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Updated: 25 जनवरी, 2023 03:13 PM
डॉ. सौरभ मालवीय
डॉ. सौरभ मालवीय
  @DrSourabhMalviya
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देश के विभिन्न पर्यटन स्थलों के प्रचार एवं प्रसार के लिए केंद्र सरकार ने 25 जनवरी 1948 को प्रथम बार राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया था. तब से प्रतिवर्ष 25 जनवरी को राष्ट्रीय पर्यटन दिवस मनाया जाता है. इसके पश्चात एक पर्यटन यातायात समिति भी गठित की गई. इस समिति के गठन के तीन वर्ष पश्चात 1951 में कोलकाता और चेन्नई में पर्यटन दिवस के क्षेत्रीय कार्यालयों में वृद्धि होती गई. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में पर्यटन कार्यालय बनाए गए. वर्ष 1998 में पर्यटन और संचार मंत्री के नेतृत्व में एक पर्यटन विभाग बनाया गया. इसका उद्देश्य भारतीय पर्यटन को प्रोत्साहित करना है. पर्यटन स्थलों के कारण लाखों लोगों को आजीविका प्राप्त होती है.

भारत में प्रत्येक वर्ष लाखों पर्यटक आते हैं. इनमें धार्मिक पर्यटक भी सम्मिलित हैं. धार्मिक पर्यटक से अभिप्राय उन पर्यटकों से है, जो यहां के तीर्थ स्थानों के दर्शनों के लिए आते हैं. भारत तीर्थों का देश है. यहां बहुत से तीर्थ स्थान हैं. हिन्दू धर्म में अनेक प्रकार के तीर्थों का वर्णन मिलता है. इन तीर्थों में 12 ज्योतिर्लिंग भी सम्मिलत है. इनका अत्यंत महत्त्व है. गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग पृथ्वी का प्रथम ज्योतिर्लिंग माना जाता है. मान्यता है कि यहां पर देवताओं ने एक पवित्र कुंड का निर्माण किया था. इसे सोमकुंड कहा जाता है. यह भी मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश हो जाता है. इसलिए इसे पापनाशक कुंड कहा जाता है.

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आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नामक पर्वत पर मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है. इस ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त रूप से दिव्य ज्योतियां विद्यमान हैं. मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है. यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है. यहां प्रतिदिन चिता की भस्म से महादेव का श्रंगार होता है तथा आरती होती है. यह आरती विश्वभर में प्रसिद्ध है, क्योंकि यह जलती चिता की भस्म से की जाती है. मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है. यह नर्मदा नदी के मध्य मन्धाता अथवा शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है. यहां ॐ का आकार बनता है. इसलिए इसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हिमालय की केदार नामक चोटी पर केदारनाथ ज्योतिर्लिंग है. कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों ने करवाया था. महाराष्ट्र के पुणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग है. यहां से भीमा नदी निकलती है. यहां का शिवलिंग बहुत मोटा है. इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव भी कहा जाता है.

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग है. मान्यता है कि यह मंदिर शिव और पार्वती का आदि स्थान है. महाराष्ट्र के नासिक जिले के ग्राम त्रयंबक में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है. इसके समीप ब्रह्मागिरि नामक पर्वत है, जो गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है. यहां त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णुप एवं महेश विराजमान हैं, जो इसकी सबसे बड़ी विशेषता है. अन्यष सभी ज्यो तिर्लिंगों में केवल भगवान शिव ही विराजमान हैं. झारखंड के संथाल परगना में वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग है. शिव का एक नाम वैद्यनाथ भी है, इसलिए इसे वैद्यनाथ धाम भी कहा जाता है. पुराणों में शिव के इस धाम को चिताभूमि का नाम दिया गया है. गुजरात के बड़ौदा क्षेत्र में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है. नागेश्वर का अर्थ है नागों का ईश्वर तथा शिव को नागों का देवता माना जाता है. तमिलनाडु के रामनाथम नामक स्थान पर रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग है. इसे सेतुबंध तीर्थ भी कहा जाता है. मान्यता है कि लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व श्रीराम ने इसकी स्थापना की थी. इसलिए इसे रामेश्वरम कहा जाता है. महाराष्ट्र के दौलताबाद के समीप घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग है. इस स्थान को शिवालय भी कहा जाता है. इस मंदिर का निर्माण अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था.

हिन्दू धर्म में चार धामों की यात्रा को भी अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है. इनमें उत्तराखंड का बद्रीनाथ धाम, गुजरात का द्वारका धाम, उड़ीसा का जगन्नाथ पुरी तथा तमिलनाडु का रामेश्वरम धाम सम्मिलित है. मान्यता है कि इन चार धामों की यात्रा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार अवश्य इन चार धामों की यात्रा कर पुण्य प्राप्त करना चाहिए.

वैश्विक रूप से पर्यटन की बात करें, तो यह एक बड़ा क्षेत्र है. एक रिपोर्ट के अनुसार पर्यटन का सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 11 प्रतिशत का योगदान है. भारत में पर्यटन का सकल घरेलू उत्पाद में 6.7 प्रतिशत का योगदान है. भारत की स्थिति के दृष्टिगत यह बहुत कम योगदान है. चीन में यह योगदान 8.6 प्रतिशत, श्रीलंका में 8.8 प्रतिशत, इंडोनेशिया में 9.2 प्रतिशत, मलेशिया में 12.9 प्रतिशत तथा थाइलैंड में 13.9 प्रतिशत है. एक रिपोर्ट के अनुसार प्रथम पंचवर्षीय योजना के समय देश में केवल 17 हजार विदेशी पर्यटक आए थे. यह पर्यटन को प्रोत्साहित करने का परिणाम है कि वर्ष 2017 में देश में लगभग 77 लाख विदेशी पर्यटक भारत भ्रमण के लिए आए. अब देश में प्रतिवर्ष लगभग 77 विदेशी पर्यटक आते हैं. केंद्र की मोदी सरकार इस ओर ध्यान दे रही है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार आज पर्यटन विश्व के अनेक देशों में एक आकर्षक उद्योग के रूप में रोजगार का बहुत बड़ा माध्यम बना हुआ है. विश्व में अनेक देश हैं, जिनकी पूरी अर्थव्यवस्था केवल और केवल पर्यटकों के भरोसे चल रही है. भारत के कोने-कोने में पर्यटन की शक्ति अपार है, बहुत सामर्थ्य पड़ा हुआ है, हमें इसे बढ़ाने की आवश्यकता है. आज यह समय की मांग है कि भारत अपनी विरासत को अधिक से अधिक और तेजी के साथ संरक्षित करे, वहां आधुनिक सुविधाएं बढ़ाए. हम यह पूरे देश में देख रहे हैं कि बीते वर्षों में जिन भी तीर्थ स्थलों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा गया, वहां यात्रियों, पर्यटकों की संख्या अनेक गुना बढ़ गई है. इसका सीधा लाभ स्थानीय लोगों तथा वहां समीपवर्ती क्षेत्र के लोगों को हो रहा है.

उल्लेखनीय है कि भारत के तीर्थ स्थलों पर आने वाले पर्यटकों को दोहरा लाभ होता है, क्योंकि लगभग सभी तीर्थ ऐसे स्थानों पर हैं, जहां का प्राकृतिक सौन्दर्य देखते ही बनता है. भारत के उत्तर पूर्व में हिमालय पर्वत है. बर्फ से आच्छादित पर्वत सौन्दर्य का अद्भुत खजाना हैं. हिमालय के अतिरिक देश में अनेक पर्वत श्रृंखलाएं हैं, जिनमें अगस्त्यमलाई पहाड़ी, अनामलाई पहाड़ी, अरावली पर्वतमाला, बैलाडिला पहाड़ियां, कैमोर पहाड़ी, इलायची पहाड़ियां, धौलाधार श्रेणी, पूर्वी घाट, गढ़जात रेंज, कार्बी, आंगलोंग पठार, गारो पहाड़ियां, जयंतिया पहाड़ियां, काराकोरम शृंखला तथा खासी पर्वतमाला आदि सम्मिलित हैं. इन पर्वतमालाओं की हरियाली बड़ी मनोहारी लगती है. यहां के वन, वन्यजीव एवं इन वनों में निवास करने वाले आदिवासी समाज के लोगों की संस्कृति भी आकर्षण का केंद्र है.

देश में असंख्य नदियां हैं. पंजाब राज्य का नामकरण तो पांच नदियों के कारण ही हुआ है. इनमें सतलुज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम नदी सम्मिलित है. देश में मुख्यतः चार नदी प्रणालियां अर्थात अपवाह तंत्र हैं. उत्तरी भारत में सिंधु, उत्तरी-मध्य भारत में गंगा तथा और उत्तर-पूर्व भारत में ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली है. प्रायद्वीपीय भारत में नर्मदा, कावेरी, महानदी आदि नदियां हैं, जो विस्तृत नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं. देश में नदियों के संगम पर तीर्थस्थल बने हुए हैं. इन संगमों के नाम के साथ से प्रयाग जुड़ा हुआ है. देश में 14 प्रयाग हैं. उत्तर प्रदेश के प्रयाग में गंगा, यमुना एवं सरस्वती का संगम है. उत्तराखंड में पांच प्रयाग हैं. यहां अलकनंदा का अन्य नदियों से संगम होता है. यहां के देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी का संगम होता है. रुद्रप्रयाग में मन्दाकिनी तथा अलकनंदा नदियों का संगम होता है. कर्णप्रयाग में अलकनंदा तथा पिण्डर नदियों का संगम होता है. नन्दप्रयाग में नन्दाकिनी तथा अलकनंदा नदियों का संगम होता है. विष्णुप्रयाग में धौली गंगा तथा अलकनंदा नदियों का संगम होता है.

मान्यता है कि त्यौहारों पर इन तीर्थ स्थलों पर स्नान करने से व्यक्ति के समूल पापों का नाश हो जाता है तथा उसे पुण्य की प्राप्ति होती है. प्रयागराज हिन्दुओं का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है. इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है. यहां कुम्भ मेले का भी आयोजन किया जाता है. कुम्भ मेले के अवसर पर करोड़ों श्रद्धालु प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन तथा नासिक में स्नान करते हैं. इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष तथा प्रयाग में दो कुम्भ पर्वों के मध्य छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुम्भ मेले का आयोजान किया जाता है. यहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं. कुम्भ मेले को अमृत उत्सव भी कहा जाता है.

भारत में अनेक समुद्र तट हैं, जहां का अपार सौन्दर्य पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है. इनमें आंध्र प्रदेश के समुद्र तट, उड़ीसा के समुद्र तट, पश्चिम बंगाल के समुद्र तट, गोवा के समुद्र तट, केरल के समुद्र तट, तमिलनाडु के समुद्र तट, मुंबई के समुद्र तट, दीव के समुद्र तट, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप के समुद्र तट सम्मिलित हैं. विदेशी पर्यटकों के यहां के समुद्र तट बहुत पसंद हैं. इसमें दो मत नहीं है कि यदि भारतीय पर्यटन को प्रोत्साहित किया जाए, तो यह रोजगार में सृजन करेगा. इससे रोजगार की समस्या का समाधान होगा तथा गरीबी उन्मूलन भी यह सहायक सिद्ध होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पर्यटन को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जो सार्थक सिद्ध होगा.

लेखक

डॉ. सौरभ मालवीय डॉ. सौरभ मालवीय @drsourabhmalviya

लेखक मीडिया प्राध्यापक एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं

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