मैगी विवाद: सिर्फ अमिताभ-माधुरी-प्रीति पर क्यों उठे उंगली
चुनाव के समय नेता भी तो लंबी-चौड़ी फेंकते हैं, खुद का विज्ञापन करते हैं. जनता को भ्रमित करने के लिए उन पर कार्रवाई क्यों नहीं होती ?
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2 मिनट वाली मैगी पिछले 4 दिनों से बवाल मचा रही है. खुद तो पकने-गलने का नाम नहीं ले रही, लेकिन कुछ नामचीन लोगों और अपनी कंपनी नेस्ले को जरूर पका-गला रही है. मामला इतना गंभीर हो गया है कि बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की एक अदालत ने महानायक अमिताभ बच्चन, माधुरी दीक्षित और प्रीति जिंटा के साथ-साथ नेस्ले के दो अधिकारियों पर एफआईआर करने के आदेश दे दिए हैं.
जो तीन बॉलीवुड सितारे मैगी के साथ चर्चा में बने हुए हैं, दरअसल उन पर इस प्रोडक्ट के प्रमोशन करने के लिए कार्रवाई हो रही है. उधर केंद्र सरकार ने भी चेता दिया है कि यदि मैगी का प्रचार करने वाले विज्ञापन गुमराह करने वाले हुए, तो वह इसके ब्रांड एम्बेसडरों के खिलाफ कार्रवाई करेगी.
फूड स्टैंडर्ड एंड सेफ्टी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) अधिनियम के तहत कोई भी विज्ञापन अगर गलत सूचना दे रहा है या लोगों को भ्रमित कर रहा है तो ऐसा विज्ञापन करने वाले ब्रांड एम्बैसडरों पर भी 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. यह अधिनियम तो पहले से बना है, मैगी तो बस कारक बना. अब चर्चा चालू है - सोशल मीडिया, मीडिया और मेट्रो में भी.
चर्चा का एक पक्ष कहता है कि सिर्फ पैसे के लिए विज्ञापन करना और अपनी जिम्मेदारी से भागना अपराध है, होना भी चाहिए. दूसरे पक्ष का तर्क भी कुछ कमजोर नहीं है - विज्ञापन तो उसी का किया जाता है, जो माल बनकर बाजार में आ चुका होता है. जो माल बनाया गया, वह निश्चित ही सरकारी नीतियों और कानून के तहत बना होगा. तो जब सरकार ने खुद ही माल की छानबीन कर उसे बनाने का ठेका कंपनी को दे रखा है, ऐसे में सिर्फ विज्ञापन करने वाला कैसे दोषी हो सकता है? क्या अमिताभ, माधुरी और प्रीति जिंटा को यह पता लगाना चाहिए कि मैगी में कितना प्रतिशत लेड मिला हुआ है?
दूसरे पक्ष का एक और तर्क है - बाजार में बिकने वाला कोई सामान कितना कारगर है, इसकी पहचान एक्सपर्ट कर सकता है, विज्ञापनकर्ता नहीं. मसलन देर तक अहसास दिलाने वाला कॉण्डम... गोरा बनाने वाली क्रीम... और इन सब से ऊपर, चुनाव के समय नेता भी तो लंबी-चौड़ी फेंकते हैं, खुद का विज्ञापन करते हैं. लेकिन क्या अगले पांच सालों में वे अपने वादे पर कायम रहते हैं या सारी योजनाओं को लागू कर ही देते हैं. ऐसे में कोई सेलिब्रिटी ब्रांड एम्बेसेडर क्या कानून का आसान शिकार है, सिर्फ इसलिए कि वह नेताओं जितना ताकतवर नहीं है.
कोई उन अफसरों के बारे में बात क्यों नहीं कर रहा है, जिनकी इजाजत से अब तक ये लेड की अत्यधिक मात्रा वाली मैगी बिकती रही.

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