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Updated: 18 नवम्बर, 2020 05:31 PM
मशाहिद अब्बास
मशाहिद अब्बास
  @masahid.abbas
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जानकारी के अनुसार पूरी दुनिया को झकझोर देने वाले इस कोरोना वायरस (Coronavirus) का सबसे पहला मरीज़ 17 नवंबर 2019 को पाया गया था. अब एक साल बाद 'कोरोना वायरस' इस शब्द से शायद ही कोई अब पूरी दुनिया में अंजान हो. इस वायरस ने न सिर्फ लोगों के जीवन के तौर तरीकों को बदला है बल्कि लाखों लोगों के जीवन को लील भी डाला है. एक साल पहले ही जन्में इस वायरस ने पूरी दुनिया में अबतक तबाही मचा रखी है. अबतक कई देशों में हाहाकार मचा हुआ है. दुनिया भर के कई देश मंदी के मुहाने पर खड़े हुए हैं. ये वायरस अबतक पूरी दुनिया के करोड़ों लोगों को अपना निशाना बना चुका है. अभी भी यह वायरस कम होने के बजाए बढ़ता चला जा रहा है. हालांकि इसके रफ्तार में तेज़ी और सुस्ती ज़रूर देखने को मिल रही है लेकिन इस पर किसी भी तरह का कोई लगाम नहीं लग पा रहा है. इस वायरस के असर को समाप्त करने के लिए वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) की खोज में दुनिया भर के वैज्ञानिक सालों से अपना दिमाग खपा रहे हैं लेकिन अभी तक किसी को भी शत प्रतिशत कामयाबी नहीं मिल सकी है. कुछेक कंपनियां वैक्सीन की खोज में आखिरी दहलीज़ पर खड़ी हैं लेकिन अभी तक पूरी तरह से आश्वस्त वह भी नहीं हैं. ऐसा नहीं है कि इस वायरस को काबू में करने के लिए कोई दवा ही बन गई हो, बिना दवा और बिना वैक्सीन के इस वायरस पर काबू नहीं पाया जा सकता है और अभी किसी भी देश के पास दवा या वैक्सीन दोनों में से एक भी हथियार नहीं हैं. ऐसे में सामाजिक दूरी, मास्क, सेनेटाइज़र, साफ-सफाई और लाकडाउन को हथियार माना जा रहा है.

करोना वायरस (Coronavirus )को आए एक साल का वक्त गुज़र गया है, लाखों लोगों के जीवन को लील लेने वाले इस वायरस से निजात पाने की अबतक कोई राह नहीं दिख पाई है. वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) का इंतज़ार कितना लंबा होगा औऱ यह कब तक हमारे बीच रहेगा इसका भी किसी को कुछ भी अता पता नहीं है.एक साल होने के बावजूद कोरोना की वैक्सीन का न आना चिंता का विषय है

जीवन को बेहाल कर देने वाले इस वायरस ने लाखों परिवारों को सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया है. भुखमरी और तंगहाली जैसी नौबतें मुहाने पर हैं. अब तक लाखों की रोज़ी रोटी छिन चुकी है, छोटे-मोटे उद्योगों पर ताला पड़ चुका है. नौकरियों का संकट है, मंदी दरवाज़े पर दस्तक दिए हुए है. ऐसे में अर्थव्यवस्था भी पटरी से उतर रही है. भारत की जीडीपी अपने इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है.

यह चीन के वुहान शहर में सामने आया था. हालांकि चीन ने इसे पूरी तरह से छिपाए रखा और महीने भर के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस नई बीमारी के बारे में जानकारी दी. नवंबर में जन्मा कोरोना वायरस तेज़ी के साथ फैलने लगा और साल खत्म होते-होते वह चीन से निकलकर ईरान और ईटली जैसे देशों तक पैर पसार चुका था. साल 2020 के शुरूआती महीनों में ही यह वायरस दुनिया के 150 से अधिक देशों तक अपनी दस्तक दे चुका था.

अब एक साल पूरा होते होते इस कोरोना वायरस के दुनियाभर में साढ़े पांच करोड़ से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि लगभग साढ़े तेरह लाख लोगों की जान भी इसी वायरस के चलते जा चुकी है. अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि यह वायरस कितनी तेज़ी के साथ अपने पांव पसारता चला जा रहा है और यह कितना खतरनाक है. चीन में जन्मा यह वायरस आज भी एक रहस्य बना हुआ है. अमेरिका मानता है कि यह चीन के लैब में बना वायरस है और उसके इस खेल में बराबर का शरीक है विश्व स्वास्थ्य संगठन, अमेरिका ने यही आरोप लगाकर विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लू.एच.ओ से खुद को अलग कर लिया है.

जबकि चीन का कहना है कि यह किसी जानवर से फैला हुआ वायरस है या फिर ये अमेरिका की ही चाल है. हालांकि दोनों देशों के आरोपों-प्रत्यारोपों के बाद भी अब तक इस पर खुलासा नहीं हो सका है कि आखिर यह वायरस पैदा कहां और कैसे हुआ है. फिलहाल यह जानने से ज़्यादा ज़रूरी है कि यह कब खत्म होगा और इसमें कितना वक्त लगेगा. वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों का दावा है कि वह जल्द ही वायरस की वैक्सीन बाजार में उपलब्ध करा देंगें.

वहीं कोरोना पर विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया में अभी काफी वक्त लग सकता है तब तक अपनी सुरक्षा अपने ही हाथ में है. हालांकि रूस ने कोरोना की वैक्सीन बना कर अपने फ्रंट लाइन नागरिकों को लगाना शुरू तो कर दिया है लेकिन अभी भी उसके शत प्रतिशत नतीजे सामने नहीं आए हैं. ऐसे में वैक्सीन के लिए अभी थोड़ा और इंतज़ार करना पड़ सकता है. तब तक जीवन को इसी तरह एहतियात के साथ आगे बढ़ाना होगा.

आप सब को भी कोरोना वायरस से बचने के लिए तमाम तरह के एहतियात बरतने होंगें और इस वायरस से तब तक बचे रहना होगा जबतक इसको मार गिराने वाली वैक्सीन बाजार में उपलब्ध नहीं हो जाती है.

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लेखक

मशाहिद अब्बास मशाहिद अब्बास @masahid.abbas

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं और समसामयिक मुद्दों पर लिखते हैं

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