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Updated: 08 नवम्बर, 2017 03:04 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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एक स्कूल. एक कत्ल और कई अपराधी... ये किसी फिल्म की कहानी नहीं बल्कि रेयान पब्लिक स्कूल, गुरुग्राम में हुए प्रद्युम्न के कत्ल की कहानी है. एक छोटा बच्चा जो सुबह उठकर स्कूल गया था. लेकिन वो शायद गलत समय पर गलत जगह मौजूद था. स्कूल में 7 साल के प्रद्युम्न की बेरहमी से अपने ही स्कूल के वाशरूम में हत्या की खबर आई. तब पूरे देश ने एक साथ आवाज उठाई की इस बच्चे के कातिल की तुरंत गिरफ्तारी होना चाहिए. और ऐसा हुआ भी. स्‍कूल के बस कंडक्टर अशोक की प्रद्युम्‍न की हत्‍या के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया.

किसी थ्रिलर फिल्म की तरह ही यह गिरफ्तारी की गई. ये कहा गया कि कंडक्टर ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. लगातार इस बारे में बातें होती रहीं कि कंडक्टर झूठ बोल रहा है. अब CBI की जांच में ये खुलासा हुआ है कि 11वीं के एक स्टूडेंट ने ये कत्ल किया है. कारण? वो सिर्फ ये चाहता था कि परीक्षा को स्थगित कर दिया जाए. इतना बड़ा कांड करने के पीछे कारण सिर्फ एक. परीक्षा !!!

आरुषि तलवार, प्रद्युम्न, रेयान स्कूल, दिल्ली मर्डर

पुलिस vs सीबीआई की थ्‍योरी में फर्क :

सीबीआई : 11वीं के उस छात्र ने पहले ही अपने दोस्तों को कह दिया था कि परीक्षा तो स्थगित हो जाएगी, तो पढ़ने की कोई जरूरत नहीं है. इसके अलावा, ये भी कहा जा रहा है कि उस लड़के को सीसीटीवी फुटेज में बच्चे के साथ टॉयलेट के अंदर जाते देखा गया. बताया जा रहा है कि ये वही बच्चा था जिसने सबसे पहले प्रद्युम्न पर हमले की बात टीचर को बताई थी. सीबीआई का कहना है कि 11वीं के उस छात्र का बयान हर बार पूछताछ के दौरान बदलता गया.

पुलिस : सीसीटीवी में वॉशरूम में जाता दिखाई दे रहा है कंडक्‍टर अशोक है. उसने स्‍वीकार किया है कि वह प्रद्युम्‍न के साथ गलत हरकत करना चाहता था, जिसका उसने विरोध किया. और उसी बात पर उसने तुरंत चाकू से, जिसे वह साफ करने के लिए वॉशरूम में लाया था, हत्‍या कर दी. अशोक के वॉशरूम से निकलने के बाद सीसीटीवी में प्रद्युम्‍न जमीन पर घिसटता हुआ बाहर आता दिखाई दिया. जिसे सबसे पहले माली ने देखा और शोर मचाया. माली के शोर मचाने पर भी सबसे पहले कंडक्‍टर अशोक ही मौके पर पहुंचा. पुलिस की थ्‍योरी में 11वीं कक्षा के इस छात्र का कहीं भी उस प्रमुखता से जिक्र नहीं आया.

बेगुनाह कौन ?

कंडक्‍टर अशोक के परिवार की तरह अब 11वीं कक्षा के 'कातिल' बताए जा रहे छात्र के पिता मीडिया से कह रहे हैं कि उनके बेटे को फंसाया जा रहा है. जबकि वह तो इस हत्‍याकांड में एक सामान्‍य गवाह था. उन्‍हें बीती रात सीबीआई ने दो घंटे ऑफिस में बैठाकर रखा और उस दस्‍तावेज पर हस्‍ताक्षर करने के बाद ही जाने दिया, जिसे उनके बच्‍चे का कबूलनामा बताया गया. यानी जिस तरह कंडक्‍टर अशोक को हत्‍यारा मान लेने की जल्‍दबाजी दिखाई गई, उसी तरह इस छात्र के बारे में भी कोई अंतिम राय कायम कर लेना गलत होगा.

सीबीआई ने प्रद्युम्न का केस 22 सितंबर को हाथ में लिया था और तब सभी सबूत वापस से देखे गए थे. एक बात अभी भी समझ नहीं आ रही कि अगर सीसीटीवी में 11वीं के छात्र के साथ प्रद्युम्न को देखा गया तो फिर पुलिस ने इसके पहले ये अहम जानकारी नजरअंदाज कैसे कर दी? दिलचस्‍प यह है कि सीसीटीवी में दिखाई दे रहे जिस शख्‍स को पुलिस अशोक मान रही थी, उसी को सीबीआई हत्‍यारा छात्र कह रही है.

आरुषी हत्‍याकांड की यादें ताजा कर दीं

ये केस कुछ ऐसा नहीं लग रहा जैसा आरुषि के समय हुआ था. उस समय भी पुलिस और सीबीआई के अलग-अलग बयान थे फिर सीबीआई की दो अलग टीमों के दो अलग बयान थे. और फिर माता-पिता को दोषी करार देते हुए उन्हें जेल भेज दिया गया. अंतत: अब जाकर कोर्ट ने उन दोनों को निर्दोष करार दे दिया है. सीबीआई की किरकिरी तो हुई ही, वह सवाल अपनी जगह कायम रह गया कि आखिर आरुषि और हेमराज की हत्या किसने की?

आरुषि तलवार, प्रद्युम्न, रेयान स्कूल, दिल्ली मर्डर

यदि आरुषी के केस पर गौर करें तो प्रद्युम्न के केस में अभी भी अपराधी को लेकर नतीजे पर पहुंचना जल्‍दबाजी होगी. क्‍योंकि अभी भी आरुषि का कातिल नहीं पकड़ा गया है.

दोनों ही केस में जो भी हत्यारा हो, लेकिन ऐसे मामलों में होने वाली जांच से कुछ बातें साफ हो जाती हैं. हमारे देश में अपराधों की जांच का तरीका भरोसे के काबिल नहीं है. लापरवाही, जल्‍दबाजी या विशेषज्ञता की कमी- वजह जो भी हो, जांच के इस ढीले रवैये से ही अपराधियों का हौसला बुलंद होता है. 11वीं का वो बच्चा या बस का कंडक्टर, क्या ये लोग इतने शातिर हैं कि आसानी से पुलिस या सीबीआई को चकमा दे सकते हैं?

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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