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Updated: 12 अक्टूबर, 2017 12:22 PM
दमयंती दत्ता
दमयंती दत्ता
 
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सु्प्रीम कोर्ट के दस्‍तावेज उठा कर देखिए, गाजियाबाद की रोजी कालोनी में रहने वाले रविंद्र वर्मा ने अपनी पत्नी से झगड़ा करने के बाद सिलबट्टे से अपने पांच बच्चों की हत्या कर दी थी. 2013 में अदालत ने इस 'रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' अपराध के लिए मौत की सज़ा सुनाई थी. वो अकेला नहीं था. देश में बहुत से पुरुष अपने बच्चों के हत्या के मामले में, सज़ा-ए-मौत का इंतज़ार कर रहे हैं. लेकिन वहां किसी मां को खोजना मुश्किल है. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(AIIMS) दिल्ली में बाल मनोवैज्ञान विभाग की प्रमुख रह चुकीं डॉ. मंजू मेहता का कहना है, 'सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में ये अपराध बहुत ही असाधारण है'.

ऐसा नहीं है कि हमने मां से जुड़े किसी विवादास्पद मामले के बारे में नहीं सुना है. 2008 में हुआ आरुषी हत्याकांड, 2010 में हुआ निरुपमा पाठक हत्याकांड, जिसमें सुधा पाठक को झारखंड के झुमरी तलैया वाले घर में 23 वर्षीय पत्रकार की मौत पर जांच के दायरे में रखा गया है. दोनों ही मामलों में जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंची.

पूरी दुनिया में ये वो अपराध है जिससे मनोचिकित्सक भी स्तब्ध हैं. 1950 के दशक से, अपने ही बच्चे की हत्या की वजहों को समझने के प्रयास किए जा रहे हैं. कोलकाता के मनोचिकित्सक अनिरुद्ध देब के अनुसार- ये 'ऑनर किलिंग' से लेकर 'परम स्वार्थ' तक कुछ भी हो सकता है. या तो इस बात की संभावना हो कि बच्चा भविष्य में मां के लिए परेशानी खड़ी कर सकता हो या फिर मां को ही बच्चे की मौत से किसी न किसी तरह से कोई फायदा हो'.

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सबसे स्वीकृत विश्लेषण दिया है अमेरिकन फॉरेन्सिक मनोचिकित्सक फिलिप रेस्निक ने. उनके अनुसार आमतौर पर एक मां के पास अपने बच्चे की हत्या करने के पांच कारण हो सकते हैं- जब वो सोचती है कि वो असल में उसके हित में है, जब वो किसी तरह के गंभीर मनोरोग- अवसाद या किसी तरह के पागलपन से ग्रसित हो, या बच्चे को रास्ते की बाधा मानती हो, जब वो आकस्मिक और बिना किसी उद्देश्य के हो, या फिर वो अपने पति से बदला लेने के लिए हो. आधुनिक खोज इन सब में एक और चीज जोड़ती है 'समाजिक कलंक लगने का डर' यानी शादी के बगैर बच्चा होना.

मेहता कहते हैं-' अपने बच्चों की हत्या करने वाली अधिकतर मां मानसिक बीमारी, स्थाई अवसाद, भारी व्यक्तिगत समस्याओं, अव्यक्त क्रोध, तीव्र निराशा और तनाव से ग्रसित होती हैं. शायद किसी ने खुद को अभिभावक के रूप में बहुत अपूर्ण समझा और लंबे समय तक लगातार आलोचनाएं सहीं. और फिर वो बर्दाश्त न कर पाने की स्थिति मे पहुंच गई'.

आमतौर पर महिलाएं जो किसी उद्देश्य से हत्या करती हैं वो उम्र में बड़ी होती हैं. एक तरह के नुकसान के साथ वो चाकू या बंदूक जैसे हिंसक तरीके अपनाकर एक समर्पित मां से एक कातिल मां बन जाती हैं. गलती से या आकस्मिक हत्या करने वाली माताएं कम उम्र की होती हैं, जो निम्न सामाजिक आर्थिक पृष्भूमि से होती हैं और गला दबाकर या दम घोटकर हत्या करती हैं.

और क्या? मनोचिकित्सकों का कहना है कि ऐसी कई महिलाओं को बार्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर होता है. वो अपने तेजी से बदलते मूड को काबू नहीं कर पातीं. उनके अनुचित क्रोध और उदासी के बीच हमेशा उतार चढ़ाव चलते रहते हैं, उनके रिश्ते अस्थाई होते हैं, अनियमित छवि और अकेला छोड़ दिए जाने का डर लगा रहता है.

ये अंधेरी दुनिया है- चाहे आप इसे किसी तरफ भी देखें, ये अंधकारमय है.

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#इंद्राणी मुखर्जी, #ऑनर किलिंग, #आरुषि तलवार, इंद्राणी मुखर्जी, ऑनर किलिंग, आरुषि तलवार

लेखक

दमयंती दत्ता दमयंती दत्ता

लेखिका इंडिया टुडे मैगजीन की कार्यकारी संपादक हैं.

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