बालिका गृह से शराब की बोतलें बरामद होना ही बचा था!
यूपी के नोएडा में जब बालिका गृह पर छापा मारा गया तो वहां से महंगी शराब की बोतलें, विदेशी ब्रांड के कपड़े, घड़ियां, महंगे फोन जैसी चीजें मिलीं. ये तस्वीर हर किसी को सोचने पर मजबूर करती है.
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बालिका गृह होते तो इसलिए हैं कि ताकि बेसहारा बच्चियों को सहारा मिल सके. लेकिन देश के शेल्टर होम पर पड़ रहे छापे एक अलग ही तस्वीर बयां कर रहे हैं. पहले बिहार के मुजफ्फरपुर में बच्चियों से रेप की खबर सामने आई, फिर देवरिया, फिर लुधियाना और अब राजधानी दिल्ली से सटा हुआ नोएडा. यूपी के नोएडा में जब बालिका गृह पर छापा मारा गया तो वहां से महंगी शराब की बोतलें, विदेशी ब्रांड के कपड़े, घड़ियां, महंगे फोन जैसी चीजें मिलीं. ये तस्वीर दिखाती है कि बालिका गृह में बच्चियों को आसरा देने के बहाने उनका शोषण हो रहा है और इसे अय्याशी का अड्डा बना दिया गया है.
बालिका गृह से महंगी शराब की बोतलें, विदेशी ब्रांड के कपड़े, घड़ियां, महंगे फोन जैसी चीजें मिलीं.
यूपी महिला आयोग की टीम ने मंगलवार शाम को नोएडा के सेक्टर 12/22 में स्थित साईं कृपा बालिका गृह पर छापा मारा. वहां से टीम को महंगी शराब की बोतलें मिली, लड़कियों के पास से विदेशी ब्रांड के कपड़े मिले. यहां से 5 स्टोर भी मिले हैं, जिसमें सिर्फ विदेशी कपड़े ही भरे थे, जिनका टैग तक नहीं निकला था. इसके अलावा लड़कियों के पास से महंगी घड़ियां, चश्मे, विदेशी परफ्यूम और मोबाइल फोन भी मिले हैं. अंदर बच्चियों को आसरा दिया गया था और गेट के बाहर कोई चौकीदार नहीं था. बेटी को ये कैसी सुरक्षा दे रही है सरकार?
इसके अलावा सेक्टर 70 में स्थित विनियार्ड होम्स पर भी छापा मारा गया था, जहां तस्वीर एकदम उल्टी थी. बच्चे बर्तन धो रहे थे, पानी के टैंक में कीड़े पैदा हो चुके थे. छापेमारी में पता चला कि वहां 10 साल से कम उम्र के 17 बच्चे रहते हैं. सफाई के लिए कोई कर्मचारी नहीं था, जिसके चलते हर तरफ गंदगी साफ दिख रही थी.
परत दर परत खामियां
बेटियों को सुरक्षा मुहैया कराने के दावे और योजनाएं तो सरकार की तरफ से खूब चल रही हैं. न सिर्फ केंद्र सरकार, बल्कि हर राज्य की सरकारें अलग-अलग तरह से बेटियों के लिए कोई न कोई योजना चला रहे हैं. लेकिन इन सबके बावजूद बेटियां सुरक्षित नहीं हैं. इसकी वजह है लापरवाही और भ्रष्टाचार. योजनाएं शुरू तो हो जाती हैं, लेकिन वो सही जगह पहुंचती भी हैं या नहीं, इसकी किसी को कोई परवाह नहीं होती. जब छापे पड़ना शुरू होते हैं तो परत दर परत खामियां उजागर होने लगती हैं. इस बार भी यही हो रहा है. मुजफ्फरपुर के बालिका गृह से सरकार की नाकामी सामने आई और उसके बाद अब लगातार छापे पर छापे पड़ रहे हैं और एक-एक कर के कई सरकारों की नाकामी उजागर हो चुकी है.
महिला सुरक्षा में भारत 'सबसे खतरनाक'
जून 2018 में लंदन की एजेंसी थॉम्सन रॉयटर्स फाउंडेशन ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार महिला सुरक्षा के मामले में भारत पूरी दुनिया में सबसे खतरनाक देश है. भारत को पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों से भी अधिक खतरनाक बताया था. इस रिपोर्ट से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में महिला सुरक्षा किस स्तर पर है और शेल्टर होम में बच्चियों के रेप की खबरें सामने क्यों आती जा रही हैं. इस रिपोर्ट के आते ही राष्ट्रीय महिला आयोग ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था और गलत करार दिया था. आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने उस रिपोर्ट को तो बकवास करार दिया था, लेकिन अब जो छापे उनका आयोग मार रहा है, उसकी तस्वीर उन्हें खुद को ही डरा देने वाली है.
मुजफ्फरपुर की घटना के बाद देवरिया के शेल्टर होम में बच्चियों का यौन शोषण होने की खबर सामने आई थी. मामला यहां नहीं रुका और लुधियाना, और अब नोएडा से भी ऐसी ही घटनाएं सामने आ रही हैं. इन सबका मतलब साफ है कि ऐसा करने वाले अधिकारी अभी भी निडर हैं. एक मामला उजागर होने के बाद सभी सतर्क हो जाते हैं, लेकिन बालिका गृह के मामले में तो एक अलग ही तस्वीर सामने आ रही है. ऐसा नहीं है कि सभी निडर हैं. पहली घटना के बाद कई लोग सतर्क भी हुए होंगे, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें शायद किसी का डर नहीं. इन सबके लिए जिम्मेदार तो सरकार खुद ही है. सरकारी पैसों से चलने वाले बालिका गृह में क्या होता है, इसके बारे में सरकार को पता होना चाहिए. सरकार को कम से कम यही सोच कर नजर रखनी चाहिए कि बच्चियों को कोई दिक्कत तो नहीं हो रही, लेकिन सरकार की नाकामी का खामियाजा मासूम बच्चियों को भुगतना पड़ रहा है.
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