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Updated: 04 अगस्त, 2015 05:02 PM
स्वपनल सोनल
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  @swapnalsonal
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'अच्छे दिन' का नारा लेकर नरेंद्र मोदी ने जब पहली बार लोकतंत्र के मंदिर में कदम रखा तो संसद की चौखट को झुककर प्रणाम किया था. लोकतंत्र यानी जनता की, जनता के लिए और जनता के द्वारा. लेकिन दिलचस्प है कि दागियों पर चुप्पी से लेकर पोर्न बैन तक मोदी सरकार अब उसी जनता की आवाज को धता बताकर आगे बढ़ती नजर आ रही है.

मोदी सरकार ने जिस तरह जनता की आवाज से लेकर कोर्ट की टिप्पणी को अनसुनाकर देश में 857 पोर्न वेबसाइट्स को बैन करने के आदेश दिए हैं, सवाल उठने लगे हैं कि क्या सरकार आगे भी ऐसे ही फरमान जारी करती रहेगी? सरकार का तर्क है कि पोर्न से समाज में गलत संदेश जाता है. अगर वाकई ऐसा है तो पोर्न से पहले हमारे समाज में मंदिर से लेकर गुफाओं और चौक-चौराहों तक कई ऐसी चीजे हैं जिनपर बैन लगाए जाने की जरूरत है.

एक नजर उन 08 चीजों पर जिन पर सरकार को बैन लगाने की जरूरत है #पोर्न_बैन:


1) खुजराहो का मंदिर
अगर पोर्न साइट्स इतने ही बुरे हैं तो खुजराहो में पत्थरों पर उकेरे गए प्रेमरूपी मूर्तियों से समाज को जाने वाले संदेश के बारे में प्रधानमंत्री क्या राय रखते हैं.

2) वात्स्यायन की कामसूत्र
पोर्न साइट्स में स्त्री-पुरुष के बीच संभोग क्रिया के चित्रण से यदि भारतीय समाज को वाकई डरने की जरूरत है, तो सदियों पहले रची गई महान रचना कामसूत्र पर सरकार क्या राय रखती है. तब चित्र संभव था तो कलाकार की कूचियों ने उनपर भी जादू बिखेरा था.

3) देशभर में बिकते लुग्दी साहित्य
देशभर में हर गली के चौक-चौराहे पर लुग्दी साहित्य बिकते हैं. कहीं खुलकर तो कहीं छिपकर. मस्तराम से लेकर ऐसे तमाम साहित्यकार यूं ही चर्चा का विषय नहीं है. ऐसे में अगर पोर्न देखने से मन में गलत खयालात जगते हैं तो इन साहित्यों को पढ़कर मंत्रोच्चार तो नहीं ही होता होगा.

4) तमाम अंग्रेजी एंटरटेनमेंट और मूवीज चैनल
सरकार जिस तरह भारतीय सभ्यता की पैरवी कर रही है और इसे हर ऐरे गैरे चीजों से खतरा बता रही है, इस लिहाज से देश में उन तमाम अंग्रेजी एंटरटेनमेंट और टीवी चैनलों को भी बैन करने की जरूरत है. क्योंकि 24 घंटे के दरम्यान उन पर ऐसे कई दृश्य दिखाए जाते हैं, जो 'भारतीय संस्कृति' के लिए खतरा हैं.

5) कार्टून चैनलों पर भी हो निगरानी
सरकार को बच्चों के लिए प्रसारित होने वाले कार्टून चैनलों की भी निगरानी या फिर उन्हें बंद करने की जरूरत है. क्योंकि उन पर भी गाहे-बगाहे द्वि‍अर्थी संवाद और ऐसे विषयों पर चर्चा और प्रेम में लिप्त जोड़ों को दिखाया जाता है.

6) लड़कियों के जींस, मिनी स्कर्ट और डीप नेक टॉप
अगर बैन की बात हो रही है तो सबसे पहले लड़कियों के जींस, मिनी स्कर्ट, डीप नेक टॉप, ऑफ शोल्डर टॉप और ऐसे किसी भी परिधान पर रोक लगाए जाने की जरूरत है, जिनमें आंचल सरकता हुआ महसूस हो. क्योंकि जब मोबाइल और टीवी की स्क्रीन 'गलत खयाल पैदा' कर सकती है तो ये तो साक्षात दर्शन हैं.

7) लड़कों के देह दर्शन और बॉक्सर्स पर भी रोक
लड़कियों के साथ ही लड़कों के देह दर्शन और खुलेआम बॉक्सर पहनने पर रोक लगनी चाहिए. सलमान खान का करियर इसी के बूते चढ़ा, लिहाजा उन पर भी बैन लगना चाहिए.

8) पार्कों और पहाड़ि‍यों पर तत्काल लगे ताला
पोर्न बुरा है. पश्चिमी सभ्यता भारतीय संस्कृति के सिर माथे बैठी है. आए दिन खबर आती है शहर के पार्क और पहाड़ियों की छाव में प्रेम फल-फूल रहा है. कुछ मौकों पर बजरंग दल, वीएचपी जैसे दल इस पर भी रोक की मांग करते रहे हैं. लिहाजा उनकी मांग भी मान ली जानी चाहिए.

पोर्न पर बैन का यह मुद्दा ऐसे समय भी सामने आया है, जब सरकार खुद स्कूलों में सेक्स एजुकेशन को अनिवार्य बनाने पर चर्चा कर रही है. जबकि भारतीय समाज में अब तक सेक्स एजुकेशन के नाम पर तथाकथि‍त शि‍क्षक के तौर पर पोर्न वेबसाइट्स और ऐसी ही कुछ पत्र-पत्रि‍काएं भूमिका अदा करती आई हैं.

मोदी सरकार जिस नए दौर में भारतीय समाज को लेकर नए सिरे से परिभाषा गढ़ने की तैयारी में है, उसी समाज के नवगठि‍त ढांचे सोशल मीडिया ने सरकार के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति‍ जताई है. वाद-विवाद और परिचर्चा से दूर सरकार के फैसले को सिरे से खारिज किया जा रहा है, लेकिन शासनादेश को झेलना 'लोकतंत्र' में जनता की आखि‍री और पहली मजबूरी बन गई है या जाती है.

#पोर्न, #सेक्स, #इंटरनेट, पोर्न, सेक्स, इंटरनेट

लेखक

स्वपनल सोनल स्वपनल सोनल @swapnalsonal

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप (डिजिटल) से जुड़े हैं.

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