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Updated: 15 अक्टूबर, 2018 02:49 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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#Metoo मूवमेंट जिस तरह भारत में आगे बढ़ रहा है वो देखकर लगता है जैसे जल्द ही भारत में कोई बदलाव आएगा. और यकीनन कम से कम इतना देखकर अच्छा लग रहा है कि शोषण की शिकार महिलाएं अपनी आवाज़ उठा रही हैं. एक-एक करके ये बात सामने आ रही है कि भारत में ऐसे कितने भेड़िए छुपे हैं जो अच्छाई और सच्चाई का नकाब ओढ़कर बैठे हैं और एक-एक कर उनका नाम सामने आ रहा है. लेकिन अब शोषण के शिकार एक ऐसे विक्टिम ने अपनी आपबीती सुनाई है जिसके बारे में जानकर ये यकीन हो जाएगा कि शोषण करने वाले महिला और पुरुष में भेद नहीं करते. न वे ये देखते हैं कि शिकार का बैकग्राउंड क्‍या है. न ही ये दिखता है कि वो कितनी मेहनत कर रहा है.

अब #Metoo मूवमेंट के बारे में बोलने वाले हैं सैफ अली खान. राजघराने से ताल्लुक रखने वाले नवाब सैफ अली खान का अपने शोषण के बारे में बोलना शायद आसान नहीं है. सैफ ने कहा कि 25 साल पहले उनका शोषण हुआ था. ये यौन शोषण नहीं था, लेकिन जरूरी तो नहीं हर शोषण यौन शोषण ही हो. सैफ ने कहा कि उन्होंने जो झेला उसका गुस्सा उन्हें आज 25 साल बाद भी है.

सैफ अली खान, Metoo, शोषण, यौन शोषण, छेड़छाड़सैफ अली खान का खुलासा ये बताता है कि देश का कोई भी वर्ग सुरक्षित नहीं है

सैफ अली खान का बयान #Metoo विक्टिम्स के समर्थन में है. सैफ अली खान भी जब बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे थे तब उनका भी शोषण हुआ था. सैफ अली खान ने कहा, 'अधिकतर लोगों को समझ नहीं आता कि वो क्या कर रहे हैं और दूसरों के साथ क्या हो रहा है. मैं इस बारे में नहीं बात करना चाहता क्योंकि मैं अभी जरूरी नहीं हूं, लेकिन आज भी जब मैं उस बात के बारे में सोचता हूं तो गुस्सा आता है. आज हमें महिलाओं के बारे में सोचने की जरूरत है.'

सैफ का ये खुलासा साजिद खान पर आरोप लगने के बाद सामने आया है, क्योंकि सैफ ने साजिद खान के साथ हमशकल्स में काम किया था और उसी फिल्म की दोनों लीड महिलाओं ने साजिद खान पर खराब व्यवहार का आरोप लगाया है, ऐसे में सैफ अली खान का ये बयान काफी मायने रखता है. हालांकि, उन्होंने ये जरूर कहा कि हमशकल्स के सेट पर उनके सामने ऐसा कुछ नहीं हुआ, नहीं तो वो सहज महसूस नहीं करते.

उस समय सेट पर जो भी हुआ हो या सैफ के साथ 25 साल पहले जो भी हुआ हो, एक बात तो पक्की है कि शोषण किसी के साथ भी हो सकता है और कभी भी हो सकता है. सैफ अली खान का ये बयान बताता है कि जरूरी नहीं आप एलीट क्लास में हों या फिर माता-पिता फेमस हों, अधिकतर चीज़ों से बचाव हो सकता हो तो भी आप शोषण से बच जाएंगे. जरा सोचिए, राज घराने का एक लड़का जिसके माता-पिता भी चर्चित रहे हैं और पैसों की कोई कमी भी नहीं रही है उस लड़के को शोषण झेलना पड़ा तो आम लोगों की क्या बिसात? बॉलीवुड का #Metoo ये बता रहा है कि असल में इस मूवमेंट की और शोषण की कोई हद है ही नहीं.

सैफ अली खान तो कहते हैं कि वो ऐसे इंसान के साथ काम नहीं करेंगे जिसके ऊपर शोषण का आरोप सिद्ध हो गया हो. वुमेन फिल्ममेकर असोसिएशन ने भी यही बात कही है. पर आरोप सिद्ध होने की कोई परिभाषा बता सकता है क्या? भारत में वैसे भी किसी केस का फैसला आने में सालों लग जाते हैं और सिर्फ 30% केस में दोषी को सजा मिलती है वहां इसकी क्या गारंटी है कि आरोप सिद्ध हो ही जाएगा. हां, अगर कुछ कड़े कदम उठाए गए तो यकीनन दोषियों की संख्या कम हो जाएगी.

अगर इसी तरह बड़े नाम अपने साथ हुई घटनाओं की जानकारी देते रहेंगे तो यकीनन लोगों के बीच ये संदेश जरूर जाएगा कि शोषण करने वाला अब नहीं बच सकता. भले ही #Metoo ने कुछ किया हो या नहीं किया हो, लेकिन कम से कम इतना तो बता दिया है कि भारत में शोषण की समस्या कितनी आम है. और इसे क्यों आम बर्ताव समझा जाने लगा है. लोगों को यकीनन ये पता ही नहीं कि उनका शोषण कितनी बड़ी बात है और महिला हो या पुरुष वो इसे आम मानने लगे हैं.

'ये तो ऑफिस है, यहां तो ऐसा ही होता है', 'अरे चुप रहो घर वालों की बेइज्जती करवाओगी क्या?', 'महिलाओं को तो ये सब सहना ही पड़ता है, ये तो सभी के साथ होता है', 'तो क्या हुआ अगर कुछ हो गया तो उसे भूल जाओ.' ऐसे और ऐसे न जाने कितने ही वाकये रोज़ सुनने को मिलते हैं. नई बहू को सिर्फ घर के कामों में लगा देना और उसकी इच्छाओं के बारे में नहीं पूछना भी एक तरह का शोषण है. किसी पुरुष से सिर्फ ये उम्मीद करना कि उसे अपनी इच्छाओं के बारे में नहीं सोचना है सिर्फ घर चलाना है ये भी शोषण है. किसी बच्चे का बचपन छीन लेना भी शोषण है. बच्चों पर जरूरत से ज्यादा दबाव डालना भी शोषण है. किसी को गलत तरह से छूना, मारना, पीटना, उसकी बातों को तवज्जो नहीं देना, उसे मानसिक प्रताड़ना देना भी शोषण है. लेकिन ये सब हमारे देश में कहां माना जाता है, ये सब तो आम व्यवहार है जिसे रोजाना झेला जाता है.

जरा सोचिए कितनी हिम्मत लगती होगी अपने खिलाफ हो रहे शोषण के बारे में आवाज़ उठाने के लिए जिसे करने वाले को ये अक्‍ल ही नहीं कि वो किसी का शोषण कर रहा है. यकीनन समाज से इस गंदगी को हटाने के लिए कम से कम अपने खिलाफ हो रहे बर्ताव का विरोध करना तो जरूरी है.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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