New

होम -> समाज

 |  2-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 17 नवम्बर, 2015 07:38 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
  • Total Shares

क्या पैसे से खुशियां खरीदी जा सकती है? ये सदियों पुराना सवाल है. धर्म कहता है कि महज धार्मिक होकर संसार की सारी खुशियां बटोरी जा सकती है. अर्थशास्त्री सदियों पुराने इस सवाल का जवाब ढ़ूंढने के लिए इंसानों की कमाई और उनकी खुशी के बीच रिश्ते को टटोल रहे हैं तो मनोवैज्ञानिक इंसानों की उस मनोदशा का परीक्षण कर रहे हैं, जब उसे नकद-नारायण की प्राप्ति होती है. ऐसे में, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हाल में आए 2014 के आंकड़े बता रहे हैं कि भारत में पैसा खुशी दे या न दे, लेकिन जिंदगी खरीदने का काम जरूर कर रहा है.

एनसीआरबी के आंकड़े बता रहे हैं कि देश में सुसाइड करने वालों में लगभग दो-तिहाई लोग 300 रुपये प्रतिदिन से कम कमा रहे थे. लिहाजा, आप के पास ज्यादा पैसा है तो जरूरी नहीं कि आप खुश हों, लेकिन इतना जरूर है कि आपका पैसा आपके लिए जिंदगी खरीद रहा है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में सुसाइड करने वालों में कुल 63 फीसदी लोगों की सलाना इंकम 1 लाख रुपये से कम थी(यानी 273 रुपये प्रतिदिन से कम). वहीं 34 फीसदी सुसाइड करने वालों की सलाना इंकम 1 से 5 लाख रुपये के बीच थी (यानी लगभग 275 से 1370 रुपये प्रतिदिन). इसके विपरीत सुसाइड करने वालों में महज 2.37 फीसदी ऐसे लोग हैं जिनकी सलाना इंकम 5 से 10 लाख रुपये के बीच थी. वहीं महज 0.32 फीसदी सुसाइड करने वालों की सलाना इंकम 10 लाख रुपये से अधिक थी.

लिहाजा, एनसीआरबी के आंकड़ों से एक बात तो साफ है कि भारत में अगर आपके पास मूलभूत जरुरतों के लिए पैसा है तो जीवन की अनेकों परेशानियों से आप बचे रहते हैं क्योंकि आपका पैसा प्रतिदिन आपके लिए जिंदगी खरीदता रहता है. वहीं गरीबी के चलते जीवन की परेशानियों का तानाबाना कुछ यूं बुन दिया जाता है कि गरीब के लिए जिंदगी के मायने ही खो जाते हैं. बहरहाल, सवाल जस का तस है कि क्या पैसे से खुशियां खरीदी जा सकती हैं?

#एनसीआरबी आंकड़ा, #आत्महत्या, #पैसा और खुशी, एनसीआरबी आंकड़ा, सुसाइड, अत्महत्या

लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय