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Updated: 22 जुलाई, 2017 04:08 PM
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एक तरफ चीन और दूसरी तरफ पाकिस्तान. ये तो जगजाहिर है कि चीन और भारत के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं.

साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा से परिपूर्ण चीन लगातार भारत पर डोलकाम से सेना को पीछे हटाने के लिए दबाव बना रहा है. चीन अपने दबाव को आगे बढ़ाने के लिए चीनी सरकारी समाचार पत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ के माध्यम से कभी धमकी दे रहा है तो कभी तिब्बत पर चीनी सैन्य अभ्यास के वीडियो प्रसारित कर रहा है, जिससे भारत दबाव में आ जाए. बौखलाए चीनी समाचार पत्र 'ग्लोबल टाइम्स' ने भारत के अब तक दबाव में नहीं आने पर धमकी को व्यापक करते हुए कहा है कि अगर भारत पीछे नहीं हटता है तो भारत-चीन सीमा पर विस्तृत संघर्ष के लिए भारत तैयार हो जाए. अर्थात भारत से केवल डोकलाम में संघर्ष नहीं होगा, अपितु व्यापक युद्ध होगा.

Indian army, Ammunition

एक तरफ जहां देश में युद्ध जैसे हालात बन गए हैं वहीं दूसरी तरफ CAG की रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट में कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं जो आपको चौंकाने के लिए काफी हैं. रिपोर्ट के मुताबिक आर्मी के पास हथियारों की कमी है. अगर कोई भीषण युद्ध होता है तो हमारी आर्मी सिर्फ 10 दिनों तक ही टिक पाएगी. कारण ये कि सेना के पास 40% से ज्यादा हथियारों की कमी है.

ऐसे हैं हालात...

मार्क 2013 से ये कमी लगातार बनी हुई है. उस समय लगभग 50% (170 में से 80) तरह के हथियारों की कमी है और ये सिर्फ इतने हैं कि 10 दिन से भी कम वक्त तक पूरे पड़ सकें. सितंबर 2016 से 40% हथियार ऐसे हैं जिनकी जरूरत इंडियन आर्मी को बहुत ज्यादा है.

सबसे खराब बात....

सबसे खराब हालत ये है कि कई हथियार ऐसे हैं जिन्हें चलाने के लिए फ्यूज की जरूरत होती है और उनके लिए लगभग 83% फ्यूज की कमी है. फ्यूज किसी भी हथियार के दिमाग की तरह होता है जिसे फायरिंग के ठीक पहले इस्तेमाल किया जाता है. इसका मतलब आर्मी के पास जो हथियार है उनमें से 83% का इस्तेमाल तुरंत युद्ध की स्थिती में नहीं किया जा सकता है.

सरकार के नियमों के अनुसार आर्मी के पास इतने हथियारों का स्टॉक होना चाहिए जो 40 दिन के युद्ध के लिए काफी हो, लेकिन CAG की रिपोर्ट कह रही है कि सितंबर 2016 से आर्मी के पास जो हथियार हैं उनमें से सिर्फ 20% ऐसे हैं जो 40 दिन के युद्ध का सामना कर पाएंगे.

1999 में आर्मी ने एक नया कॉन्सेप्ट निकाला था मिनिमम एक्सेप्टेबल रिस्क लेवल (MARL) का. इस कॉन्सेप्ट के तहत आर्मी के पास कम से कम 20 दिन के युद्ध के लिए तो हथियार होने ही चाहिए. अब अगर इस कॉन्सेप्ट पर भी CAG की रिपोर्ट की बात करें तो अभी के स्टॉक के हिसाब से 152 में से 83 हथियारों की कमी है. यानी 55% हथियार MARL के हिसाब के भी नहीं हैं.

सूत्रों की मानें तो उरी अटैक के बाद से ही सरकार ने इमर्जेंसी केस के लिए कम से कम 10 दिन के युद्ध के लिए हथियार अपने पास रखने को कहा था. 11000 करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट भी साइन किया गया था जहां 11 तरीके के हथियार खरीदने की बात हुई थी. ये कॉन्ट्रैक्स सितंबर 2016 से मार्च 2017 के बीच साइन किया गया है.

इस महीने की शुरुआत में मिनिस्ट्री ने VCOAS (वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ) को सारी वित्तीय सुविधाएं दे दी हैं. इसमें 10 दिन के हथियार के लिए फंड दिया गया था. यही 40000 करोड़ का बजट पास किया गया है. लेकिन फिर भी जब तक और ज्यादा फंड नहीं होगा तब तक आर्मी के हथियारों का कोटा पूरा नहीं किया जा सकता है.

जीएसटी, नोटबंदी, टैक्स, गौ रक्षा, विदेशी दौरे सब अपनी जगह सही है, लेकिन देश की रक्षा भी बहुत जरूरी है. अगर आर्मी के हथियारों के लिए ही फंड नहीं होगा तो कैसे ये सोचा जा सकता है कि देश की सुरक्षा हो पाएगी. इसके पहले भी ये बात हुई थी कि आर्मी के राशन में कटौती कर दी गई है. ऐसे में क्या आर्मी का मनोबल होगा? जो हमारे लिए अपनी जान ताक पर लगाने को तैयार हैं क्या उनके लिए हम ढंग के हथियार भी नहीं खरीद सकते? ऐसे तो पड़ोसियों को छोड़िए हमारी सेना अपने देश से ही हार जाएगी....

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