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Updated: 14 दिसम्बर, 2015 07:11 PM
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उसे सरकारी नौकरी चाहिए क्योंकि परिवार का खर्च उठाना है. उसे निगरानी की जरूरत नहीं क्योंकि अब वो नाबालिग नहीं रहा. वो अपराधी इसलिए बना क्योंकि नौ साल की उम्र से उसका यौन शोषण होता रहा.

ये डिमांड और दावा उस दरिंदे का है जिसने उस रात सबसे ज्यादा कहर ढाया. एक तरफ निर्भया केस के नाबालिग अपराधी की रिहाई पर रोक की कोशिश हो रही है तो दूसरी तरह वो बाहर आने को छटपटा रहा है.

चलता फिरता खतरा

16 दिसंबर को निर्भया कांड के तीन साल हो जाएंगे. देश और दुनिया को अंदर तक हिला कर रख देने वाले इस वहशियाना वारदात के नाबालिग दोषी की सजा पूरी होने जा रही है. तब वो 18 साल का नहीं था इसलिए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में उसके खिलाफ मामला चला और तीन साल के लिए उसे सुधार गृह में रखा गया.

जैसे ही उसकी रिहाई की बात दिमाग में आई निर्भया की मां का रूह अंदर तक कांप उठा. फिर निर्भया की मां ने सबसे पहले आवाज उठाई - वो समाज के लिए अब भी खतरा है. उसे रिहा करने से पहले उसकी मानसिक स्थिति का आकलन किया जाए ताकि वह किसी और लड़की पर हमला नहीं करे जैसा कि उसने हमारी बेटी के साथ किया.

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निर्भया के माता पिता की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा गया. केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी ऐसे अपराधियों पर निगरानी रखे जाने की बात जोर शोर से उठाई. बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यन स्वामी ने तो आगे बढ़ कर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया.

एक अपराधी की चिट्ठी

निर्भया केस के नाबालिग अपराधी को जैसे ही इन बातों की भनक लगी उसकी ओर से भी गृह मंत्रालय को एक चिट्ठी भेजी गई. जनसत्ता में प्रकाशित रिपोर्ट में उस चिट्ठी के हवाले से बताया गया है कि उस नाबालिग अपराधी ने कहा है कि नौ साल की उम्र से ही उसका लगातार यौन शोषण होता रहा और इसी के चलते वो अपराधी बन गया. उसका दावा है कि जिस किसी के यहां उसने काम किया हर मालिक ने उसका यौन शोषण किया.

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अपनी चिट्ठी में उसने इस बात का खतरा जताया है कि कहीं सुधारगृह में उसकी फोटो लेकर उसे सोशल मीडिया पर कोई डाल न दे. उसे आशंका है कि हो सकता है समाज उसे स्वीकार न करे, इसलिए वो अपनी पहचान बदलने के लिए भी तैयार है.

रिहाई का विरोध

रिहाई के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाई निर्भया केी मां ने - वो अब समाज के लिए खतरा है. उसे रिहा करने से पहले उसकी मानसिक स्थिति का आकलन किया जाए ताकि वह किसी और लड़की पर हमला नहीं करे जैसा कि उसने हमारी बेटी के साथ किया.

निर्भया के माता पिता की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा गया. फिर ऐसी ही चिट्ठी सुब्रह्मण्यन स्वामी की ओर से लिखी गई. केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने भी ऐसे अपराधियों पर निगरानी रखे जाने की बात जोर शोर से उठाई.

सरकार को नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गृह मंत्रालय से पूछा है कि वो इस मामले में लोगों के सरोकारों को ध्यान में रखते हुए क्या कदम उठा रहा है? आयोग ने उसकी मानसिक और मनोवैज्ञानिक हालत के बारे में भी रिपोर्ट मांगी है.

दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को दिए नोटिस में लिखा है कि इस बात की समीक्षा की जाए कि वह सुधर गया है - और समाज के लिए कोई खतरा नहीं है. कोर्ट का कहना है कि ये कोई साधारण मामला नहीं है इस पर विचार किए जाने की जरूरत है.

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