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Updated: 14 अक्टूबर, 2019 05:16 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
  @parulchandraa
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No bra day भारत में ट्रेंड हो रहा था. गंदी सी हंसी के साथ लोग इस शब्द को बोलकर चटखारे ले रहे थे. बहुतों का कहना था कि इस तरह के कैंपेन भारत के लिए नहीं बने, ये विदेशों से आया ट्रेंड है जिसे भारत में अश्लीलता फैलाने के लिए चलाया जा रहा है. ये भारतीय संस्कृति के खिलाफ है. ज्यादातर लोगों ने इस हैशटैग को लेकर जोक बनाए, #NoBraDay को sexualise कर दिया गया. किसी ने ट्विटर पर लिखा- मैं अपनी गर्लफ्रेंड को #NoBraDay मनाते हुए देखना चाहता हूं. तो किसी ने इस हैशटैग के साथ अपनी हॉट तस्वीरें भी शेयर कीं.

यूं समझिए कि भारत में इस कैंपेन की जितनी दुर्गती हो सकती थी उतनी की गई. वैसे भारत जैसे देश से हम उम्मीद भी क्या कर सकते हैं, जहां महिलाओं के कपड़ों को ही सेक्स को बढ़ावा देने के लिए दोषी माना जाता है. जहां बच्चे को दूध पिलाती मां की तस्वीर को भी अश्लील कह दिया जाता है. जहां ब्रेस्ट केवल एक कामुक अंग माना जाता हो वहां bra और no bra सिर्फ मजे लेने की ही चीजें हो सकती हैं.

no bra dayno bra day को सही मायने समझना जरूरी

No bra day का मतलब ब्रा के बिना तस्वीरें पोस्ट करना नहीं है

NoBraDay 2011 से हर साल 13 अक्टूबर को मनाया जाता है. 13 तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि ये अक्टूबर महीने के बीचों बीच का दिन है. और अक्टूबर International Breast Cancer Awareness Month है. ये पूरा महीना ही महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए समर्पित है. इस दिन का मकसद सिर्फ इतना सा है कि एक दिन के लिए महिलाएं ब्रा से मुक्त हों और अपने शरीर यानी ब्रेस्ट को जानें. वो अपने ब्रेस्ट का स्व निरीक्षण करें और ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों के बारे में जान सकें. जिससे हर महिला को खुद के बारे में पता चल सके कि कहीं उन्हें कोई समस्या तो नहीं है. और अगर उन्हें ऐसा कुछ महसूस होता है तो वो उसका सही समय पर इलाज करा सकें. क्योंकि ब्रेस्ट कैंसर जानलेवा है.

लेकिन भारतीयों ने सिर्फ इस कैंपेन के नाम को पकड़ लिया, उसके पीछे की मंशा के बारे में किसी को कुछ पता नहीं. ज्यादातर लोग तो No bra day को कैंसर से जोड़कर देख ही नहीं पा रहे. लेकिन इस No bra day का मतलब समझाने के लिए एक ही तस्वीर काफी है. जिसे देखकर शायद भारतीयों को No bra day का मतलब समझ में आ जाए. हो सकता है कि ये तस्वीर लोगों को असहज कर दे. लेकिन अगर आंखे खोलकर इसे नहीं देखा गया तो ये ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े हर कैंपेन का मजाक उड़ाने जैसा होगा. और breast cancer से जूझ रही महिलाओं का अपमान भी.

no bra dayno bra day के सही मायने समझा रही है ये तस्वीर

ये तस्वीर साफ-साफ बता रही है कि ब्रेस्ट होंगे तभी ब्रा का मतलब है, लेकिन अगर ब्रेस्ट ही नहीं होंगे तो ब्रा के कोई मायने नहीं. No bra day सिर्फ एक दिन है ब्रेस्ट कैंसर के बारे में आगाह करने का, जबकि इन महिलाओं के लिए तो हर दिन No bra day ही है क्योंकि इनके ब्रेस्ट हैं ही नहीं. ये वो महिलाएं हैं जो ब्रेस्ट कैंसर की वजह से अपने ब्रेस्ट खो चुकी हैं. No bra day का दिन असल में इन्हीं महिलाओं को समर्पित है. ये खुशनसीब हैं कि आज सरवाइवर के रूप में बड़ी हिम्मत के साथ जीवन जी रही हैं. लेकिन साथ ही आगाह भी करती हैं कि ऐसी और भी बहुत महिलाएं थीं जो बिना ब्रेस्ट के जी नहीं पाईं, ब्रेस्ट कैंसर उनका जीवन ही लील गया.

भारत को इस मानसिकता से बाहर आना होगा

भारत को ब्रेस्ट कैंसर और इससे जुड़े कैंपेन को लेकर गंभीर होने की जरूरत है. गंभीर होने की जरूरत इसलिए है क्योंकि हर साल स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या में प्रति एक लाख में से तीस की औसत से इज़ाफ़ा हो रहा है. वहीं भारत में स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की जीवित रहने की दर बाकी देशों की तुलना में आज भी बहुत कम है. एक शोध में पाया गया है कि 2010-2014 के बीच ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं में से केवल 66.1% महिलाएं ही जीवित हैं. जबकि ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में ये प्रतिशत 90 है.

breast cancerबहुत सी महिलाएं इस तरह जीती हैं, लेकिन बहुत सी जी ही नहीं पातीं

डॉक्टरों के मुताबिक, ब्रेस्ट कैंसर की 4 अवस्थाएं होती हैं. ब्रेस्ट कैंसर अगर पहले स्टेज में है तो मरीज के ठीक होने की उम्मीद 80% से ज़्यादा होती है. ब्रेस्ट कैंसर अगर दूसरे स्टेज में है तो 60-70% तक महिलाएं ठीक हो जाती हैं, वहीं तीसरे या चौथे स्टेज में स्तन कैंसर है तो इलाज़ थोड़ा कठिन हो जाता है. यहां बहुत सी महिलाओं की जान तक चली जाती है. इसलिए ब्रेस्ट कैंसर में शुरुआती लक्षणों का पता लगना ही बचाव है. और शुरुआती लक्षण तभी पता चलेंगे जब महिलाएं खुद अपने ब्रेस्ट में ऐसा कुछ महसूस करेंगी. लेकिन ऐसा नहीं होता, महिलाएं रोज ब्रा तो पहनती हैं लेकिन अपने ब्रेस्ट को देखकर वो उन्हें खो देने की कल्पना कभी नहीं करतीं. हर महिला को ये लगता है कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर नहीं हो सकता. और अक्टूबर का महीना हर महिला को इसी नींद से जगाने के लिए समर्पित है.

मुझे खुशी है कि भारत में इस साल No bra day ट्रेंड हुआ. अब तक इसपर सिर्फ हल्ला होता था लेकिन इस बार महिलाएं जागरुक हुईं. बहुत सी महिलाएं तख्तियां लेकर बाहर निकलीं जिसमें ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जानकारी थी. कई रैलियां की गईं. अक्टूबर इससे पहले कभी भी इतना जागरुक नहीं था. भारत में No bra day का मतलब एक दिन बिना ब्रा के रहना नहीं, बल्कि एक दिन ब्रेस्ट का बिना ब्रा के निरीक्षण करना है. उम्मीद है सिर्फ महिलाओं को ही नहीं बल्कि हमारे देश के पुरुषों को भी इन तस्वीरों को देखकर No Bra Day की गंभीरता का अहसास हो.

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लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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