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Updated: 13 सितम्बर, 2015 03:26 PM
अभिषेक पाण्डेय
अभिषेक पाण्डेय
  @Abhishek.Journo
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फिल्म 'ओ माई गॉड' में कांजीभाई का कैरेक्टर प्ले कर रहे परेश रावल की दुकान जब भूकंप में तहस-नहस हो जाती है तो इसका इंश्योरेंस लेने के लिए उन्हें 'ऐक्ट ऑफ गॉड' क्लॉज के कारण भगवान के खिलाफ ही कोर्ट में केस करना पड़ता है. लेकिन क्या फिल्म की बात असल जिंदगी में भी हो सकती है! बिल्कुल हो सकती है, बल्कि हुई है. शुक्रवार को मक्का में एक क्रेन गिरने के कारण 107 लोगों की मौत के बाद वहां की कंस्ट्रक्शन कंपनी के एक इंजीनियर ने इसे 'ऐक्ट ऑफ गॉड' (या अल्लाह की मर्जी) करार दिया है.

सवाल यह है कि क्या सच में इतने बड़े हादसे और सैकड़ों लोगों की मौत के पीछे 'अल्लाह की मर्जी' थी? या फिर यह भी इंसान की खुद को बचाने के लिए धर्म और भगवान के नाम का आड़ लेने की एक और कोशिश है?

प्रकृति या भगवान जिम्मेदार? शुक्रवार को इस्लाम के पवित्र शहर मक्का स्थित अल हरम मस्जिद में एक विशालकाय क्रेन के गिर जाने से 107 लोगों की मौत हो गई थी. शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि इस घटना का कारण तेज बारिश और तूफान है. तेज हवाओं के कारण ही इस इलाके की चौड़ाई बढ़ाने के काम में लगा विशालकाय क्रेन सैकड़ों लोगों के ऊपर जा गिरा और उनकी जानें ले ली. एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक यह दुर्घटना भयंकर तूफानी हवाओं के कारण हुई जोकि इतनी ताकतवर थी कि उसकी कार को हिला दिया और आसपास लगे बिल बोर्ड्स को उखाड़ फेंका. इसलिए यह दुर्घटना प्राकृतिक कारणों से हुई लगती है.

इंसानी चूक जिम्मेदारः सबसे ज्यादा सवाल उस क्रेन से काम ले रही कंस्ट्रक्शन कंपनी पर उठ रहे हैं. यह कंपनी मक्का स्थित उस विशालकाय अल हरम मस्जिद के एरिया को 4 लाख स्क्वायर मीटर विस्तारित करने के लिए काम रही है, जिससे यहां हज के समय आने वाले एक साथ 22 लाख लोग एकत्र हो सकें. इस काम के लिए अलकायदा के मारे गए आतंकी ओसामा बिन लादेन के परिवार की उस कंस्ट्रक्शन कंपनी सऊदी बिन लादेन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जोकि मस्जिद के एरिया को विस्तारिक करने काम काम देख रही है. तेज हवाओं के कारण क्रेन का ढहना सीधे तौर पर इंजीनियरिंग कमियों या मानवीय भूल को दिखाता है. जाहिर तौर पर कंपनी ने तूफानी हवाओं से होने वाले खतरे का सटीक अंदाजा लगाकर उससे बचने के उपाय नहीं किए थे.

भगवान के नाम पर गलती छिपाने की कोशिश? इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार बिल लादेन कंपनी के एक इंजीनियर ने इसे 'ऐक्ट ऑफ गॉड' या 'अल्लाह की मर्जी' करार दिया. इस इंजीनियर का कहना है, 'हादसे की वजह तकनीकी कारण नहीं है. जो कुछ हुआ वह इंसान की क्षमता के बाहर की चीज है. मेरी जानकारी में यह ऐक्ट ऑफ गॉड (अल्लाह की मर्जी) है.' लेकिन सवाल तो यही है कि जिस जगह हर साल लाखों लोग अल्लाह की इबादत करने आते हों उसी जगह अल्लाह अपने भक्तों के साथ ऐसा सलूक क्यों करेगा? यह तो भगवान और धर्म की आड़ में खुद की गलती छिपाने की कोशिश नजर आती है.

फिल्म 'ओ माई गॉड' में परेश रावल की दुकान के भूकंप में नष्ट होने पर इंश्योरंस कंपनी उन्हें पैसे देने से बचने के लिए 'ऐक्ट ऑफ गॉड' यानी 'भगवान की मर्जी' से हुए हादसे के नियम का हवाला देती है. तो क्या मक्का में भी कंस्ट्रक्शन कंपनी किसी भी तरह के मुआवजे से बचने के लिए ही क्रेन हादसे के लिए 'ऐक्ट ऑफ गॉड' को जिम्मेदार ठहरा रही है? इंसान जिस तरह से अपने स्वार्थ के लिए मजहब का इस्तेमाल करता रहा है, ऐसे में अगर वह अब इसके लिए भगवान का भी इस्तेमाल करने पर उतारू हो जाए तो हैरान मत होइएगा. मक्का के क्रेन हदासे के लिए अल्लाह की मर्जी का हवाला देना तो उसकी इसी सोच का परिचायक है.

ऐसे भगवान किस काम के? उस इंजीनियर की तरह ही सोचने वाले दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो ऐसी दुर्घटनाओं को भगवान की मर्जी करार देते हैं. लेकिन अपनी पूजा और इबादत करने वाले अपने ही भक्तों के साथ भगवान ऐसा करेंगे, यकीन नहीं होता. और अगर सच में ऐसी घटनाओं के पीछे भगवान या अल्लाह की मर्जी होती है तो फिर हमें ऐसे ईश्वर या अल्लाह की जरूरत ही क्या है, जो अपने ही भक्तों पर कहर ढा दें, उन्हें ही तकलीफ पहुंचाएं? अगर इंसान को पता है कि ईश्वर उन्हें ऐसे कष्ट दे सकता है तो फिर उसकी इबादत का क्या औचित्य रह जाता है? फिर तो न धर्म की जरूरत रह जाती है और न ही भगवान की या अल्लाह की.

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लेखक

अभिषेक पाण्डेय अभिषेक पाण्डेय @abhishek.journo

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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