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Updated: 17 मई, 2017 02:08 PM
रिम्मी कुमारी
रिम्मी कुमारी
  @sharma.rimmi
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हम में से अधिकतर लोग समय की कमी का रोना रोते रहते हैं. कभी हम ये रोते हैं कि छुट्टी नहीं है तो, कभी रोते हैं कि सुबह से शाम कब हो जाती है पता ही नहीं चलता. ऐसे में सोशल लाइफ तो दूर की बात अक्सर पर्सनल रिश्तों के लिए समय नहीं निकाल पाते.

लेकिन आइए हम आपको ले चलते हैं एक ऐसे देश जहां लोगों के हिस्से का इतवार बिल्कुल इत्मिनान के साथ आता है. ये देश है दुनिया के बिल्कुल उत्तर में स्थित- नॉर्वे. नॉर्वे एक स्कैंडिनैवियन देश है. हैप्पीनेस इंडेक्स में नंबर वन, मानव विकास इंडेक्स में नंबर वन, प्रॉस्पेरिटी इंडेक्स में नंबर वन, पब्लिक इंडेक्स में नंबर वन मतलब इंसान को एक सुखी जीवन में देने की हर जरुरत में नंबर वन देश है.

फिर ये अजूबा नॉर्व क्यों है? तो सुनिए. इनका इतवार, सच में इतवार ही होता है. हर इतवार जहां हम परिवार के साथ घूमने, सिनेमा देखने, बाहर खाना खाने या फिर दोस्तों के साथ मस्ती करने निकल जाते हैं. लेकिन नॉर्व में इतवार का मतलब होता है इत्मिनान. एक तरह से कहें कि 24 घंटे के लिए नॉर्वे रूक सा जाता है. और अगर कुछ चलता है तो सिर्फ टीवी.

Norway, Slow TV, Showनॉर्वे का इतवार

यहाँ का एक पॉपुलर टी.वी. चैनल है 'स्लो टी.वी.'. ये टीवी अपने स्लो शो के लिए फेमस है. लेकिन कई बार ये स्लो टीवी कुछ ज्यादा ही स्लो हो जाता है! अभी हाल ही में स्लो टीवी पर रेंडियर के माइग्रेशन का लाइव शो चल रहा था, जिसे 28 अप्रैल को खत्म होना था. लेकिन नॉर्वे के पब्लिक ब्रॉडकास्टर एनआरके ने शो को रोक दिया. जानना चाहेंगे, क्यों?

क्योंकि इस शो में रेडिंयर के स्प्रिंग माइग्रेशन के पूरे रूट को कवर करना था और लाइव दिखाना था. लेकिन आशा के विपरीत रेंडियर के झुंड ने अपनी यात्रा देर से शुरू की और लंबा रूट भी ले लिया. 28 अप्रैल के निर्धारित दिन जब स्लो टीवी के प्रोड्यूसरों ने रेंडियर के मूवमेंट के कोई निशान नहीं देखे तो फिर शो को सस्पेंड करने का फैसला लिया गया.

खैर ये कोई पहली बार नहीं है जब स्लो टीवी ने इस तरह का कोई लाइव ब्रॉडकास्ट किया हो. दरअसल 2009 में स्लो टीवी ने नॉर्वे में एक धमाकेदार शुरूआत की थी. स्लो टीवी ने बर्गेन्सबेनेन मिनट फॉर मिनट नाम का एक शो चलया और रातों-रात नॉर्वे में ये एक क्रांति की तरह फैल गया. ओस्लो से बर्गेन की ट्रेन यात्रा मनोरम है. और इस पूरे साढ़े छह घंटे के रास्ते को स्लो टीवी ने रियल टाइम दिखाया था! चौंक गए ना? तो फिर ये जान लीजिए की नॉर्वे में यह प्रोग्राम 15 लाख लोगों ने देखा था!

इसके बाद स्लो टीवी ने ऐसे ही लाइव कई प्रोग्राम चलाए. इसमें 13 घंटे की 'रियल टाइम' स्वेटर-बुनाई भी दिखाई गई थी. मतलब ऊन के पहले धागे से पूरे स्वेटर बुनने तक 'नॉन-स्टॉप' और इसे देश के 11 लाख लोगों ने देखा था. आपको बता दें कि 1 जनवरी 2017 की रिकॉर्ड के मुताबिक पूरे नॉर्वे की जनसंख्या 50 लाख से थोड़ी ऊपर है. कोई 13 घंटे स्वेटर बुनाई एक-टक कैसे देख सकता है? लेकिन इस प्रोग्राम को देखते हूए लाखों लोगों ने साथ-साथ पूरे के पूरे स्वेटर बुन लिए!

2013 में 12 घंटे के एक लकड़ी के जलने के प्रोग्राम को लाखों लोगों ने देखा. इस प्रोग्राम में 4 घंटे आग लगाने की तैयारियों और बाकी के 8 घंटे बस लकड़ियों को जलते हुए लाइव दिखाया गया था!

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यहाँ तक कि जुलाई की छुट्टियों में साढ़े-पाँच दिन लगातार एक जहाज को धीरे-धीरे नॉर्वे का चक्कर लगाते दिखाया गया और लोगों ने देखा. यह कोई क्रिकेट मैच भी नहीं, बस धीमी गति से कैजुयली जाता जहाज था. हर पाँच-छह घंटे में जहाज तट पर रूकता, वहाँ के लोग नॉर्वे का झंडा ले स्वागत करते और फिर धीरे-धीरे जहाज आगे बढ़ता. लोग बस एकटक देखते रहते. जैसे वक्त थम गया हो.

तो ये था दुनिया के सबसे समृद्ध देशों में से एक नॉर्वे का एक अनोखा रूप. हम सभी सोचते हैं कि टीवी इडियट बॉक्स है जिससे सिर्फ समय ही बर्बाद होता है. लेकिन नॉर्वे के लोगों की खुशी और संपन्नता का इडियट बॉक्स के इन प्रोग्राम की टीआरपी के साथ कोई संबंध नहीं है.

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लेखक

रिम्मी कुमारी रिम्मी कुमारी @sharma.rimmi

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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