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Updated: 28 जून, 2018 11:24 AM
वंदना सिंह
वंदना सिंह
  @vandana.singh.9828
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सऊदी अरब में शॉपिंग करते वक्त महिलाएं कपड़े ट्राई नहीं कर सकती हैं. वहां के पुरुष ड्रेसिंग रूम के अंदर भी किसी महिला का निर्वस्त्र होना बर्दाश्त नहीं कर सकते.

woman, safetyमहिलाओं के ड्रेसिंग रुम में कपड़े बदलने से भी आदमियों की नीयत खराब हो सकती है!

ईरान के कुछ विश्वविद्यालयों में महिला छात्रों को कुछ खास सब्जेक्ट पढ़ने की मनाही है. खासकर इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी से संबंधित सब्जेक्ट.

इज़राइल में, एक महिला को तलाक लेने के लिए अपने पति की अनुमति की आवश्यकता होती है.

अमेरिका के मिसिसिपी में, एक रेपिस्ट, रेप से पैदा हुए बच्चे पर अपने अधिकार का दावा कर सकता है.

ये लिस्ट अंतहीन है.

आज भारत में कई महिलाओं को ये सब पढ़कर और सुनकर हंसी आती होगी. क्योंकि अपनी जिंदगी में उन्होंने कभी ऐसे नियमों के बारे में न तो सुना होगा न जाना होगा. लेकिन थॉमसन रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे खतरनाक देश है. हां ये सच है कि भारत में महिलाएं असुरक्षित हैं. इतनी ज्यादा असुरक्षित की आज भी देश के अधिकांश हिस्सों में सूरज ढलने के बाद लड़कियों का घर से बाहर निकलना आत्महत्या के समान माना जाता है.

लेकिन क्या यह अनुभव भारत के लिए अद्वितीय है? अनोखा है?

नहीं.

इसी धरती पर कई ऐसी भी जगहें हैं जहां आज भी महिलाओं को दिन में भी घर से बाहर निकलने की आजादी नहीं है. और आपको ये भी बता दें कि ऐसा नहीं है कि ये नियम वहां किसी खास समुदाय ने बनाया हो बल्कि ऐसा उस देश का कानून कहता है.

हालांकि मैंने ये लेख ये साबित करने के लिए नहीं लिखा कि "मेरे यहां की हालत आपसे बेहतर है". बल्कि मैं सिर्फ ये बताने की कोशिश कर रही हूं कि थॉमसन रॉयटर्स द्वारा भारत को विश्व का सबसे असुरक्षित देश बताना भारत सहित उन देशों की महिलाओं के हिसाब से भी अनुचित है जहां की महिलाएं जीवन के न्यूनतम अधिकारों के लिए लड़ रही हैं.

थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, महिलाओं के प्रति होने वाली यौन हिंसा, सांस्कृतिक विसंगतियों और मानव तस्करी की व्यापक घटनाओं के कारण विश्व में भारत को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देशों की लिस्ट में सबसे ऊपर रखा गया है. कुल 759 विशेषज्ञों ने महिला मुद्दे पर किए गए इस सर्वेक्षण का अध्ययन किया, जिसमें से 548 प्रतिक्रियाएं मिलीं. सर्वेक्षण में संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों को शामिल किया गया था.

woman, safetyमहिलाओं के खिलाफ अत्याचार विश्व भर में फैला है

2011 में किए गए इसी तरह के एक सर्वेक्षण में अफगानिस्तान, कांगो, पाकिस्तान, भारत और सोमालिया को महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक देशों के रूप में पाया गया था.

यौन हिंसा:

भारत के सरकारी आंकड़े को अधिकांश उत्तरदाताओं ने रैंकिंग करने का आधार बनाया है. उन आंकड़ों से पता चलता है कि 2007 और 2016 के बीच महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में 83 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें हर एक घंटे में बलात्कार के चार मामले रिपोर्ट किए जाते हैं. इन आंकड़ों को देखकर लगता है कि जैसे देश में यौन हिंसा के केस अचानक ही बढ़ गए हैं. लेकिन असल में हुआ ये है कि इस तरह के मामले अब ज्यादा रिपोर्ट किए जा रहे हैं. जीरो एफआईआर का प्रावधान जिसके तहत किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है, फिर चाहे घटना किसी जगह या क्षेत्र में क्यों न हुई हो. इसके साथ ही पुलिस स्टेशनों में पीड़ितों की बात नहीं सुनने के खिलाफ लोगों का बढ़ता गुस्सा रेप पीड़िता के लिए हिम्मत का काम कर रहा है. जिसकी वजह से अब ज्यादा से ज्यादा संख्या में रेप पीड़ित लड़कियां और उनके परिवार वाले खुलकर आगे आ रहे हैं और केस दर्ज करा रहे हैं.

भारत की राजधानी दिल्ली में अब और भी ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. क्योंकि राजधानी होने के कारण यहां होने वाली घटनाओं पर मीडिया का ध्यान ज्यादा रहता है इसलिए पीड़िता की शिकायत दर्ज न करना पुलिस अधिकारियों के लिए बहुत मुश्किल है. लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं है कि दिल्ली 'क्राइम सिटी, रेप सिटी' है और इसके आस-पास के शहर जैसे कि मेरठ, महिलाओं के लिए स्वर्ग है.

भारत अब उस जगह पर आ गया है जहां महिलाएं रातों में आजाद होकर बाहर निकलने के अधिकार फिर से पाने के लिए लड़ रही हैं. और कुछ सफल भी हुई हैं. वार्निका कुंडू के साथ हुए उत्पीड़न के मामले को याद कीजिए. कैसे इस मामले ने चंडीगढ़ शहर सहित पूरे देश को झकझोर दिया था. चारों तरफ से लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए थे. कई अन्य देशों में, इस तरह के अधिकार का सिर्फ जिक्र करना जिसमें महिलाएं रात में अकेले घरों के बाहर निकलें और सुरक्षित भी रहे उन्हें और अधिक मुश्किल में डाल सकता है. उनके लिए नियम कड़े हो सकते हैं या फिर उससे ज्यादा खुद बुरा हो सकता है.

woman, safetyमहिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिए खुद तैयार होना होगा

सऊदी अरब में बलात्कार को अपराध मानने या फिर उसके लिए सजा निर्धारित करने के लिए कोई दंड संहिता नहीं है और न ही कोई लिखित कानून है. तो इसलिए अगर आप ऐसा समाज बना सकते हैं जहां कोई मामला ही दर्ज नहीं किया जा सकता है, तो फिर आप इस मुगालते में भी खुशी-खुशी रह सकते हैं कि ये कभी हुआ ही नहीं.

ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी जांच में पाया कि यहां पर अक्सर ही रेप पीड़िता को अपने खिलाफ हुए अपराध पर बोलने के लिए दंडित किया जाता है.

लेकिन मैं फिर से बोलना चाहती हूं: भारत महिलाओं के लिए स्वर्ग नहीं है. लेकिन इसे दुनिया में सबसे खतरनाक देश बोलना सिर्फ और सिर्फ भारत की छवि को बिगाड़ना या फिर भारत के बारे में जानबूझकर गलत जानकारी फैलाना है.

सांस्कृतिक प्रथाएं भी बदतर हैं:

महिलाओं को अपने अधीन रखने के लिए सबसे मारक उपाय और सबसे शक्तिशाली हथियार है- संस्कृति. भारत में महिलाएं लंबे समय तक घर की चारदीवारी में बंध कर रही हैं. और उन्हीं चारदीवारों के पीछे उनसे मारपीट, गाली गलौज यानी उनका मानसिक और शारीरिक, हर तरीके का शोषण किया गया है. लगातार, बार बार किया गया है.

लेकिन सिर्फ इतना बता दीजिए कि क्या बाकी देशों की महिलाएं पार्टी कर रही हैं?

भारत में महिलाओं का खतना (एफजीएम) काफी हद तक मुस्लिमों के बोहरा समुदाय तक ही सीमित है. लेकिन ये प्रथा कई अफ्रीकी देशों में खुलेआम लागू है और प्रचलित भी है.

woman, safetyइस तरह की घिनौनी और अमानवीय प्रथाओं से भारत तो कम से कम बचा हुआ है

कभी वर्जित माने जाने वाले पीरियड्स पर अब हमारे देश में खुलकर बात होती है. यहां तक कि अब तो इस विषय पर फिल्म तक बन गई. मुंबई स्थित मीडिया कंपनी, कल्चर मशीन ने पीरियड्स में महिलाओं को छुट्टी देने का प्रावधान करने की बात कही है. जिस सहजता से और खुले तौर पर अब इन विषयों पर हमारे देश में बातें हो रही हैं अभी से कुछ दशक पहले ये असंभव ही लगता था. लेकिन भारत की महिलाएं लड़ीं और अपने अधिकारों को पाया. अपनी आजादी हासिल की.

मानव तस्करी:

यौन शोषण के लिए महिलाओं और बच्चों की तस्करी दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ रहा आपराध है.

संयुक्त राष्ट्र और वॉक फ्री फाउंडेशन का कहना है कि मानव तस्करी से हर साल दुनिया भर में 40 मिलियन लोग प्रभावित होते हैं. और हर 10 पीड़ित में से 7 महिलाएं और बच्चे होते हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि इस धंधे से सालाना 150 अरब डॉलर का वार्षिक मुनाफा होने का अनुमान है. थॉमसन रॉयटर्स की स्टडी के अनुसार भारत में ट्रैफिकर्स से सबसे बड़ा खतरा महिलाओं और लड़कियों को होता है. क्योंकि उन्हें अभी भी सिर्फ सेक्स ऑब्जेक्ट और दूसरे दर्जे का नागरिक (अगर नागरिक मानते हैं तो) ही माना जाता है. लेकिन फिर आखिर दुनिया के किस देश ने महिलाओं को प्रथम श्रेणी का नागरिक माना है. यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब आज तक नहीं मिला है.

थॉमसन रॉयटर्स ने कहा कि ये समस्या दुनिया भर में प्रचलित है, लेकिन दक्षिण पूर्व एशिया और विशेष रूप से भारत में इसकी हालत सबसे खराब है. ऐसा इसलिए क्योंकि लड़कियों को 'बोझ' माना और लड़कों से 'कमजोर' माना जाता है. यही काफी है इतना समझाने के लिए कि आखिर क्यों थॉमसन रॉयटर्स ने महिलाओं के भारत को नर्क बताने में संकोच नहीं किया.

हां, ये सच है कि भारत में महिलाएं कमजोर हैं. अपने आत्मसम्मान, अपने गरिमामय जीवन के लिए उन्हें रोजना लड़ाई लड़नी पड़ती है. लेकिन फिर ये भी उतना ही सच है कि दुनिया के कई हिस्से अभी भी ऐसे हैं जहां कि महिलाओं को आत्मसम्मान और स्वतंत्रता जैसे शब्दों का अर्थ तक नहीं पता होगा.

थॉमसन रॉयटर्स को यह समझने के लिए एक गहन, अधिक विस्तृत और कहीं अधिक संवेदनशील अध्ययन की आवश्यकता है.

इस बीच, दुनिया भर में महिलाओं को अपने लिए एक बेहतर दुनिया बनाने की जद्दोजहद को जारी रखना चाहिए. अपनी लड़ाई को जारी रखना चाहिए. एक एक कदम आगे बढ़ाते रहना चाहिए. जैसा कि भारतीय औरतें कर रही हैं और सफलता भी पा रही हैं.

(DailyO से साभार)

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लेखक

वंदना सिंह वंदना सिंह @vandana.singh.9828

लेखक पत्रकार हैं और इंडिया टुडे ग्रुप के साथ जुड़ी हुई हैं.

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