें ये बताया जाता है कि हालत कैसी है. उसी हिसाब से मरीज को ट्रीटमेंट दिया जाता है. फ्लाइट में हार्ट बीट आदि चेक करने के लिए उपकरण भी होते हैं. अगर कुछ बहुत ही खराब कंडीशन है तो ही फ्लाइट को रीडायरेक्ट या लैंड किया जाता है अन्यथा यात्रा पूरी की जाती है.

आम तौर पर डायबिटीज के मरीजों के साथ ये स्थिती होती है जब वो लोग कुछ खाते-पीते नहीं हैं समय पर.

6. अगर कोई सीटबेल्ट न पहने तो?

अगर सीटबेल्ट साइन ऑन है और किसी ने सीट बेल्ट नहीं पहनी है और लैंडिंग या टेकऑफ के समय उठने की कोशिश करता है तो उसे सिर्फ बोला जा सकता है कि वो ऐसा न करे. उसे किसी भी तरह से हाथ नहीं लगाया जा सकता. अगर उसे फिर भी उठना है तो वो जबरदस्ती करता है और ऐसे में पैसेंजर को तकलीफ हो सकती है या उसे चोट भी लग सकती है.

7. कब निकाला जाता है प्लेन से बाहर?

अगर किसी ने प्लेन में शराब पीकर जबरदस्ती घुसने की कोशिश की. भले ही ग्राउंड स्टाफ ने उसे छोड़ दिया हो, लेकिन फ्लाइट अटेंडेंट उसे बाहर कर सकता है. अगर किसी भी तरह की बद्तमीजी की गई, किसी पर हाथ उठाया गया या फिर भड़काऊ बयान देने की कोशिश की गई तो बाहर निकाला जा सकता है. ऐसे फैसले चीफ फ्लाइट अटेंडेंट ही करता है.

अगर खिड़की या प्लेन बीच फ्लाइट में खोलने की कोई कोशिश कर रहा है तो उसे भी डिटेन किया जा सकता है. हालांकि, ये अधिकतर पैसेंजर्स को नहीं पता होता कि ऐसा करना लगभग नामुमकिन है.

8. प्लेन की सफाई कितनी बार और कैसे होती है?

प्लेन हर बार साफ नहीं किया जाता, भले ही बिजनेस क्लास को हमेशा साफ रखने की कोशिश की जाए. ट्रे और टेबल लगभग हर फ्लाइट के पहले साफ की जाती हैं. कई बार एक ही कपड़ा सभी ट्रे और टेबल के लिए इस्तेमाल होता है और इसे सबसे साफ तो नहीं कहा जा सकता.

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9. क्या ऐसा कोई नियम है जिसे यात्री नहीं जानते?

फ्लाइट अटेंडेंट को इमर्जेंसी एग्जिट दरवाज़ा खोलने के लिए पहले काफी जांच पड़ताल करनी होती है. इमर्जेंसी एग्जिट डोर वाली खिड़की के पर्दे कभी बंद नहीं करने होते. कारण ये है कि इससे बाहर का वातावरण देखने में आसानी होती है और किसी भी अनहोनी की स्थिती में इससे समय बचता है.

10. अगर कोई अपनी सीट बदलना चाहे तो?

खाली सीट पर अक्सर लोग बैठ जाते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि इससे जुड़ा कोई नियम नहीं है. इकोनॉमी में भी दो क्लास होती हैं. एक जिसमें लेग रूम ज्यादा होता है और दूसरी जिसमें कम अगर कोई पैसेंजर ऐसा करता है तो उसे बाकायदा चार्ज किया जा सकता है. नहीं तो पैसेंजर को वापस उसकी सीट पर भेजा जा सकता है.

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