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Updated: 12 जुलाई, 2018 08:54 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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बलात्कार जैसे घिनौने अपराध के लिए हम रेपिस्ट के लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग करते हैं, क्यों? जिससे वो सजा उदाहरण बनकर तमाम बलात्कारियों के हौसले पस्त कर दे. सजा का उद्देश्य एक अपराधी को अपराध से दूर करना होता है. पर पंजाब का ये अनोखा मामला रेप, रेपिस्ट और सजा तीनों पर बार-बार सोचने पर मजबूर करता है. कौन सही और कौन गलत के फेर में कौन सबसे ज्यादा नुकसान में रहा इसका फैसला आप कीजिए.

क्या है मामला-

पंजाब के मोगा में 2013 में एक नाबालिग ने एक नाबालिग लड़की से रेप किया. लड़की और लड़के दोनों की उम्र साढ़े 17 साल थी. लड़की के पिता ने शादी का झांसा देकर बलात्कार करने का केस दर्ज कराया और लड़का गिरफ्तार हो गया. जमानत पर आया तो उसे उसी लड़की से प्यार हो गया. कुछ समय दोनों का प्रेम प्रसंग चलता रहा. फिर दोनों ने 2017 में कोर्ट मैरिज कर ली. शादी के बाद दोनों के बेटा भी हुआ. लेकिन लड़की के पिता द्वारा दर्ज कराया रेप का केस कोर्ट में चलता रहा. अब 5 साल पुराने इस मामले में एडिशनल सेशन जज ने आरोपी युवक को दोषी करार दिया और 7 साल कैद व 5 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है. लड़की ने अदालत में पति का पक्ष लेने की काफी कोशिश की, लेकिन अदालत उसकी दलीलों से सहमत नहीं हुई.

अक्सर इस तरह के कई मामले हम सुनते हैं कि किसी ने किसी का रेप किया और गांव की पंचायत ने लड़की की शादी रेपिस्ट से ही कराने का निर्णय लिया. और ऐसे सभी मामलों की हम जमकर आलोचनाएं भी करते हैं. क्योंकि समाज से ये उम्मीद नहीं की जाती कि वो एसे उदाहरण लोगों के सामने पेश करे जिससे लोगों में अपराध का डर खत्म हो. जबकि हमारा समाज भी एक तरह की मोरल पुलिसिंग ही तो करता है, जो लोगों में सही या गलत निर्धारित करता है और डर भी बनाकर रखता है.

marrige after rapeलड़की को अपने रेपिस्ट से प्यार हुआ और फिर शादी

क्या शादी करने से बलात्कार का पाप धुल जाता है ?

इस मामले में जो गलत था उसके लिए केस किया गया. आरोपी को जेल भी भेजा गया लेकिन जमानत पर बाहर आने के बाद सारे समीकरण बदलने लगे. अब इस प्रेम पर कितना यकीन किया जा सकता है. अगर साजिशन सोच की बात की जाए तो लड़के का लड़की से प्रेम होना स्वाभाविक नहीं था. प्रेम किया, और बालिग होने पर कोर्ट मैरिज भी कर ली. जिससे सजा की किसी भी संभावना से बचा जा सके. और अगर दोनों के प्यार को स्वाभाविक समझ भी लें, ये मान भी लें कि लड़के को अपने किए पर पछतावा था और शादी करके वो अपने पाप धोना चाहता था, तो भी एक बलात्कारी हमेशा बलात्कारी ही रहता है. वो पति तो हो सकता है लेकिन बलात्कारी के टैग के साथ. और फिर ऐसे में भले आप प्यार की कितनी ही दुहाई दो. वो काम नहीं आती.  

यहां सोचने वाली बात ये भी है कि जब उस पिता को ये बात पता चली कि दोनों ने शादी कर ली तो भी उन्होंने वो केस वापस नहीं लिया. वो अगर कोर्ट केस वापस ले लेते तो ये मामला भी उन तमाम मामलों की तरह हो जाता जिसमें बलात्कार जैसे घिनौने अपराध को रिश्ते की चादर से ढ़ांक दिया जाता है. और अपराधी कभी खुद का अपराधी नहीं समझता. और समाज के सामने बड़े गर्व के साथ चलता है.

lawकानून ने आरोपी को 7 साल की सजा सुनाई

अब लड़की का क्या-

पिता को जो सही लगा उसने किया, लड़का और लड़की को जो सही लगा उन्होंने किया और फिर कानूनन जो सही था वो कानून ने किया. लेकिन इन सबके बीच उस महिला के बारे में सोचकर अजीब सा लगता है, जिसका आने वाला जीवन अब पूरी तरह से बदल जाएगा. वो एक छोटे से बच्चे की मां होगी, जिसका पिता अब 7 साल जेल में रहने वाला है, अपनी ही पत्नी के बलात्कार करने के आरोप में. ये 7 साल उसके लिए कितने कष्टकारी होंगे वो हम सब समझ सकते हैं, लेकिन 7 सालों की सजा के बाद जब उसका पति वापस आएगा, तो उनकी मनोस्थिति के बारे में कोई नहीं कह सकता. ये भी हो सकता है कि उसका प्यार पत्नी के प्रति वैसा ही रहे और ये भी हो सकता है कि गुस्सा उसके प्यार पर हावी हो जाए, जिसकी संभावना कहीं ज्यादा हैं. कुल मिलाकर लड़की का जीवन बदल ही जाएगा.

समाज और व्यवस्था ने मिलकर एक लड़की के जीवन का जो फैसला लिया है उसे सही कहें या गलत ये अब भी दुविधा में डालता है.

इस मामले पर आपकी क्या राय है, हमें जरूर लिखें.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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