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Updated: 08 सितम्बर, 2015 04:35 PM
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8 सितंबर. विश्व साक्षरता दिवस. सभी देश मनाते हैं. भारत भी मना रहा है. संयुक्त राष्ट्र संघ ने बोला है... इसलिए. लेकिन साक्षरता कोई बर्थडे है क्या? गुब्बारे फुलाए, केक काटा और मन गया! नहीं, बिल्कुल नहीं. यह दिन मनाया जाता है ताकि हम अपने अंदर झांक सकें. हमें याद रहे कि कहां चूक हो रही है. याद रहे ताकि सुधार की जा सके. तो क्या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपनी सीट पक्की करने के जुगाड़ में लगे भारत को साक्षरता के परिदृश्य में अपने अंदर झांकने की जरूरत है, आइए देखते हैं.

साक्षरता दर (+), लेकिन खुशी की बात नहीं
2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों पर गौर करें तो हमारे देश में कुल 74.04 प्रतिशत लोग साक्षर हैं. 2001 की तुलना में इसमें 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. लेकिन इस साक्षरता पर खुश नहीं हुआ जा सकता.    

हरियाणा नहीं राजस्थान में होता है सबसे ज्यादा भेदभाव (-)
देश में पुरुषों की साक्षरता दर 82.14 प्रतिशत है. महिलाएं साक्षरता की इस दौड़ में लगभग 17 फीसदी पीछे (65.46 प्रतिशत) हैं. कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जहां लैंगिक भेदभाव 20 प्रतिशत से भी ज्यादा है - छत्तीसगढ़, दादर एंड नागर हवेली, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, राजस्थान (सबसे ज्यादा 27.1 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश.

पांचवीं के बाद लड़कियों के लिए दरवाजे बंद! (-)
पहली से पांचवीं तक की कक्षा में पढ़ने वाले छात्राओं-छात्रों का ड्रॉप-आउट दर क्रमशः 4.66 और 4.68 प्रतिशत रिकॉर्ड किया गया है जबकि पहली से आठवीं तक यह आंकड़ा 4.01 और 2.3 प्रतिशत तक चला जाता है. मतलब प्राथमिक स्तर की शिक्षा के बाद लड़कियों के लिए शिक्षा के द्वार बंद होने लगते हैं.

'भारत' और 'इंडिया' की खाई (-)
साक्षरता के मामले में लैंगिक आंकड़ों के बाद ग्रामीण और शहरी आंकड़े सबसे महत्वपूर्ण होते हैं. ग्रामीण भारत में साक्षरता दर 67.8 प्रतिशत (59 महिला, 79 पुरुष) है जबकि शहरी इंडिया में यह 84.1 प्रतिशत (80 महिला, 90 पुरुष) है.  

11 राज्य भारत को धकेल रहे पीछे (-)
साक्षरता के मामले में केरल भारत का सिरमौर है. यहां 94.0 प्रतिशत (96.1 पुरुष जबकि 92.1 महिलाएं) लोग साक्षर हैं. इसमें सबसे फिसड्डी आंकड़े रहे - बिहार के. यहां 61.8 प्रतिशत (51 महिला, 71 पुरुष) ही साक्षर लोग हैं. देश की औसत साक्षरता (74.04 प्रतिशत) से कम वाले राज्य - बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, असम, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश.

3077 गांवों में डाक बाबू ही पढ़ते हैं चिट्ठी (-)
चिट्ठी पढ़वाने के लिए डाक बाबू का रोका जाना फिल्मों में देखा होगा न! हकीकत यह है कि इस देश में 3077 गांव ऐसे भी हैं जहां एक भी नागरिक साक्षर नहीं है. लैंगिक आधार पर बांट कर देखें तो स्थिति और बुरी है. 9899 गांव में एक भी महिला साक्षर नहीं है जबकि 3546 गांव में एक भी पुरुष साक्षर नहीं हैं.

52 फीसदी लोग हैं सिर्फ पांचवीं पास (-)
2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार इस देश में 56 करोड़ लोग साक्षर हैं. इनमें से 14.5 करोड़ लोग प्राथमिक शिक्षा भी पूरी नहीं किए हैं जबकि 14.7 करोड़ लोग सिर्फ प्राथमिक तक ही पढ़े हैं. यानी देश की कुल साक्षरता का 52 फीसदी हिस्सा पांचवीं पास या उससे भी कम है.       

विश्व में भारत की स्थिति (-)
यूनेस्को के आंकड़ों के अनुसार विश्व के 127 देशों में 101 देश ऐसे हैं, जो पूर्ण साक्षरता हासिल करने से दूर हैं. इनमें भारत भी है. विश्व की औसत साक्षरता दर 84 प्रतिशत है जबकि हमारी 74 प्रतिशत. मतलब विश्व की तुलना में भारत की साक्षरता दर 10 प्रतिशत कम है.

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लेखक

चंदन कुमार चंदन कुमार @chandank.journalist

लेखक iChowk.in में पत्रकार हैं.

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