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Updated: 04 मार्च, 2018 05:09 PM
श्रुति दीक्षित
श्रुति दीक्षित
  @shruti.dixit.31
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भारत में महिलाओं की स्थिती जो सदियों से चली आ रही थी उसमें काफी बदलाव हुआ है. अब यहां दो ध्रुव बन गए हैं. एक फेमिनिस्ट और एक आदर्शवादी. दोनों ही अपने-अपने हिस्से के हिंदुस्तान में जी रहे हैं. किसी के लिए जिंदगी बदल गई है और किसी के लिए अभी भी 1980 के दशक का माहौल चल रहा है जहां लड़कियों को दब कर रहना पड़ता है. अगर कुंवारी लड़कियों की बात करें तो वो भले ही कितनी भी मॉडर्न हों कहीं न कहीं कुछ बातों का डर हमेशा मन में रहता है जैसे..

1. फेमिनिस्ट होने से...

जी गलत मत समझिए. मेरा मतलब है फालतू में फेमिनिस्ट का टैग लगने से. अगर अपने हक के लिए कोई बोली है तो सीधे तौर पर उसे फेमिनिस्ट कह दिया जाएगा. मेट्रो मे महिलाओं के लिए रिजर्व सीट लेनी है तो भी कई बार फेमिनिस्ट कह दिया जाएगा क्योंकि बराबरी की बात करते समय महिलाओं ने अपने लिए रिजर्व सीट की मांग कर ली है.

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2. शादी...

शादी से डर स्वाभाविक है. भारतीय महिलाएं उस दौर में हैं जहां उनके लिए शादी से पहले वाली जिंदगी तो बदल गई है, लेकिन शादी के बाद अभी भी वही हाल है. शादी से डर इसलिए है क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी आज़ादी छिन जाएगी और यकीनन करियर को भी नुकसान होगा.

3. लड़कों से दोस्ती करने में...

स्कूल, कॉलेज, ऑफिस आदि में लड़कों से दोस्ती करने से भी कई बार लड़कियां डरती हैं. कारण? मोहल्ले वाले, रिश्तेदार, माता-पिता के ताने और शक की निगाहें. किसी लड़की के लिए एक लड़के से दोस्ती भी किसी टॉर्चर से कम नहीं लगती. खास तौर पर तब जब लड़की की शादी न हुई हो और उसे ये ताना सुनने को मिले कि लड़कों से दोस्ती करोगी तो शादी कैसे होगी.

4. रात में घूमने से..

शादी के पहले ये कहा जाता है कि शादी होने के बाद पति के साथ जाना. अगर उसके पहले अकेले कोई लड़की घूमती है, या रात में अपने दोस्तों के साथ ही दिख जाती है तो न जाने कितनी निगाहें उसका पीछा करती हैं, न जाने कितने लोग उसे छेड़ने की कोशिश करते हैं. अकेले ही नहीं, भीड़ वाली जगहों पर भी डर लगता है. अजीब भले ही लगे सुनने में, लेकिन यहां किसी लड़की को पता नहीं कि कौन भीड़ का फायदा उठाकर उनके शरीर को दबा दे या फिर कोई अकेले घूमने पर उनपर लांछन लगा दे.

5. पीरियड के दाग से..

भारत में पीरियड पर अब तो फिर भी बात होने लगी है और भला हो पैडमैन का जो लोग कम से कम ये जानने लगे हैं कि महिलाओं की महावारी को छुपाकर रखने की जरूरत नहीं. पर फिर भी लड़कियां खासकर टीनएज में पीरियड का दाग लगने से सबसे ज्यादा डरती हैं. उन्हें लगता है कि ये सबसे बड़ी शर्मिंदगी है जिसे छुपाकर रखना जरूरी है. इसे हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा भी कह सकते हैं, लेकिन ऐसा है जरूर.

6. रिश्तेदारों से...

रिश्तेदारों से डरने का कारण सीधा सा है. उन लड़कियों को जिनकी उम्र शादी की हो गई है उन्हें रिश्तेदारों से डर लगने लगता है. अब रिश्तेदार आएंगे तो शादी की बात भी होगी, लड़के भी दिखाए जाएंगे, दुनिया भर के ताने भी मिलेंगे.

7. शादी मटेरियल न होना...

कई लड़कियां इस बात से भी डरती हैं कि कहीं उन्हें शादी के लिए अयोग्य न मान लिया जाए. जब लड़के वाले लड़की देखने आएंगे और लड़की को तरह-तरह से नंबर देंगे तब यकीन मानिए लड़कियों को डर लगता है. उन्हें मां-बाप की चिंता दूर करनी है और साथ ही साथ उन्हें ये भी साबित करना होता है कि एक अच्छी बीवी, बहू, मां के साथ-साथ वो काम में भी उतनी ही अच्छी हैं, उतनी ही बेहतर कमाई करके ला सकती हैं और बचपन से जैसे सिखाया जाता है उन्हें इस परीक्षा में पास होना ही पड़ता है.

8. ज्यादा बड़े या छोटे ब्रेस्ट होना...

टीनएज में अक्सर लड़कियों को अपने ब्रेस्ट के आकार के कारण छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ता है. स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां जिनके ब्रेस्ट जरूरत से जल्दी विकसित हो जाते हैं उन्हें क्लास में पढ़ने वाले लड़के ही कई बार छेड़ देते हैं. यकीन मानिए कई लड़कियां इस बात से भी डरती हैं कि कहीं उनके ब्रेस्ट ज्यादा बड़े न हो जाएं. भारत में एक 14 साल की लड़की हो या 41 साल की महिला उसे उसके ब्रेस्ट साइज के कारण छेड़ा जा सकता है.

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लेखक

श्रुति दीक्षित श्रुति दीक्षित @shruti.dixit.31

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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