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Updated: 04 सितम्बर, 2017 11:39 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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एक लड़की... मेकअप करने वाली... हाई हील पहनने वाली.. दिन भर दोस्तों के साथ मस्ती करती है. ब्वॉयफ्रेंड के साथ डेट पर जाती है. अपने पिता को कॉल करती है. रात में सोने जाती है और दूसरे दिन एक मर्द के रूप में उठती है. ये कहानी फिल्मी नहीं असलियत है. ये कहानी है टबिथा डाउन्स की.

टबिथा एक जेंडर फ्लूइड हैं. ये वो लोग होते हैं जो खुद को किसी एक जेंडर में बांध कर नहीं रखते. ये दोनों जेंडर की तरह जीवन जीते हैं. टबिथा की कहानी भी उन्हीं लोगों जैसी है. 8 साल की उम्र में ही टभीथा को ये पता था कि वो बाईसेक्शुअल हैं. उन्होंने ये बात अपने माता पिता को बताई और टबिथा के माता पिता ने इसका स्वागत किया.

जेंडर फ्लूइड, महिलाएं, पुरुष

जब वो छोटी थीं तो उनके माता-पिता ने उन्हें लड़कों और लड़कियों दोनों के खिलौने दिए. उनके कमरे में जेंडर न्यूट्रल रंग लगाए गए. 13 साल की उम्र में उन्हें ये पता चल चुका था कि वो जेंडर फ्लूइड हैं. उन्हें स्कूल में इसके कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. वो किसी लड़की के पास जातीं तो उन्हें दुत्कार दिया जाता क्योंकि उन्हें लड़कियां और लड़के दोनों पसंद थे.

15 साल की उम्र में उनके माता पिता का तलाक हुआ. टबिथा को तब उनके पिता ने बताया कि वो एक महिला के रूप में रहना चाहते हैं. टबिथा ने उनका साहस बढ़ाया. अब वो अपने पिता को ट्रांस मॉम कहती हैं. इस घटना के बाद उनके पास पिता के पुराने कपड़े रह गए. एक दिन अचानक टबिथा ने अपने पिता के कपड़े पहने और उन्हें बहुत ही न्यूट्रल लगा.

ये सब उसके बाद ही शुरू हुआ. टबिथा ने ये सब धीरे-धीरे शुरू किया. उनका कहना था कि वो डरती थीं अपनी सेक्शुएलिटी को पूरी तरह से ढूंढने में. क्योंकि उन्हें पहले ही इसे लेकर काफी कुछ सुनना पड़ा है. फिर भी हिम्मत कर एक बार वो लड़कों के कपड़ों में बाहर निकलीं. वो अपने पुरुष अवतार को टेट बुलाती हैं. उन्हें पुरुष तो बनना था, लेकिन एक महिला होने का अनुभव भी वो नहीं छोड़ना चाहती थीं. 18 साल की होने तक उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों को टेट के बारे में बता दिया था.

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कैसे बनती हैं टेट...

टबिथा रात में सोती हैं तो उन्हें नहीं पता होता कि वो सुबह पुरुष की तरह उठेंगी या फिर महिला की तरह. अगर वो टेट होती हैं तो पुरुषों की तरह कपड़े पहनती हैं. अपने स्तनों को किसी कपड़े से टाइट बांधती हैं ताकि उभार ज्यादा न दिखे. अपने बालों को जेल से सेट करती हैं, नकली मूंछ अपने चेहरे पर बनाती हैं और कभी-कभी नकली लिंग भी पहनती हैं.

नहीं मिल रही नौकरी...

टबिथा को इसी कारण नौकरी नहीं मिल रही है. एक बार की बात बताते हुए वो कहती हैं कि उन्हें एक जगह इंटरव्यू के लिए जाना था. उन्होंने अपना जेंडर महिला के रूप में बताया था और इंटरव्यू वाले दिन उन्हें टेट बनने की इच्छा हुई. टबिथा कहीं खो चुकी थी. वो टेट के कपड़े पहन कर इंटरव्यू में गईं. काफी कोशिश की कि टबिथा की तरह वो बोल सकें, लेकिन कुछ न हो सका. इसी कारण उन्हें कहीं भी नौकरी नहीं मिल रही है. लोग उनके इस जेंडर को अपना नहीं पा रहे हैं.

एक ब्वॉयफ्रेंड है और एक गर्लफ्रेंड भी...

टबिथा अपने ब्वॉयफ्रेंड से कॉलेज में मिलीं थीं. पहले दोनों दोस्त रहे और फिर ये दोस्ती प्यार में बदल गई. दो साल से दोनों साथ हैं और खुश हैं. दोनों को एक दूसरे के बारे में सब पता है. दो महीने पहले टबिथा एक पब में अपनी गर्लफ्रेंड से मिलीं. उन्हें देखते ही प्यार हो गया. इसके बाद टबिथा उनका ब्वॉयफ्रेंड और वो लड़की मिले, बातें की और फिर रिलेशनशिप आगे बढ़ी. टबिथा के ब्वॉयफ्रेंड को इस बात से कोई आपत्ती नहीं थी कि वो किसी अन्य लड़की के साथ सोएं. जब तक वो किसी और लड़के के साथ नहीं रहतीं टबिथा का ब्वॉयफ्रेंड उन्हें हर तरह की छूट देता है.

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अगर बच्चे हुए तो...

बाइसेक्शुअल टबिथा कहती हैं कि अगर उन्हें कभी बच्चे हुए तो वो चाहती हैं कि उनका बच्चा उन्हें मां कहे जब वो स्त्री हों और डैड कहे जब वो टेट की तरह रह रही हों. वो बच्चा गोद लेना चाहती हैं.

लोग नहीं अपना रहे...

अपने एक अनुभव के बारे में बताते हुए वो कहती हैं कि जब पहली बार एक पब में उन्होंने पुरुषों वाले टॉयलेट का इस्तेमाल किया तब लोग उन्हें घूर रहे थे. अजीब नजरों से देख रहे थे. उन्हें अक्सर लोगों के ताने सुनने पड़ते हैं. लोगों को ये समझ नहीं आता कि वो ऐसी ही हैं और उन्हें भगवान ने ऐसा बनाया है.

ऐसे कई लोग हमारे आस-पास भी होते हैं. हमारे ही साथ रहते हैं, लेकिन कभी कोई डर के कारण या बदनामी के कारण खुलकर सामने नहीं आ पाता. टबिथा एक इंसान हैं. लड़का या लड़की अलग बात है, लेकिन एक इंसान हैं जिसे प्यार और सहारे की जरूरत है. कई बार नफरत इतनी आगे बढ़ जाती है कि लोग किसी व्यक्ति को पहचान ही नहीं पाते.

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श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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