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Updated: 12 फरवरी, 2018 10:19 PM
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लव जिहाद एक ऐसा नाम बनता जा रहा है जो न सिर्फ हिंदुओं को बल्कि मुस्लिमों को भी चैन से जीने नहीं दे रहा. लव जिहाद एक शब्द ने लगभग सभी हिंदू-मुस्लिम जोड़ों की जिंदगी में खलबली सी मचा दी है. चाहें वाकई मामला लव जिहाद का हो या न हो, लेकिन यकीनन सभी को इस लिस्ट में शामिल किया जा रहा है. भले ही शादी घर वालों की मर्जी से हुई हो या फिर भले ही बालिग लड़की ने अपनी मर्जी से शादी की हो, हर जोड़े को लव जिहाद से जोड़कर देखा जा रहा है.

इसी बीच एक मामला सामने आया है जिसमें एक फेसबुक सूची में करीब 100 जोड़ों के नाम लिखे गए हैं और उन्हें लव जिहाद का मामला बताया गया है. ये लिस्ट फेसबुक और ट्विटर पर जनवरी में वायरल होना शुरू हुई थी और इसे अब डिलीट कर दिया गया है.

क्या लिखा था लिस्ट में?

उन नामों की लिस्ट में नाम के साथ-साथ फोन नंबर, पता आदि जानकारी भी लिखी हुई थी. उसका कैप्शन सबसे खतरनाक था. उस कैप्शन में लिखा था ... "ये सूची है उन लड़कियों की जो लव जिहाद का शिकार हुई हैं या हो रही हैं, हर हिंदू शेर से आग्रह है, इनमें जो लड़के हैं, उनकी खोज कर शिकार करें."

ये पोस्ट हिंदू वार्ता नाम के एक फेसबुक पेज पर शेयर की गई थी और इसे अब डिलीट कर दिया गया है.

इस लिस्ट के कारण कई जोड़ों को धमकियां मिलने लगी हैं, जान से मार देने की धमकी भी मिल रही है. कोलकता के एक जोड़े ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है. लड़की को धमकियां मिल रही हैं. महिलाओं को बचाने के नाम पर उसे ये कहा जा रहा है कि अपने ब्वॉयफ्रेंड से न मिले. लड़के को भी धमकियां मिल रही हैं.

नफरत फैलाने के लिए सिर्फ एक नहीं बल्कि कई ऐसे पेज हैं जो फेसबुक पर धर्म के नाम पर नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं.

लव जिहाद, इस्लाम, मुस्लिम, हिंदू, फेसबुक

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सिर्फ फेसबुक ही नहीं ट्विटर पर भी इस तरह की बातें सामने आ रही हैं. ट्विटर का इस्तेमाल भी इसी तरह से किया जा रहा है.

सिर्फ फेसबुक और ट्विटर ही नहीं हर सोशल मीडिया वेबसाइट, एप का इसी तरह से इस्तेमाल हो रहा है. आलम ये है कि कई फेसबुक पेज तो ऐसे हैं जिनमें किसी लड़की की लाश दिखाकर ये कहा जा रहा है कि उसे लव जिहाद के लिए मारा गया है, या फिर किसी मुस्लिम ने उसका रेप किया है.

देखिए, जरूरी नहीं कि फेसबुक पर जो भी पोस्ट किया जा रहा है वो सच हो. धर्म के नाम पर हमारे देश में हमेशा से हिंसा फैलाई जाती रही है और जिस तरह से अब सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जा रहा है उससे लगता है कि मामला और ज्यादा बढ़ेगा.

चाहें किसी भी फेसबुक पेज या किसी भी इंसान के वॉट्सएप नंबर से ऐसा कोई मैसेज आया हो, यकीन मानिए हर बात का यकीन करने की जरूरत नहीं. अपनी सोच और समझ का इस्तेमाल करना जरूरी है. बड़ी ही आसानी से सोशल मीडिया के जरिए किसी भी गलत बात को फैला कर किसी को भी टारगेट किया जा सकता है. पद्मावत की हिंसा इसका सीधा साधा उदाहरण है. धर्म के नाम पर इस तरह की नफरत फैलाना सही नहीं, उतना ही गलत है आम लोगों का इसपर यकीन करना.

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